स्वाइन फ्लू।
रायपुर शुक्रवार।
दिनांक 27 अगस्त 2010
स्वाइन फ्लू।
स्वाइन फ्लू से एक के बाद एक सात मौतों ने छत्तीसगढ़ को दहशत में डाल दिया है। मरने वालों में से अधिकांश बिलासपुर जिले के हैं। दुर्ग व रायपुर भी स्वाइन फ्लू से पीडि़त है, यहां भी मरीज़ों की मृत्यु महामारी से हुई है। स्वाइन फ्लू। से मरीजों की मौत की पुष्टि दिल्ली स्थित प्रयोग शाला से आने वाली रिपोर्ट के बाद होती है। यहंा से रिपोर्ट आने में वक्त लग जाता है। पीड़ित मरीज़ एक दो दिन के भीतर ही प्राण छोड़ देता है। ऐसे में सरकार को छत्तीसगढ़ को स्वाइन फ्लू से मुक्त करने एक बड़ा अभियान चलाने की जरूरत है। उसका ध्यान सिर्फ डॉ. आम्बेडकर अस्पताल पर है, जो आम आदमी की नजर में एक निष्क्रिय अस्पताल है। यहां पांच सौ थ्री लेयर मास्क मंगवाने का दावा किया गया है लेकिन मरीज़ों को किस तरह से चिकित्सा सुविधा मुहैया की जायेगी आदि की कोई ब्यूह रचना तैयार नहीं की गई है। दिल्ली की प्रयोग शाला को स्वाइन फ्लू पीडि़तों की चौबीस रिपोर्ट भेजी गई। इसमें से माात्र नौ कि रिपोर्ट मिली। इनमें चार स्वाइन फलू से पीडि़त हैं। इसी से अंदाज लगाया जा सकता है कि स्वाइन फ्लू ने तेजी पकड़ ली है और अगर इसपर तुरन्त एहतियाती कदम नहीं उठाये तो इसका अंजाम बहुत बुरा होगा। सरकार को चाहिये कि वह राजधानी में होने वाली सभी रैलियों पर कम से कम एक महीने के लिये प्रतिबंध लगाये। साथ ही रेलवे स्टेशन, बस स्टैण्ड और हवाई जहाज से पहुंचने वाले प्रत्येक यात्री को स्वास्थ्य परीक्षण से गुजारे। राजधानी सहित छत्तीसगढ़ के सभी नगरों की साफ सफाई पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है। मौसम में आये परिवर्तन से मौसमी बीमारी होना संभव है। लोग महामारी को भी छोटी बीमारी समझकर बढ़ावा दे जाते हैं। इसी का परिणाम हैं कि स्वाइन फ्लू पैर जमाने में सफल हो गया। छत्तीसगढ़ का चांपा,जांजगीर, बिलासपुर, दुर्ग इस समय स्वाइन फ्लू से प्रभावित है। यहां रोगियो की स्वाइन फ्लू से मौत की पुष्टि हो चुकी है।
दिनांक 27 अगस्त 2010
स्वाइन फ्लू।
स्वाइन फ्लू से एक के बाद एक सात मौतों ने छत्तीसगढ़ को दहशत में डाल दिया है। मरने वालों में से अधिकांश बिलासपुर जिले के हैं। दुर्ग व रायपुर भी स्वाइन फ्लू से पीडि़त है, यहां भी मरीज़ों की मृत्यु महामारी से हुई है। स्वाइन फ्लू। से मरीजों की मौत की पुष्टि दिल्ली स्थित प्रयोग शाला से आने वाली रिपोर्ट के बाद होती है। यहंा से रिपोर्ट आने में वक्त लग जाता है। पीड़ित मरीज़ एक दो दिन के भीतर ही प्राण छोड़ देता है। ऐसे में सरकार को छत्तीसगढ़ को स्वाइन फ्लू से मुक्त करने एक बड़ा अभियान चलाने की जरूरत है। उसका ध्यान सिर्फ डॉ. आम्बेडकर अस्पताल पर है, जो आम आदमी की नजर में एक निष्क्रिय अस्पताल है। यहां पांच सौ थ्री लेयर मास्क मंगवाने का दावा किया गया है लेकिन मरीज़ों को किस तरह से चिकित्सा सुविधा मुहैया की जायेगी आदि की कोई ब्यूह रचना तैयार नहीं की गई है। दिल्ली की प्रयोग शाला को स्वाइन फ्लू पीडि़तों की चौबीस रिपोर्ट भेजी गई। इसमें से माात्र नौ कि रिपोर्ट मिली। इनमें चार स्वाइन फलू से पीडि़त हैं। इसी से अंदाज लगाया जा सकता है कि स्वाइन फ्लू ने तेजी पकड़ ली है और अगर इसपर तुरन्त एहतियाती कदम नहीं उठाये तो इसका अंजाम बहुत बुरा होगा। सरकार को चाहिये कि वह राजधानी में होने वाली सभी रैलियों पर कम से कम एक महीने के लिये प्रतिबंध लगाये। साथ ही रेलवे स्टेशन, बस स्टैण्ड और हवाई जहाज से पहुंचने वाले प्रत्येक यात्री को स्वास्थ्य परीक्षण से गुजारे। राजधानी सहित छत्तीसगढ़ के सभी नगरों की साफ सफाई पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है। मौसम में आये परिवर्तन से मौसमी बीमारी होना संभव है। लोग महामारी को भी छोटी बीमारी समझकर बढ़ावा दे जाते हैं। इसी का परिणाम हैं कि स्वाइन फ्लू पैर जमाने में सफल हो गया। छत्तीसगढ़ का चांपा,जांजगीर, बिलासपुर, दुर्ग इस समय स्वाइन फ्लू से प्रभावित है। यहां रोगियो की स्वाइन फ्लू से मौत की पुष्टि हो चुकी है।
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