मूक दर्शक बनी पुलिस!
मूक दर्शक बनी पुलिस!
रविवार को रायपुर में फ्रेण्डशिप डे के दौरान जो गुण्डागर्दी हुई उसके लिये असल दोषी कौन है? क्या इस मामले में पुलिस के मात्र यह कर्मचारी जिम्मेदार हैं, जो निलंबित कर दिये गये हैं या प्रशासन, जो ऐसे दिन खामोश बैठा था, जिस दिन कोई भी घटना होने की आशंका थी? कुछ वर्षाे से छत्तीसगढ़ में कथित रूप से विदेशी आयोजनों का जो क्रेज बढ़ा है उसका कथित धर्म और संस्कृति के ठेकेदारों द्वारा जो विरोध किया जा रहा है। उसका भान पुलिस व प्रशासन दोनों को था, लेकिन एहतियात के तौर पर चंद पुलिस कर्मियों को लगाया गया। जो केवल शायद इसलिये मूक दर्शक बन गये चूंकि कोई भी उच्च अधिकारी उन्हें हरकत में आने का आदेश देने के लिये उपस्थित नहीं था। जनता के बीच अपनी छवि बनाने मीडिय़ा में अपना स्थान बनाने के लिये कुछ लोग जो कार्य कर रहे हैं, उससे समाज का उद्वेलित होना स्वाभाविक हैं। सत्ता से जुड़ी पार्टी से ऐसे संगठनों पर वरदहस्त के बिना इनमें इतनी ताकत नहीं है कि वह पुलिस के आगे इस प्रकार की गुण्डागर्दी करें। क्या पुलिस ने अपने कर्मचारियों को इन सब मामलों में खामोश रहने का आदेश दिया था। अगर ऐसा है तो यह एक खतरनाक संकेत है। जब उत्पातियों का झुण्ड शहर में घूम रहा था। तभी शायद कंट्रोल रूम को इसकी सूचना मिल गई होगी। फिर भी कंट्रोल रूम से दस्ते का रवाना न होना भी यह इंगित करता है कि शहर में अराजकता फैलाने की खुली छूट कहीं न कहीं से दी गई। पुलिसकर्मचारी जो सड़कों पर तैनात रहते हं। वे कुछ होता देखते हैं तो तुरन्त दौड़े चले जाते हैं, लेकिन जब डयूटी पर इसी काम के लिये लगाये गये कर्मचारियों को जब तक अपने बड़े अधिकारी का आदेश न मिले, तब तक वे कतराते हैं। ऐसे मामलों में जब कोई सत्ता से जुड़ी हुई पार्टी के लोग करते हैं तो उन्हें अपनी नौकरी का भी भय रहता है। अगर यही हरकत इस समय कांग्रेस या विपक्ष की अन्य पार्टी के लोग करते। तो संभव है इस पूरे मामले में लगने वाली धाराओं का रूप ही कुछ और होता। आगे 14 फरवरी को वेलेन्टाइन डे है और इस गुण्डागर्दी को अंजाम देने में अपने आप में गर्व करने वाले एक नेता ने घोषणा कर दी है कि उन्हें अपने कार्यकर्ताओं की करतूतों पर कोई अफसोस नहीं है। इस आधुनिक बाहुबली को इस बात का भी कोई अफसोस नहीं है कि महिलाओं के साथ उसके कार्यकर्ताओं ने दुव्र्यवहार किया। अब वे दावा कर रहे हैं कि वे वेलेन्टाइन डे पर भी ऐसा ही करेंगे। ऐसी चुनौती उन्होंने सोमवार को टीवी पर प्रसारित एक कार्यक्रम में दी है। प्रशासन पर अब वेलेन्टाइन डे की चुनौती से निपटने की जिम्मेदारी है। वैसे प्रशासन व सरकार को फ्रेण्डशिप पर जो हुआ उस पर शर्म आई या नहीं यह पता नहीं, लेकिन रायपुर की जनता तो शर्म से पानी- पानी हो गई है।
रविवार को रायपुर में फ्रेण्डशिप डे के दौरान जो गुण्डागर्दी हुई उसके लिये असल दोषी कौन है? क्या इस मामले में पुलिस के मात्र यह कर्मचारी जिम्मेदार हैं, जो निलंबित कर दिये गये हैं या प्रशासन, जो ऐसे दिन खामोश बैठा था, जिस दिन कोई भी घटना होने की आशंका थी? कुछ वर्षाे से छत्तीसगढ़ में कथित रूप से विदेशी आयोजनों का जो क्रेज बढ़ा है उसका कथित धर्म और संस्कृति के ठेकेदारों द्वारा जो विरोध किया जा रहा है। उसका भान पुलिस व प्रशासन दोनों को था, लेकिन एहतियात के तौर पर चंद पुलिस कर्मियों को लगाया गया। जो केवल शायद इसलिये मूक दर्शक बन गये चूंकि कोई भी उच्च अधिकारी उन्हें हरकत में आने का आदेश देने के लिये उपस्थित नहीं था। जनता के बीच अपनी छवि बनाने मीडिय़ा में अपना स्थान बनाने के लिये कुछ लोग जो कार्य कर रहे हैं, उससे समाज का उद्वेलित होना स्वाभाविक हैं। सत्ता से जुड़ी पार्टी से ऐसे संगठनों पर वरदहस्त के बिना इनमें इतनी ताकत नहीं है कि वह पुलिस के आगे इस प्रकार की गुण्डागर्दी करें। क्या पुलिस ने अपने कर्मचारियों को इन सब मामलों में खामोश रहने का आदेश दिया था। अगर ऐसा है तो यह एक खतरनाक संकेत है। जब उत्पातियों का झुण्ड शहर में घूम रहा था। तभी शायद कंट्रोल रूम को इसकी सूचना मिल गई होगी। फिर भी कंट्रोल रूम से दस्ते का रवाना न होना भी यह इंगित करता है कि शहर में अराजकता फैलाने की खुली छूट कहीं न कहीं से दी गई। पुलिसकर्मचारी जो सड़कों पर तैनात रहते हं। वे कुछ होता देखते हैं तो तुरन्त दौड़े चले जाते हैं, लेकिन जब डयूटी पर इसी काम के लिये लगाये गये कर्मचारियों को जब तक अपने बड़े अधिकारी का आदेश न मिले, तब तक वे कतराते हैं। ऐसे मामलों में जब कोई सत्ता से जुड़ी हुई पार्टी के लोग करते हैं तो उन्हें अपनी नौकरी का भी भय रहता है। अगर यही हरकत इस समय कांग्रेस या विपक्ष की अन्य पार्टी के लोग करते। तो संभव है इस पूरे मामले में लगने वाली धाराओं का रूप ही कुछ और होता। आगे 14 फरवरी को वेलेन्टाइन डे है और इस गुण्डागर्दी को अंजाम देने में अपने आप में गर्व करने वाले एक नेता ने घोषणा कर दी है कि उन्हें अपने कार्यकर्ताओं की करतूतों पर कोई अफसोस नहीं है। इस आधुनिक बाहुबली को इस बात का भी कोई अफसोस नहीं है कि महिलाओं के साथ उसके कार्यकर्ताओं ने दुव्र्यवहार किया। अब वे दावा कर रहे हैं कि वे वेलेन्टाइन डे पर भी ऐसा ही करेंगे। ऐसी चुनौती उन्होंने सोमवार को टीवी पर प्रसारित एक कार्यक्रम में दी है। प्रशासन पर अब वेलेन्टाइन डे की चुनौती से निपटने की जिम्मेदारी है। वैसे प्रशासन व सरकार को फ्रेण्डशिप पर जो हुआ उस पर शर्म आई या नहीं यह पता नहीं, लेकिन रायपुर की जनता तो शर्म से पानी- पानी हो गई है।
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