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न बच्चे सुरक्षित न महिलाएं

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मंगलवार, 11 जनवरी 2011 न बच्चे सुरक्षित, न महिलाएं- मंगलवार, ११ जनवरी २०११ रायपुर दिनांक 11 जनवरी न बच्चे सुरक्षित, न महिलाएं-गुण्डों की नई पौध पुलिस से ज्यादा होशियार! रितिक, रौशन, और सत्यजीत के बाद अब और न जाने कितने...?कौन देगा छत्तीसगढ़ के पालकों को गारंटी कि उनके बच्चे स्कूल या धर अथवा खेल के मैदान में सुरक्षित हैं। किसी को पैसे की जरूरत हो तो बच्चा पकड़ लाओं और खेल खलों फोन से जुए का-पैसा मिल गया तो ठीक वरना किसी गटर में अपने प्यारे बच्चे की सड़ी गली लाश ले जाओ..यह कैसी स्थिति बना दी गई है छत्तीसगढ़ में। कौन जिम्मेदार है, इसके लिये? संपूर्ण राज्य में अपराधियों ने एक तरह से अपना वर्चस्व कायम कर लिया है। जो अपराध राज्य बनने के पहले नहीं होते थे वे भी अब फल फू ल रहे हैं। महिलाएं बच्चे कोई सुरक्षित नहीं हैं। महिलाओं के गले से कभी भी चैन खीच ली जाती है तो कभी भी उन्हें कोई मजनू सड़क पर बेइज्जत कर देता है। छेड़छाड़ की घटनाओ से तंग युवतियों को अपनी जान तक गवानी पड़ी है। छत्तीसगढ़ पुलिस में ढेर सारी महिला पुलिस कर्मियों की नियुक्ति क