और अब आक्टोपस!
10 जून 2010
और अब आक्टोपस!
आक्टोपस और तोता! विश्व आज इन दोनों प्राणियों की भविष्यवाणियों के जाल में फंस गया है। विज्ञान के क्षेत्र में कई गुना आगे निकल चुके लागों को प्राणियों की हलचल पर विश्वास करते देख वास्तव में हमें अपने आप पर शर्म आती है कि हम कैसे युग में जी रहे हैं, जहां भविष्य को जानने के लिये प्राणियों के मूवमेंट का सहारा ले रहे हंै। पहले लोग सोचते थे कि भारत में ही अंधविश्वास ज्यादा है लेकिन यूरोप के पागलपन को देख वास्तव में लगता है कि हम सब पागल हैं। आक्टोपस न कोई इंसान है न जानवर है, वह पानी, विशेषकर समुन्द्र में रहने वाली मछली की तरह का एक प्राणी है जिसे एक्यूरियम में डाल रखा है। उससे भविष्यवाणियां जानने का काम ठीक वैसे ही होता है जैसे हमारे देश में पिंजरे में बंद तोते से बंद लिफाफा उठवाकर किया जाता है। कई रेलवे स्टेशान, बस स्टैण्ड़ मे रखे वेइंग मशीन में से निकलने वाले टिकिटों में भी भविष्य लिखा रहता है। जहां तक आक्टोपस का सवाल है उससे भविष्य जानने का तरीका भी बड़ा विचित्र है। खाने के दो डिब्बों में दोनों देश का झंडा लगाकर डाल दिया जाता है। आक्टोपस जिस देश के डिब्बे के खाने को खायेगा वह देश विजेता माना जाता है। इस प्रक्रिया के तहत जर्मनी की टीम को हराकर जब बाहर कर दिया गया तो जर्मनी के लोग आक्टोपस बाबा से इतना चिढ़ गये कि उन्होंने यहां तक कह दिया कि यह हमें मिल गया तो हम उसके टुकड़े - टुुकड़े करके फ्र ाय करके खा जायेगें- इसका मतलब यह हुआ कि विश्व की इस एडवांस कंन्ट्री को भी भरोसा है कि उसके हारने का कारण आक्टोपस बाबा की भविष्यवाणी है। वैज्ञानिक शोध और विज्ञान के क्षेत्र में डूबे लोग इस प्रकार के अंधविश्वास पर कैसे भरोसा कर लेते हैं यह अपने आप में दिलचस्प है। हमारी बात माने तो हमारे यहां अंधविश्वास का एक चलन है और इसमें लोग डूबते चले जाते हैं चाहे वह इंसान की भविष्यवाणी हो या प्राणियों की। आक्टोपस की भविष्यवाणी के तोड़ में सिागापुर का एक तोता भी उतर आया है, उसने स्पेन की आशाओं पर पानी फेरकर नीदरलैण्ड को विजेता घोषित कर दिया है। ऐसा लगता है कि यह सब सटोरियों का खेल है जो बड़े खेल की आड़ में लोगों को अपने जाल में फांसने का खेल चल रहे हैं। आक्टोपस ने जो भविष्यवाणी की वह अगर सच हो गई तो लोगों का पागलपन और बढ़ जायेगा। वरना आक्टोपस की इस भविष्यवाणी के साथ ही सारा खेल भी खत्म हो जायेगा। अब दिलचस्प यह बन पड़ा है कि नीदरलैण्ड फुटबाल मैच में जीता तो सिंगापुर का तोता सही भविष्य वक्ता और स्पेन जीता तो आक्टोपस बाबा सही। दोनों ही दृष्टि से अंधविश्वास विश्व में अब चरम पर होगा।
और अब आक्टोपस!
आक्टोपस और तोता! विश्व आज इन दोनों प्राणियों की भविष्यवाणियों के जाल में फंस गया है। विज्ञान के क्षेत्र में कई गुना आगे निकल चुके लागों को प्राणियों की हलचल पर विश्वास करते देख वास्तव में हमें अपने आप पर शर्म आती है कि हम कैसे युग में जी रहे हैं, जहां भविष्य को जानने के लिये प्राणियों के मूवमेंट का सहारा ले रहे हंै। पहले लोग सोचते थे कि भारत में ही अंधविश्वास ज्यादा है लेकिन यूरोप के पागलपन को देख वास्तव में लगता है कि हम सब पागल हैं। आक्टोपस न कोई इंसान है न जानवर है, वह पानी, विशेषकर समुन्द्र में रहने वाली मछली की तरह का एक प्राणी है जिसे एक्यूरियम में डाल रखा है। उससे भविष्यवाणियां जानने का काम ठीक वैसे ही होता है जैसे हमारे देश में पिंजरे में बंद तोते से बंद लिफाफा उठवाकर किया जाता है। कई रेलवे स्टेशान, बस स्टैण्ड़ मे रखे वेइंग मशीन में से निकलने वाले टिकिटों में भी भविष्य लिखा रहता है। जहां तक आक्टोपस का सवाल है उससे भविष्य जानने का तरीका भी बड़ा विचित्र है। खाने के दो डिब्बों में दोनों देश का झंडा लगाकर डाल दिया जाता है। आक्टोपस जिस देश के डिब्बे के खाने को खायेगा वह देश विजेता माना जाता है। इस प्रक्रिया के तहत जर्मनी की टीम को हराकर जब बाहर कर दिया गया तो जर्मनी के लोग आक्टोपस बाबा से इतना चिढ़ गये कि उन्होंने यहां तक कह दिया कि यह हमें मिल गया तो हम उसके टुकड़े - टुुकड़े करके फ्र ाय करके खा जायेगें- इसका मतलब यह हुआ कि विश्व की इस एडवांस कंन्ट्री को भी भरोसा है कि उसके हारने का कारण आक्टोपस बाबा की भविष्यवाणी है। वैज्ञानिक शोध और विज्ञान के क्षेत्र में डूबे लोग इस प्रकार के अंधविश्वास पर कैसे भरोसा कर लेते हैं यह अपने आप में दिलचस्प है। हमारी बात माने तो हमारे यहां अंधविश्वास का एक चलन है और इसमें लोग डूबते चले जाते हैं चाहे वह इंसान की भविष्यवाणी हो या प्राणियों की। आक्टोपस की भविष्यवाणी के तोड़ में सिागापुर का एक तोता भी उतर आया है, उसने स्पेन की आशाओं पर पानी फेरकर नीदरलैण्ड को विजेता घोषित कर दिया है। ऐसा लगता है कि यह सब सटोरियों का खेल है जो बड़े खेल की आड़ में लोगों को अपने जाल में फांसने का खेल चल रहे हैं। आक्टोपस ने जो भविष्यवाणी की वह अगर सच हो गई तो लोगों का पागलपन और बढ़ जायेगा। वरना आक्टोपस की इस भविष्यवाणी के साथ ही सारा खेल भी खत्म हो जायेगा। अब दिलचस्प यह बन पड़ा है कि नीदरलैण्ड फुटबाल मैच में जीता तो सिंगापुर का तोता सही भविष्य वक्ता और स्पेन जीता तो आक्टोपस बाबा सही। दोनों ही दृष्टि से अंधविश्वास विश्व में अब चरम पर होगा।
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