तात्यापारा से शारदा चोक तक सड़क
रायपुर बुधवार।
दिनांक 14 जुलाई 2010
तात्यापारा से शारदा चोक तक सड़क
चोड़ीकरण न होने का रहस्य क्या हैं?
आखिर वह कौन सा रहस्य है, जो रायपुर के सबसे घने यातायात एरिया को साफ करने में नगर निगम हिचकिचा रहा है? हम बात कर रहे हैं तात्यापारा से शारदा चोक तक के घने यातायात क्षेत्र के बारे में जहां तोडफ़ोड़ की कार्रवाई आमापारा से तात्यापारा तक चोड़ीकरण के बाद तुरन्त शुरू कर दी जानी चाहिये थी। अगर इस कार्य को करने में कोई वित्तीय बाधा है, तो वह नगर निगम स्पष्ट करें या फिर अगर कोई राजनीतिक दबाव है अथवा किसी बड़े की भूमि इसमे आ रही है, तो वह स्पष्ट करें? क्यों रोज इस मार्ग पर हजारों लोगों का कीमती समय बर्बाद किया जा रहा है? हाल ही निगम की एक बैठक में बड़े ही दबी जुबान से कमिश्नर चैधरी ने इस मार्ग पर तोडफ़ोड़ और चोड़ीकरण की बात कही थी लेकिन राष्ट्रीय राजमार्ग पर इस सबसे व्यस्त मार्ग के बारे में महापौर श्रीमती किरणमयी नायक ने अब तक कोई बयान नहीं दिया और न ही इस मार्ग के चोड़ीकरण के लिये कोई कार्ययोजना बनाई। शहर के सबसे व्यस्त मार्ग पर संकरी सड़क के कारण रोज घंटों यातायात जाम की स्थिति बनती है। इस एक संकरी सड़क के कारण पूरे शास्त्री चैक तक का यातायात प्रभावित होता है किन्तु इस मामले में बोलने की हिम्मत किसी की नहीं है। क्यों और किसके प्रभाव के आगे सब यहां बेबस हैं? रायपुर की जनता जानना चाहती है कि जिस सबसे सघन आमापारा से आजाद चैक को आनन फानन में जल्दी से तोडफ़ोड़कर चैड़ा कर सुविधाजनक बना दिया गया। उसके आगे सड़क चैड़ी करने में उसे डर क्यों लग रहा है? रायपुर शहर की यातायात व्यवस्था को सुधारने प्रशासन की पहल की हम तारीफ करते हैं। यातायात को सुविधाजनक बनाने उसने रायपुर को कई जोन में बांट दिया और जिम्मेदारियां भी सौंप दी लेकिन नगर निगम क्या कर रहा है? जिन सड़कों का चैड़ीकरण किया गया है, उस पर ठेले, गुमटी क्यों काबिज हो जाते हैं? उन्हें रोकने की जिम्मेदारी उसने आज तक क्यों तय नहीं की? निगम की कार्रवाई ऐसे क्षेत्रों में होती है जहां यातायात की गंभीर समस्या पैदा नहीं होती। हर आदमी यह जानता है कि हमको पहले अपना घर साफ रखना चाहिये। तब नगर निगम यह क्यों नहीं जान पा रहा कि जिस जीई रोड़ से लाखें लोग रोज आना जाना करते हैं, वही वह साफ सुथरा और यातायात की दृष्टि से सुगम बनाने में असफल है, तो उसे दूसरे घर अर्थात दूसरे क्षेत्रों में जाकर काम कर अपना समय बर्बाद कर रायपुर की जनता को यह बताने का क्या औचित्य कि हम रायपुर शहर के लिये बहुत काम कर रहे हैं? जीई रोड़ पर जो डिवाइडर लगाये गये हैं वह गौरव पथ को छोड़कर शास्त्री चैक से टाटीबंद तक आप देख लीजिये किस बदसूरत हालात में हैं। ग्रिल लगाने का काम जयस्तंभ चैक तक लाकर छोड़ दिया गया, आगे टाटीबंद तक। निगम के इस शासनकाल में न ग्रिल लगे न पौधें लगाये गये। आमापारा से टाटीबंद तक विपरीत दिशा से आने वाले वाहनों की चकाचैंध इतनी अधिक रहती है कि वाहन चालकों को दुर्घटना होने का डर सदैव रहता है। रात के समय मवेशियों की भरमार, सड़कों पर कुत्तों का आंतक, दिन में सड़क गंदगी से सराबोर,यातायात से सड़कें घंटों जाम हो, उस शहर में निगम प्रशासन किस तरह का कार्य कर रहा है? यह बताने की किसी को जरूरत नहीं। हम तो रायपुर की जनता से यह भी पूछना चाहते हैं कि क्या उसने निगम में जिन्हें चुनकर भेजा है। वे आपकी आशाओं पर खरा उतरे हैं?
दिनांक 14 जुलाई 2010
तात्यापारा से शारदा चोक तक सड़क
चोड़ीकरण न होने का रहस्य क्या हैं?
आखिर वह कौन सा रहस्य है, जो रायपुर के सबसे घने यातायात एरिया को साफ करने में नगर निगम हिचकिचा रहा है? हम बात कर रहे हैं तात्यापारा से शारदा चोक तक के घने यातायात क्षेत्र के बारे में जहां तोडफ़ोड़ की कार्रवाई आमापारा से तात्यापारा तक चोड़ीकरण के बाद तुरन्त शुरू कर दी जानी चाहिये थी। अगर इस कार्य को करने में कोई वित्तीय बाधा है, तो वह नगर निगम स्पष्ट करें या फिर अगर कोई राजनीतिक दबाव है अथवा किसी बड़े की भूमि इसमे आ रही है, तो वह स्पष्ट करें? क्यों रोज इस मार्ग पर हजारों लोगों का कीमती समय बर्बाद किया जा रहा है? हाल ही निगम की एक बैठक में बड़े ही दबी जुबान से कमिश्नर चैधरी ने इस मार्ग पर तोडफ़ोड़ और चोड़ीकरण की बात कही थी लेकिन राष्ट्रीय राजमार्ग पर इस सबसे व्यस्त मार्ग के बारे में महापौर श्रीमती किरणमयी नायक ने अब तक कोई बयान नहीं दिया और न ही इस मार्ग के चोड़ीकरण के लिये कोई कार्ययोजना बनाई। शहर के सबसे व्यस्त मार्ग पर संकरी सड़क के कारण रोज घंटों यातायात जाम की स्थिति बनती है। इस एक संकरी सड़क के कारण पूरे शास्त्री चैक तक का यातायात प्रभावित होता है किन्तु इस मामले में बोलने की हिम्मत किसी की नहीं है। क्यों और किसके प्रभाव के आगे सब यहां बेबस हैं? रायपुर की जनता जानना चाहती है कि जिस सबसे सघन आमापारा से आजाद चैक को आनन फानन में जल्दी से तोडफ़ोड़कर चैड़ा कर सुविधाजनक बना दिया गया। उसके आगे सड़क चैड़ी करने में उसे डर क्यों लग रहा है? रायपुर शहर की यातायात व्यवस्था को सुधारने प्रशासन की पहल की हम तारीफ करते हैं। यातायात को सुविधाजनक बनाने उसने रायपुर को कई जोन में बांट दिया और जिम्मेदारियां भी सौंप दी लेकिन नगर निगम क्या कर रहा है? जिन सड़कों का चैड़ीकरण किया गया है, उस पर ठेले, गुमटी क्यों काबिज हो जाते हैं? उन्हें रोकने की जिम्मेदारी उसने आज तक क्यों तय नहीं की? निगम की कार्रवाई ऐसे क्षेत्रों में होती है जहां यातायात की गंभीर समस्या पैदा नहीं होती। हर आदमी यह जानता है कि हमको पहले अपना घर साफ रखना चाहिये। तब नगर निगम यह क्यों नहीं जान पा रहा कि जिस जीई रोड़ से लाखें लोग रोज आना जाना करते हैं, वही वह साफ सुथरा और यातायात की दृष्टि से सुगम बनाने में असफल है, तो उसे दूसरे घर अर्थात दूसरे क्षेत्रों में जाकर काम कर अपना समय बर्बाद कर रायपुर की जनता को यह बताने का क्या औचित्य कि हम रायपुर शहर के लिये बहुत काम कर रहे हैं? जीई रोड़ पर जो डिवाइडर लगाये गये हैं वह गौरव पथ को छोड़कर शास्त्री चैक से टाटीबंद तक आप देख लीजिये किस बदसूरत हालात में हैं। ग्रिल लगाने का काम जयस्तंभ चैक तक लाकर छोड़ दिया गया, आगे टाटीबंद तक। निगम के इस शासनकाल में न ग्रिल लगे न पौधें लगाये गये। आमापारा से टाटीबंद तक विपरीत दिशा से आने वाले वाहनों की चकाचैंध इतनी अधिक रहती है कि वाहन चालकों को दुर्घटना होने का डर सदैव रहता है। रात के समय मवेशियों की भरमार, सड़कों पर कुत्तों का आंतक, दिन में सड़क गंदगी से सराबोर,यातायात से सड़कें घंटों जाम हो, उस शहर में निगम प्रशासन किस तरह का कार्य कर रहा है? यह बताने की किसी को जरूरत नहीं। हम तो रायपुर की जनता से यह भी पूछना चाहते हैं कि क्या उसने निगम में जिन्हें चुनकर भेजा है। वे आपकी आशाओं पर खरा उतरे हैं?
sahi mudde par sahi baat,
जवाब देंहटाएंdekh kar khushi hui ki raipur se ek aur jagrut blog hai blog jagat me.
shubhkamnayein.....