बांधों में लबालब पानी!
रायपुर सोमवार।दिनांक 30 अगस्त 2010
बांधों में लबालब पानी!
मौसम विशेषज्ञों की माने तो इस बार सितंबर में भी वर्षा होगी। अगर यह बात सही निकलती है तो प्रदेश में इतना पानी तो हो जायेगा कि अगले गर्मी में लोगों को ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। बशर्ते कि हम कृषि, निस्तारी व अन्य कामों में पानी का उपयोग सीमित मात्रा में करें। हमें जो आंकड़े प्राप्त हुए हैं उसके अनुसार प्रदेश के इकचालीस जलाशयों में इस समय कम से कम चार हजार मिलियन घन मीटर पानी जमा है। हाल के दिनों में हुई वर्षा से स्थिति में काफी सुधार हुआ है। प्रदेश के जलाशयों में कुल जलभराव क्षमता छै हजार चार सौ दशमलव दो सौ उन चालीस घन मीटर है। अर्थात आज की स्थिति में आधे से भी ज्यादा अर्थात साठ से पैसठ प्रतिशत पानी जलाशयों में मौजूद है। हम इसपर संतोष इसलिये नहीं कर सकते चूंकि कई जलाशय अभी भी चौदह या सत्रह प्रतिशत से ऊपर नहीं भरे हैं। यह स्थिति सरगुजा के बाक़ी व कुंवरपुर जलाशय की है। जबकि यहीं का श्याम जलाशय जिसकी क्षमता 62. 050 मिलियन घन मीटर है, में क्षमता के अनुरूप सौ प्रतिशत पानी भर चुका है। बस्तर के कोसारटेड़ा जलाशय पूरी तरह लबालब है तो रायपुर का सिकासार, बेल्लार,कुम्हारी और पेन्ड्रावन जलाशयों की स्थिति भी अच्छी ही कही जाना चाहिये। यहां बेल्लार को छोड़कर हर जलाशय में पचास प्रतिशत से ऊपर पानी है। बेल्लार का भराव मात्र बीस प्रतिशत है। जहां तक धमतरी के गंगरेल बांध का सवाल है, यहां इस समय अठासी प्रतिशत से ज्यादा पानी है। जो रायपुर- भिलाई के लिये भी एक शुभ संकेत हैं। अगर सितंबर में बारिश हो जाती है तो गंगरेल हन्ड्रेड परसेंट हो जायेगा। जबकि इसी क्षेत्र का सोंदूर और मरूमसिल्ली भी पूरी तरह से भराव की स्थिति में है। यहां क्रमश: सत्तर व बहत्तर प्रतिशत से ज्यादा पानी भरा हुआ है। दुर्ग का तांदुला खरखरा, गोंदली, मरोदा, खपरी बांध भी लबालब है। खपरी पूरी तरह से फुल हो गया है। बिलासपुर का खारंग, मनियारी और घोंधा की स्थिति भी संतोषजनक है। कोरबा के बांगों बांध में पानी अपनी क्षमता से बहुत कम है। यहां मात्र 46.62 प्रतिशत ही जलभराव हुआ है। कांकेर के दुधावा,परलकोट में साठ प्रतिशत से ज्यादा पानी भरा है तो मयाना का प्रतिशत अभी भी 26 से ऊपर नहीं पहुंचा है। महासमुन्द के कोडार बांध में साठ प्रतिशत से ज्यादा पानी है तो केशवा का पानी चालीस प्रतिशत से ऊपर नहीं गया। कबीरधाम के क्षीरपानी,सुतियापाट सरोदा और बेहारखार में से सरोदा को छोड़कर सभी डेमों में पर्याप्त पानी पहुंच गया है। राजनांदगांव के पिपरियानाला, मोगरा बराज, मटियामोती रूसे, धारा में पानी की कोई कमी नहीं है। यहां मटियामोती में सौ प्रतिशत पानी भरा हुआ है। रायगढ़ और कोरिया की स्थिति भी बेहतर है। जहां खुम्हारपाकुटही एक ऐसा बांध है जहां सत्ताईस प्रतिशत ही पानी है। जबकि अन्य बांधों केदारनाला, किनकारी नाला और पुटकानाला की स्थिति बेहतर है। कोरिया के झुमका में भी मात्र अड़तालीस प्रतिशत पानी का भराव है। अमूमन पूरे छत्तीसगढ़ में हालात इस समय ठीक ही कहा जा सकता है। अगर सितम्बर में अच्छी बारिश हो जाती है तो प्रदेश के जलाशयों में सत्तर से अस्सी प्रतिशत या उससे ज्यादा पानी का भराव दर्ज किया जायेगा। जो अगली गर्मी के लिये एक शुभ संकेत होगा।
बांधों में लबालब पानी!
मौसम विशेषज्ञों की माने तो इस बार सितंबर में भी वर्षा होगी। अगर यह बात सही निकलती है तो प्रदेश में इतना पानी तो हो जायेगा कि अगले गर्मी में लोगों को ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। बशर्ते कि हम कृषि, निस्तारी व अन्य कामों में पानी का उपयोग सीमित मात्रा में करें। हमें जो आंकड़े प्राप्त हुए हैं उसके अनुसार प्रदेश के इकचालीस जलाशयों में इस समय कम से कम चार हजार मिलियन घन मीटर पानी जमा है। हाल के दिनों में हुई वर्षा से स्थिति में काफी सुधार हुआ है। प्रदेश के जलाशयों में कुल जलभराव क्षमता छै हजार चार सौ दशमलव दो सौ उन चालीस घन मीटर है। अर्थात आज की स्थिति में आधे से भी ज्यादा अर्थात साठ से पैसठ प्रतिशत पानी जलाशयों में मौजूद है। हम इसपर संतोष इसलिये नहीं कर सकते चूंकि कई जलाशय अभी भी चौदह या सत्रह प्रतिशत से ऊपर नहीं भरे हैं। यह स्थिति सरगुजा के बाक़ी व कुंवरपुर जलाशय की है। जबकि यहीं का श्याम जलाशय जिसकी क्षमता 62. 050 मिलियन घन मीटर है, में क्षमता के अनुरूप सौ प्रतिशत पानी भर चुका है। बस्तर के कोसारटेड़ा जलाशय पूरी तरह लबालब है तो रायपुर का सिकासार, बेल्लार,कुम्हारी और पेन्ड्रावन जलाशयों की स्थिति भी अच्छी ही कही जाना चाहिये। यहां बेल्लार को छोड़कर हर जलाशय में पचास प्रतिशत से ऊपर पानी है। बेल्लार का भराव मात्र बीस प्रतिशत है। जहां तक धमतरी के गंगरेल बांध का सवाल है, यहां इस समय अठासी प्रतिशत से ज्यादा पानी है। जो रायपुर- भिलाई के लिये भी एक शुभ संकेत हैं। अगर सितंबर में बारिश हो जाती है तो गंगरेल हन्ड्रेड परसेंट हो जायेगा। जबकि इसी क्षेत्र का सोंदूर और मरूमसिल्ली भी पूरी तरह से भराव की स्थिति में है। यहां क्रमश: सत्तर व बहत्तर प्रतिशत से ज्यादा पानी भरा हुआ है। दुर्ग का तांदुला खरखरा, गोंदली, मरोदा, खपरी बांध भी लबालब है। खपरी पूरी तरह से फुल हो गया है। बिलासपुर का खारंग, मनियारी और घोंधा की स्थिति भी संतोषजनक है। कोरबा के बांगों बांध में पानी अपनी क्षमता से बहुत कम है। यहां मात्र 46.62 प्रतिशत ही जलभराव हुआ है। कांकेर के दुधावा,परलकोट में साठ प्रतिशत से ज्यादा पानी भरा है तो मयाना का प्रतिशत अभी भी 26 से ऊपर नहीं पहुंचा है। महासमुन्द के कोडार बांध में साठ प्रतिशत से ज्यादा पानी है तो केशवा का पानी चालीस प्रतिशत से ऊपर नहीं गया। कबीरधाम के क्षीरपानी,सुतियापाट सरोदा और बेहारखार में से सरोदा को छोड़कर सभी डेमों में पर्याप्त पानी पहुंच गया है। राजनांदगांव के पिपरियानाला, मोगरा बराज, मटियामोती रूसे, धारा में पानी की कोई कमी नहीं है। यहां मटियामोती में सौ प्रतिशत पानी भरा हुआ है। रायगढ़ और कोरिया की स्थिति भी बेहतर है। जहां खुम्हारपाकुटही एक ऐसा बांध है जहां सत्ताईस प्रतिशत ही पानी है। जबकि अन्य बांधों केदारनाला, किनकारी नाला और पुटकानाला की स्थिति बेहतर है। कोरिया के झुमका में भी मात्र अड़तालीस प्रतिशत पानी का भराव है। अमूमन पूरे छत्तीसगढ़ में हालात इस समय ठीक ही कहा जा सकता है। अगर सितम्बर में अच्छी बारिश हो जाती है तो प्रदेश के जलाशयों में सत्तर से अस्सी प्रतिशत या उससे ज्यादा पानी का भराव दर्ज किया जायेगा। जो अगली गर्मी के लिये एक शुभ संकेत होगा।
अच्छी जानकारी ....... आभार
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(क्या आप को पता है की आपका अगला जन्म कहा होगा ?)
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