शाबाश तारगांव!

शाबाश तारगांव!
अब आम लोगों को यह ठान लेना चाहिये कि उन्हें अपनी रक्षा खुद करना है। चाहे वह लुटेरे हो या डकैत- पुलिस जो काम नहीं कर सकी वह शनिवार की रात बागबहरा के गांव तारगांव के लोगों ने कर दिखाया। इस गांव के एक परिवार के मकान में डकैत घु़से और उन्होंने परिवार के सदस्यों के साथ मारपीट कर उन्हें रस्सियों से बांध दिया तथा नकदी जो करीब सवा लाख रूपये व जेवरात लूट लिया तथा फरार हो गये। परिवार के सदस्यों ने किसी प्रकार अपना बंधन खोलकर पुलिस को सूचना तो दी लेकिन अपने स्तर पर भी कार्रवाई की। परिवार के लोगों ने ग्रामीणों के साथ डकैतों का पीछा किया और ट्रक में फरार होने की कोशिश कर रहे डकैतों को महासमुन्द में पकड़ा और पुलिस के हवाले किया। परिवार के लोग त्वरित कार्रवाई नहीं करते तो शायद डकैत भाग जाते और पुलिस के हाथ नहीं आते। अक्सर हम ऐसे मामलों में अपनी तरफ से कुछ करने की जगह पुलिस पर निर्भर रहते हैं। यह मानते हुए भी कि ऐसे मामलों में भी पुलिस ढीली है। तारगंाव के लोगों ने इस मामले में जिस प्रकार एकता का परिचय दिया, वह अपने आप में एक मिसाल है। आज जब अपराध चरम पर है तब जब तक लोग संगठित होकर मोर्चा नहीं सम्हालेंगे। तब तक ऐसी घटनाओं पर काबू पाना कठिन है। सड़क पर लूट की घटनाओं में अपराधी पर तत्काल नियंत्रण पाया जा सकता है। यदि सड़क पर हर चलने वाला आदमी सतर्क हो। किसी पर कोई वारदात हो जाती है तो तमाशबीन बने खड़े रहने की जगह घटना की हकीकत जान तत्काल कार्रवाई की जाये, तो अपराधी का भाग पाना कठिन होता है। महासमुन्द के तारगांव के अग्रवाल परिवार को उनके साहस के लिये हम बधाई देते हैं। यह अन्य लोगों के लिये भी एक मिसाल है। तारगांव के लोगों ने जिस एकता का प्रदर्शन इस मामले में किया उसकी प्रशंसा की जानी चाहिये। अक्सर ऐसी घटनाओं के बाद होता यह है कि लोग पुलिस के आने का इंतजार करते रहते हैं। इस दौरान अपराधी अपना काम कर सुरक्षित ठिकाने पर पहुंच जाते हैं। अगर तत्काल लोग संगठित होकर डकैत का चारों तरफ से पीछा करें, तो बहुत हद तक तारगांव के घटना की तरह डकैतों को पकड़ा जा सकता है। वरना पुलिस पर निर्भर रहने वाले कितने ही लोगों के यहां अब तक कितनी ही डकैतियों का सुराग तक नहीं मिल पाया। तारगांव के लोगों को एक बार पुनरू बधाई।

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