दुष्ट पडौसी..भूमि हड़पी, अब फिर तरैर रहे आंखे!
दुष्ट पडौसी..भूमि हड़पी, अब फिर तरैर रहे आंखे!
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ कायम गतिरोध के बीच गतिरोध लम्बा खिचने के आसार हैं जबकि सेना लंबी तैयारी में जुट गई है सैनिकों के लिए सर्दियों तक वहां रुकने के इंतजाम हो रहे हैं, इससे यह माना जा रहा है कि सर्दियों से पहले यह गतिरोध खत्म होने वाला नहीं है यदि सर्दी शुरू होने के बाद भी चीनी सेना पीछे नहीं हटती है, तो फिर टकराव और लंबा खिंच सकता है.वैसे खबर है कि मंगलवार को चीन करीब डेढ़ किलोमीटी पीछे हट गई है फिर भी चीन का क्या भरोसा? भारतीय सेना को वहां कब तक रहना पड़ सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि चीनी सेना पूरी तरह पीछे कब हटती है. लद्दाख क्षेत्र में अभी सेना की करीब चार बटालियनें मौजूद हैं यह संख्या करीब 32 हजार होती है. वायुसेना एवं नौसेना की भी अतिरिक्त मौजूदगी वहां पर है.सर्दी से निपटने इस क्षेत्र में जवानों के लिए खास तरह के कपड़ों, यूनिफार्म, बूट एवं अन्य उपकरणों की जरूरत होती है, जिसमें वह शून्य डिग्री से भी नीचे के तापमान में मोर्चे पर सजग रह सके इसलिए आवश्यक सामग्री की आपातकालीन खरीद की जा रही है. सर्दियों में बर्फबारी के चलते मार्ग बंद हो जाता है हालांकि दौलतबेग ओल्डी एयरपट्टी में वायुसेना के मालवाहक विमान आसानी से उतर सकते हैं. लद्दाख या श्रीनगर में वायुयान से भी जो सामग्री भेजी जाती है, वह चंडीगढ़ से ही जाती है, इसलिए चंडीगढ़ में भी सैन्य डिपो में सभी सामग्री को तैयार रखने को कहा गया है.यह एक गंभीर मसला है कि हमारें सात पडौसियों में से कोई भी सही मित्र नहीं है बल्कि प्राय: सभी हमारी जमीन को हड़प कर बैठे हैं. सात मे से तीन से सीमा विवाद चल रहा है- नेपाल के साथ 98 प्रतिशत सीमाएं तय है लेकिन चीन का हमारी 43 हजार एक सौ अस्सी और पाकिस्तान का 78 हजार वर्ग किमी पर कब्जा, ये तीनों कब्जे वाले क्षेत्र मिलाकर एक राष्ट्र स्विट्जरलैंड के बराबर है.स्विट्जरलैंड का कुल एरिया 41 हजार 285 वर्ग किमी, जबकि पाकिस्तान और चीन के कब्जे में हमारी 1 लाख 21 हजार 80 वर्ग किमी जमीन है.चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 90 हजार वर्ग किमी पर दावा कर रखा है, जबकि लद्दाख की 38 हजार वर्ग किमी पर उसका कब्जा है. सन् 1954 में चीन की एक किताब ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ मॉडर्न चाइना आई थी जिसमें चीन का नक्शा छपा था, उसमें लद्दाख को उसका हिस्सा बताया गया था। फिर जुलाई 1958 में चीन से निकलने वाली दो मैगजीन चाइना पिक्टोरियल और सोवियत वीकली में भी चीन ने अपना जो नक्शा छापा था, उसमें भारतीय इलाकों को अपना बताया। भारत ने दोनों ही बार आपत्ति जताई, लेकिन चीन ने कहा कि नक्शे पुराने हैं और उसके पास नक्शे ठीक करने का टाइम नहीं है, इस बीच 1956-57 में चीन ने शिंजियांग से लेकर तिब्बत तक एक हाईवे बनाया इस हाईवे की सड़क अक्साई चिन से भी गुजार दी। उस समय तक अक्साई चिन भारत का ही हिस्सा था और सड़क बनाने से पहले चीन ने बताया तक नहीं भारत को भी इस बारे में बाद में पता चला शिंजियांग-तिब्बत हाईवे पर जब उस समय के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने चीन के राष्ट्रपति झोऊ इन-लाई को पत्र लिखा तो, झोऊ ने सीमा विवाद का मुद्दा उठा दिया और दावा कर दिया कि उसकी 5 हजार स्क्वायर मील यानी करीब 13 हजार स्क्वायर किमी का इलाका भारतीय सीमा में है.ये पहली बार था जब चीन ने आधिकारिक रूप से सीमा विवाद का मुद्दा उठाया. झोऊ ने ये भी कहा कि उनकी सरकार 1914 में तय हुई मैकमोहन लाइन को भी नहीं मानती् मैकमोहन लाइन 1914 में तय हुई थी.भारत की 15 हजार 106 किमी लंबी सीमा 7 देशों से लगती है ये 7 देश हैं- बांग्लादेश, चीन, पाकिस्तान, नेपाल, म्यांमार, भूटान और अफगानिस्तान। इन 7 देशों में से सिर्फ चीन-पाकिस्तान और नेपाल ही हैं, जिनके साथ हमारा सीमा विवाद चल रहा है बांग्लादेश के साथ भी पहले महज 6.1 किमी की सीमा को लेकर विवाद था, जिसे 2011 में उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बांग्लादेश दौरे में सुलझा लिया गया थाउसके बाद 2014 में भारत-बांग्लादेश के बीच समुद्री सीमा का मामला भी हल कर लिया गया.चीन अरुणाचल प्रदेश के 90 हजार स्क्वायर किमी के हिस्से पर अपनी दावेदारी करता है। जबकि, लद्दाख का करीब 38 हजार स्क्वायर किमी का हिस्सा चीन के कब्जे में है। इसके अलावा 2 मार्च 1963 को चीन-पाकिस्तान के बीच हुए एक समझौते के तहत पाकिस्तान ने पीओके का 5 हजार 180 स्क्वायर किमी चीन को दे दिया था कुल मिलाकर चीन ने भारत के 43 हजार 180 स्क्वायर किमी पर कब्जा जमा रखा है.पाकिस्तान तीसरा पड़ोसी मुल्क है, जिसके साथ भारत की सबसे लंबी सीमा लगती है। पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के 78 हजार किमी इलाके पर कब्जा कर रखा है। इसे पाक अधिकृत कश्मीर यानी पीओके भी कहते हैं। इसी 78 हजार वर्ग किमी में से पाकिस्तान ने मार्च 1963 को चीन को 5 हजार 180 किमी की जमीन दे दी थी.पाकिस्तान भारत पर 4 बार हमला कर चुका है। पहली बार आजादी के ठीक बाद 1948 में किया था. उसके बाद 1965, 1971 और 1999 में भी दोनों देशों के बीच युद्ध हो चुके हैं. 1948 की लड़ाई में ही पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर की 78 हजार किमी जमीन पर कब्जा कर लिया था। अभी ये मामला यूएन में है.सवाल यह उठता है कि क्या हम अपने पडौसियों द्वारा लूटी गई जमीन को वापस ले पायेंगे या यूं ही वार्ता का सिलसिला कई पीडिय़ों तक चलता रहेगा?
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ कायम गतिरोध के बीच गतिरोध लम्बा खिचने के आसार हैं जबकि सेना लंबी तैयारी में जुट गई है सैनिकों के लिए सर्दियों तक वहां रुकने के इंतजाम हो रहे हैं, इससे यह माना जा रहा है कि सर्दियों से पहले यह गतिरोध खत्म होने वाला नहीं है यदि सर्दी शुरू होने के बाद भी चीनी सेना पीछे नहीं हटती है, तो फिर टकराव और लंबा खिंच सकता है.वैसे खबर है कि मंगलवार को चीन करीब डेढ़ किलोमीटी पीछे हट गई है फिर भी चीन का क्या भरोसा? भारतीय सेना को वहां कब तक रहना पड़ सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि चीनी सेना पूरी तरह पीछे कब हटती है. लद्दाख क्षेत्र में अभी सेना की करीब चार बटालियनें मौजूद हैं यह संख्या करीब 32 हजार होती है. वायुसेना एवं नौसेना की भी अतिरिक्त मौजूदगी वहां पर है.सर्दी से निपटने इस क्षेत्र में जवानों के लिए खास तरह के कपड़ों, यूनिफार्म, बूट एवं अन्य उपकरणों की जरूरत होती है, जिसमें वह शून्य डिग्री से भी नीचे के तापमान में मोर्चे पर सजग रह सके इसलिए आवश्यक सामग्री की आपातकालीन खरीद की जा रही है. सर्दियों में बर्फबारी के चलते मार्ग बंद हो जाता है हालांकि दौलतबेग ओल्डी एयरपट्टी में वायुसेना के मालवाहक विमान आसानी से उतर सकते हैं. लद्दाख या श्रीनगर में वायुयान से भी जो सामग्री भेजी जाती है, वह चंडीगढ़ से ही जाती है, इसलिए चंडीगढ़ में भी सैन्य डिपो में सभी सामग्री को तैयार रखने को कहा गया है.यह एक गंभीर मसला है कि हमारें सात पडौसियों में से कोई भी सही मित्र नहीं है बल्कि प्राय: सभी हमारी जमीन को हड़प कर बैठे हैं. सात मे से तीन से सीमा विवाद चल रहा है- नेपाल के साथ 98 प्रतिशत सीमाएं तय है लेकिन चीन का हमारी 43 हजार एक सौ अस्सी और पाकिस्तान का 78 हजार वर्ग किमी पर कब्जा, ये तीनों कब्जे वाले क्षेत्र मिलाकर एक राष्ट्र स्विट्जरलैंड के बराबर है.स्विट्जरलैंड का कुल एरिया 41 हजार 285 वर्ग किमी, जबकि पाकिस्तान और चीन के कब्जे में हमारी 1 लाख 21 हजार 80 वर्ग किमी जमीन है.चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 90 हजार वर्ग किमी पर दावा कर रखा है, जबकि लद्दाख की 38 हजार वर्ग किमी पर उसका कब्जा है. सन् 1954 में चीन की एक किताब ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ मॉडर्न चाइना आई थी जिसमें चीन का नक्शा छपा था, उसमें लद्दाख को उसका हिस्सा बताया गया था। फिर जुलाई 1958 में चीन से निकलने वाली दो मैगजीन चाइना पिक्टोरियल और सोवियत वीकली में भी चीन ने अपना जो नक्शा छापा था, उसमें भारतीय इलाकों को अपना बताया। भारत ने दोनों ही बार आपत्ति जताई, लेकिन चीन ने कहा कि नक्शे पुराने हैं और उसके पास नक्शे ठीक करने का टाइम नहीं है, इस बीच 1956-57 में चीन ने शिंजियांग से लेकर तिब्बत तक एक हाईवे बनाया इस हाईवे की सड़क अक्साई चिन से भी गुजार दी। उस समय तक अक्साई चिन भारत का ही हिस्सा था और सड़क बनाने से पहले चीन ने बताया तक नहीं भारत को भी इस बारे में बाद में पता चला शिंजियांग-तिब्बत हाईवे पर जब उस समय के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने चीन के राष्ट्रपति झोऊ इन-लाई को पत्र लिखा तो, झोऊ ने सीमा विवाद का मुद्दा उठा दिया और दावा कर दिया कि उसकी 5 हजार स्क्वायर मील यानी करीब 13 हजार स्क्वायर किमी का इलाका भारतीय सीमा में है.ये पहली बार था जब चीन ने आधिकारिक रूप से सीमा विवाद का मुद्दा उठाया. झोऊ ने ये भी कहा कि उनकी सरकार 1914 में तय हुई मैकमोहन लाइन को भी नहीं मानती् मैकमोहन लाइन 1914 में तय हुई थी.भारत की 15 हजार 106 किमी लंबी सीमा 7 देशों से लगती है ये 7 देश हैं- बांग्लादेश, चीन, पाकिस्तान, नेपाल, म्यांमार, भूटान और अफगानिस्तान। इन 7 देशों में से सिर्फ चीन-पाकिस्तान और नेपाल ही हैं, जिनके साथ हमारा सीमा विवाद चल रहा है बांग्लादेश के साथ भी पहले महज 6.1 किमी की सीमा को लेकर विवाद था, जिसे 2011 में उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बांग्लादेश दौरे में सुलझा लिया गया थाउसके बाद 2014 में भारत-बांग्लादेश के बीच समुद्री सीमा का मामला भी हल कर लिया गया.चीन अरुणाचल प्रदेश के 90 हजार स्क्वायर किमी के हिस्से पर अपनी दावेदारी करता है। जबकि, लद्दाख का करीब 38 हजार स्क्वायर किमी का हिस्सा चीन के कब्जे में है। इसके अलावा 2 मार्च 1963 को चीन-पाकिस्तान के बीच हुए एक समझौते के तहत पाकिस्तान ने पीओके का 5 हजार 180 स्क्वायर किमी चीन को दे दिया था कुल मिलाकर चीन ने भारत के 43 हजार 180 स्क्वायर किमी पर कब्जा जमा रखा है.पाकिस्तान तीसरा पड़ोसी मुल्क है, जिसके साथ भारत की सबसे लंबी सीमा लगती है। पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के 78 हजार किमी इलाके पर कब्जा कर रखा है। इसे पाक अधिकृत कश्मीर यानी पीओके भी कहते हैं। इसी 78 हजार वर्ग किमी में से पाकिस्तान ने मार्च 1963 को चीन को 5 हजार 180 किमी की जमीन दे दी थी.पाकिस्तान भारत पर 4 बार हमला कर चुका है। पहली बार आजादी के ठीक बाद 1948 में किया था. उसके बाद 1965, 1971 और 1999 में भी दोनों देशों के बीच युद्ध हो चुके हैं. 1948 की लड़ाई में ही पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर की 78 हजार किमी जमीन पर कब्जा कर लिया था। अभी ये मामला यूएन में है.सवाल यह उठता है कि क्या हम अपने पडौसियों द्वारा लूटी गई जमीन को वापस ले पायेंगे या यूं ही वार्ता का सिलसिला कई पीडिय़ों तक चलता रहेगा?
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें