सच्ची समानता लाने की दिशा में उठा एक कदम....

सच्ची समानता लाने की दिशा में उठा एक कदम....
  पुरुषों की तरह महिलाओं को सेना में कमांड पोस्ट देने सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने देश में महिलाओं के हक दिलाने एक बड़ी पहल है.अदालत ने दिल्ली हाई कोर्ट के 2010 के उस फ़ैसले को बरकऱार रखा है जिसमें महिलाएं भी पुरुषों की तरह सेना में कमांड पोस्ट संभाल सकती हैं. इस फैसले से सेना की सभी महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन मिलेगा चाहे वो कितने भी समय से कार्यरत हों.पांच साल के शॉर्ट सर्विस कमीशन से महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन तक का सफऱ अब पूरा हो चुका है. सरकार ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी है.सेना की एक पूर्व महिला अधिकारी मानती है कि जब 2008 में हमने ये लड़ाई शुरू की थी तो सोचा भी नहीं था कि वाक़ई ये दिन आयेगा. इतना आसान नहीं था महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन पाना लेकिन आज लगता है कि कोशिश करते रहने से असंभव भी संभव हो सकता है. इससे न सिर्फ़ महिलाओं का हौसला बढ़ेगा बल्कि उनके सामने अवसरों का आसमान भी खुल जाएगा.ग्यारह  महिला अधिकारियों ने स्थायी कमीशन दिलाने के लिए याचिका दायर की थी.सुप्रीम कोर्ट ने 17 फऱवरी को भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का फ़ैसला सुनाया था.अब भारत के रक्षा मंत्रालय ने महिलाओं को भारतीय सेना में स्थायी कमीशन प्रदान करने की मंज़ूरी दे दी है. इस संबंध में औपचारिक आदेश भी जारी कर दिया गया है. शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत महिलाएं केवल 10 या 14 साल तक सेवाएं दे सकती हैं. इसके बाद वो सेवानिवृत्त हो जाती हैं. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा अब उन्हें स्थायी कमीशन के लिए आवेदन करने का भी मौक़ा मिलेगा. जिससे वो सेना में अपनी सेवाएं आगे भी जारी रख पाएंगी और रैंक के हिसाब से सेवानिवृत्त होंगी. साथ ही उन्हें पेंशन और सभी भत्ते भी मिलेंगे.साल 1992 में शॉर्ट सर्विस कमीशन के लिए महिलाओं का पहला बैच भर्ती हुआ था. तब ये पाँच साल के लिए हुआ करता था. इसके बाद इस सर्विस की अवधि को 10 साल के लिए बढ़ाया गया. साल 2006 में सर्विस को 14 साल कर दिया गया.पुरुष अधिकारी शॉर्ट सर्विस कमीशन के 10 साल पूरे होने पर अपनी योग्यता के अनुसार स्थायी कमीशन के लिए आवेदन कर सकते हैं लेकिन महिलाएं ऐसा नहीं कर सकती थीं. वर्तमान में महिलाओं को शॉर्ट सर्विस कमीशन के ज़रिए सेना में भर्ती किया जाता है जबकि पुरुष सीधे स्थायी कमीशन के ज़रिए भी भर्ती हो सकते हैं.सरकार के इस फ़ैसले से महिला अधिकारियों को अब सेना में बड़ी भूमिकाएं निभाने के लिए उनके सशक्तिकरण का रास्ता खोलेगा. महिलाओं को  करीब 10 शाखाओं- आर्मी एयर डिफ़ेंस (एएडी), सिग्नल्स, इंजीनियर्स, आर्मी एवियेशन, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स (ईएमई), आर्मी सर्विस कॉर्प्स (एएससी), आर्मी ऑर्डिनेंस कॉर्प्स (एओसी) और इंटेलीजेंस कॉर्प्स में स्थायी कमीशन (पीसी) देने को मंज़ूरी दी गई है.इस समय महिलाओं को जज एवं एडवोकेट जनरल (जेएजी) और आर्मी एजुकेशनल कोर (एईसी) में स्थायी कमीशन मिलता है.नये नियम के अनुसार अब सभी प्रभावित एसएससी महिला अधिकारी अपने विकल्प का इस्तेमाल करती हैं और आवश्यक दस्तावेज़ पूरे करती हैं, वैसे ही उनका चयन बोर्ड निर्धारित होगा.इस विकल्प के साथ ही ना सिर्फ़ भारतीय सेना का हिस्सा बनने की चाह रखने वाली लड़कियों को बल्कि सेना में मौजूद महिलाओं के लिए भी एक नया रास्ता खुल गया है, जिसमें समानता और सम्मान है.स्थायी कमीशन को लेकर पहली याचिका साल 2003 में डाली गई थी. इसके बाद ग्यारह महिला अधिकारियों ने इस संबंध में वर्ष 2008 में फिर से हाई कोर्ट में याचिका डाली. कोर्ट ने महिला अधिकारियों के हक़ में फ़ैसला सुनाया लेकिन फिर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस फ़ैसले को चुनौती दे दी. फऱवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने भी महिला अधिकारियों के पक्ष में ही फ़ैसला दिया. शॉर्ट सर्विस कमीशन में वो लेफ्टिनेंट कर्नल से आगे नहीं जा सकती थीं. लेकिन अब महिलाओं को एडवांस लर्निंग के विभागीय कोर्सेज़ में भी भेजा जाएगा. अगर वे इसमें अच्छा प्रदर्शन करते हो तो पदोन्नति में इसका फ़ायदा मिलता है. महिलाएं स्थायी कमीशन के लिए चुने जाने पर फुल कर्नल, ब्रिगेडियर और जनरल भी बन सकती हैं.दूसरा फ़ायदा ये है कि सरकार का आदेश आने पर अब महिलाओं की भर्ती के लिए जो विज्ञापन आएंगे उनमें साफ़तौर पर लिखा जाएगा कि आपको योग्यता के आधार पर स्थायी कमीशन प्रदान किया जाएगा. पहले के विज्ञापनों में सिर्फ़ 14 साल के शॉर्ट सर्विस कमीशन का जिक्र होता था.अब नई लड़कियों को पता होगा कि इन सभी 10 शाखाओं में वो स्थायी कमीशन के ज़रिए सेना में उच्चतम पद तक पहुँच सकती हैं. वो इसी के अनुसार अपनी पढ़ाई और अन्य तैयारी कर सकेंगी.

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