एक फैसला, जिसे आने में पैतीस साल लगे!
राजस्थान में इन दिनों राजनीतिक माहौल गर्म है. सीएम और डिप्टी सीएम में जंग चल रही है. डिप्टी सीएम को पद से बेदखल कर दिया गया है वहीं आज से पैतीस साल पहले भी कुछ ऐसा भूचाल आया था जब विधायक राजा मानसिंह ने उस समय के मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर के हेलीकाप्टर को जीप से टक्कर मारी थी जिसके जवाब में पुलिस ने राजा मानसिंह की हत्या कर दी थी.इस हत्याकांड का फै सला आने में पूरे पैतीस साल लग गये. 22 जुलाई 2020 को इसका फैसला आया जिसमें 11 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराकर उम्रकैद की सजा सुनाई गई. यह एक ऐसा मामला था, जिसने राजस्थान की राजनीति में एक तरह से भूचाल ला दिया था.मौजूदा विधायक के एनकाउंटर का भी यह अपने आप में पहला मामला था.आज की पीढ़ी के बहुत कम लोग राजा मानसिंह के बारे में जानते हैं.भरतपुर रियासत के राजा मान सिंह का जन्म 1921 में हुआ था.राजा मान सिंह को आम जनता के बीच रहना ज्यादा पसंद था. बहुत स्वाभिमानी व्यक्ति थे. ब्रिटेन से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी,फिर अंग्रेजी शासन में सेना में सेकंड लेफ्टिनेंट भी हो गए. उस समय भरतपुर में लोग देश के साथ रियासत का भी झंडा लगाते थे बस इसी बात पर अंग्रेजों से ठन गई नौकरी छोड़ी और राजनीति में आ गए. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद राजनीति में तो आ गये मगर उन्हेें कांग्रेस का साथ मंजूर नहीं था इसलिए निर्दलीय चुनाव लड़ा.डीग विधानसभा सीट से 1952 से 1984 तक सात बार निर्दलीय विधायक चुने गए. कांग्रेस से इस बात पर समझौता था कि उनके खिलाफ उम्मीदवार भले ही उतारें, लेकिन कोई बड़ा नेता प्रचार के लिए नहीं आएगा. 1977 में जेपी लहर और 1980 की इंदिरा लहर में भी वह चुनाव जीते.तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1985 में राजस्थान में विधानसभा चुनाव थे,उस समय राज्य के मुख्यमंत्री थे शिवचरण माथुर. कहा जाता है कि उन्होंने डीग सीट को नाक का सवाल बना लिया. डीग से उनके खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार थे सेवानिवृत्त आईएएस ब्रिजेंद्र सिंह. 20 फरवरी को माथुर कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करने के लिए डीग पहुंच गए यह कांग्रेस के किसी बड़े नेता को प्रचार के लिए न भेजने के समझौते का उल्लघंन था.माथुर के इस कदम से स्थानीय कांग्रेसी

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