निजता के अधिकार को और कितनी बार चुनौती ?


फिर एक बार फोन टेपिंग सुर्खियों में र्है. पूरे भारत में लगभग 6000 से ज्यादा फोन रोज टैप होते हैं. अक्सर नेताओं, बड़े लोगों और कभी- कभी फिल्मी सितारों के फोन भी टैप हो जाते हैं. बहुत से लोगों ने फोन टेपिंग की खबर सुनी है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि आखिर यह किस्सा क्या है. लोग हमारी निजता [प्रायवेसी] को कैसे चुरा लेते हैं? कौन इन्हे टैप करता है? एक सर्वे के अनुसार ज्यादातर लोग अपने निजता के प्रति सख्त कानून चाहते हैं. दरअसल, जब कोई तीसरा व्यक्ति किसी की बिना इजाजत के आपकी बातचीत को रिकॉर्ड करके सुने उसे फोन टैपिंग कहते हैं ये टेलीफोन या इंटरनेट कालिंग किसी भी माध्यम से हो सकता है. प्राइवेसी या निजता  का अधिकार सभी व्यक्तियों को मिला हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने निजता को मौलिक अधिकार माना है.ऐसे में अगर कोई आपका फोन टैप करता है तो यह गैरकानूनी होता है.पहले जब भारत के पास तार वाले फोन यानि लैंडलाइन हुआ करते थे, तो टैपिंग बहुत आसान हुआ करता था. एक रेडियो स्कैनर की मदद से कि सी का भी टेलीफोन काफी आसानी से टैप किया जा सकता था. दरअसल, रेडियो स्कैनर कई तरह की फ्रीक्वेंसी में काम करने में सक्षम था, इससे टेलीफोन में हो रही बातचीत को रेडियो स्कैनर में लगे माइक्रोफोन की सहायता से सुना जा सकता था. आधुनिक स्मार्टफोन किसी लाइन पर नहीं बल्कि डिजिटल ट्रांसमिशन और डिजिटल एनकोडिंग पर आधारित है इन्हे टैप करना किसी बाहरी व्यक्ति के लिए लगभग नामुमकिन है, इन्हे सिर्फ टेलीकॉम कंपनियां ही टैप कर सकती हैं, वो भी तब जब सरकार का आदेश हो. फोन टैपिंग  भारत के इंडियन टेलीग्राफिक एक्ट के तहत आता है. इस एक्ट के अनुसार सरकार जनहित में किसी भी फोन को टैप करवा सकती है परन्तु सरकार को भी इसके लिए नियमों का पालन करना होता  है.देश में फोन टेपिंग के मामले का फिर उदय हुआ है.राजस्थान में सीएम गहलोत और पायलट खेमे के बीच सियासी घमासान जारी है इस बीच फोन टैपिंग को लेकर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने आ गई है. यहां हम बता दे कि छत्तीसगढ़ में अंतागढ़ टेप कांड भी खासी चर्चा का विषय रहा है. 2014 में कांग्रेस प्रत्याशी मंतूराम पवार ने नामांकन के अंतिम दिन अपना नाम वापस ले लिया था.राजस्थान के सियासी घमासान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के आमने-सामने की जंग में अब ऑडियो टेप के जरिए भाजपा की भी एंट्री हो गई है. हाल ही में एक ऑडियो सामने आया था, जिसमें सरकार गिराने को लेकर सौदे की बात सामने आई थी.जिसमें कथित तौर पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और कांग्रेस के विधायक भंवरलाल शर्मा का नाम सामने आया है. कांग्रेस ने सरकार गिराने व विधायकों की खरीद फरोख्त की साजिश का आरोप भाजपा पर लगाया तो भाजपा ने भी फोन टैपिंग पर सवाल खड़े कर दिए और सीबीआई जांच की मांग कर दी। राज्य सरकार की तरफ से जांच भी गठित कर दी गई है और इस बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी राजस्थान के मुख्य सचिव से रिपोर्ट तलब कर ली है.फोन टैपिंग भारतीय राजनीति में कोई पहली बार नहीं हो रहा है इससे पहले भी कई फोन टैपिंग के मामले सामने आ चुके हैं.फोन टैपिंग के बाद 10 अगस्त 1988 को रामकृष्ण हेगड़े को कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.केंद्र सरकार ने अपनी एजेंसियों की जांच में पाया कि कर्नाटक पुलिस के डीआईजी ने कम से कम 50 नेताओं और बिजनेसमैन के फोन टेप करने के ऑर्डर दिए थे.इनमें हेगड़े के विरोधी भी शामिल थे। ऐसे में कर्नाटक के सीएम सवालों के घेरे में आ गए, वे अपना बचाव करते उससे पहले ही सुब्रहमण्यम स्वामी ने एक लेटर प्रेस में जारी कर दिया,जिसमें एक पूर्व इंटेलिजेंस अधिकारी ने टेलिकॉम विभाग से कर्नाटक के नेताओं, व्यापारियों और पत्रकारों के फोन टेप करने की बात कही थी. 2009-10 में 2009-10 में नीरा राडिया टेप कांड खासा चर्चा में रहा,आयकर विभाग ने 2008 से 2009 के बीच नीरा राडिया के साथ कुछ वरिष्ठ पत्रकारों, राजनेताओं व कॉरपोरेट घरानों के अधिकारियों की बातचीत को रिकॉर्ड किया था, इसमें बड़े लेवल पर भ्रष्टाचार और पैसों के लेन-देन की बात सामने आई थी,साथ ही कंपनियों को ठेका दिलाने के नाम पर वसूली की भी बात कही गई थी, इसके साथ ही नीरा राडिया पर पॉलिटिकल लॉबिंग का भी आरोप लगा था कि वह किस नेता को कौन सा मंत्री पद मिले इसके लिए लॉबिंग करती थी.तब राडिया के 300 से ज्यादा फोन टेप किए गए थे. इसमें देश के कई नेताओं व बड़े कारोबारियों का नाम सामने आया था, तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा का भी नाम सामने आया बाद में उन्हें टू जी स्पेक्ट्रम मामले में इस्तीफा देना पड़ा था.2019 में कर्नाटक में कांग्रेस ने एक ऑडियो जारी कर भाजपा पर खरीद फरोख्त का आरोप लगाया था कांग्रेस ने कहा था कि भाजपा कर्नाटक में कालाधन का इस्तेमाल कर सरकार को गिराने की साजिश रच रही है. प्रेस को संबोधित करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था कि बीएस येदियुरप्पा ने कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों को करोड़ों रुपये देने की लालच देकर सरकार गिराने की कोशिश की है. पुलिस ने तब येदियुरप्पा सहित तीन लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था. इसके कुछ दिनों बाद कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों ने इस्तीफा दे दिया और प्रदेश में येदियुरप्पा की सरकार बनी. सरकार बनने के बाद येदियुरप्पा ने टेपकांड की जांच सीबीआई से कराने की अनुमति दे दी.2005-06 में अमर सिंह फोन टैपिंग मामला भी खासा चर्चा में रहा उन्होंने अपनी बातचीत की टैपिंग किए जाने की बात कही थी. अमर सिंह ने केंद्र सरकार और सोनिया गांधी पर फोन टैपिंग का आरोप लगाया था1 मामला सुप्रीम कोर्ट में गयाद्व चार साल तक केस चला और आखिरकार अमर सिंह ने अपना आरोप वापस ले लिया.इस समय फोन टैपिंग के आरोपों से राजस्थान की गहलोत  सरकार घिरी हुई है. गैैरकानूनी  साबित होने पर तीन साल तक की सजा हो सकती है.

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