प्रकृति ने इंसान को आइना दिखाया

प्रकृति ने इंसान को आइना दिखाया
 मुफत में कोरोना भूकंप,बाढ़,आग,टिड्डी और बहुत कुछ...
पहले कलयुगी मानव ने दुनिया को लालच दिया कि तुम एक खरीदों, हम तुम्हें दो देंगे....लेकिन प्रकृति ने अब उसे ऐसा करारा जवाब दिया कि  एक के बाद एक कई विपत्तियां मुफत में मिलने लगी. प्रकृति की मार के आगे आज मनुष्य बेबस और लाचार है. लालच इतना मंहगा पड़ा कि उसे कुदरत के खेल के सामने घुटने टेकने पड़े! पृथ्वी के जीवों को इस बात के संकेत बहुत पहले ही मिल चुके थे  कि तुम आबादी मत बढ़ाओं, वनो की कटाई मत करों, पीने के पानी की बरबादी मत करो,प्रदूषण मत बढ़ाओं और प्रकृति के विरूद्व जाकर ईश्वर बनने की कोशिश भी मत करो लेकिन मानव जाति ने इसे गीदड भभकी समझा उसने  इनमें से किसी को नहीं माना. ईश्वर द्वारा बनाये गये प्राणियों को उसने अपना भोजन बना लिया.उसके चिथड़े चिथड़े करके यह जानने की कोशिश की क्या हम इसके जरियें इस ईश्वर द्वारा बनाये गये यंत्र से अपने दुश्मनों को खत्म नहीं कर सकते?  चीन, और अमेरिका,रूस जर्मनी और अन्य कुछ यूरोपिय देशों में जहां प्रकृति के विरू द्व जाकर बहुत काम हुआ वहां कुदरत ने ऐसी बर्बादी की कि उनको हर ऐसे मामलों के लिये लेने के देने पड़ गये. कहते हैं ने गेंहूं के साथ घुन भी पिस जाता है इसी प्रकार हमारा देश और हमारें लोग भी प्रकृति के मार की चक्की में पिस गये. हमे अपने आपको भी दोषी मान लेना चाहिये कि हमने भी विश्व के इन विकासशील देशों का साथ दिया यहां भी हमने अपनी छोटी सी धरती में बढ़ रही मानव फौज को कम करने पर कोई ध्यान नहीं दिया बल्कि हम भी अपनी धरती मे आबादी बढ़ाने योगदान देते रहे और वह सब नष्ट करते रहे जिसे प्रकृति ने हमें मुफत में दिया था. नदियों के रास्ते बदल दिये गये, तालाबों को पाट दिया गया,वनों को उजाड़ दिया. प्रकृति द्वारा पानी से ज्यादा पानी के लालच में जगह-जगह जरूरत से ज्यादा बांध बना दिये गये, वनों को काटकर चिकनी चुनड़ी सड़के बना दी जिससे प्रकृति द्वारा प्रदत्त पानी की धरती में वापसी बदं हो गई.प्रकृति के साथ जिस ढंग से मजाक इंसान ने किया उसका दुष्परिणाम अभी और आने वाली पीढ़ी को भी बहुत सालों तक सुनना, देखना और भुगतना पड़ेगा! आज कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है वर्ल्डोमीटर के मुताबिक विश्व में कोरोना से पोच दशतलव पैतालीस लाख लोगों की जान जा चुकी है अर्थात प्रकृति ने उन्हें अपनी गोद में समेट लिया है अभी 1.19 करोड़ लोग संक्रमित होकर लाइन में लगे हुए हैं. एक खबर यह भी आई है कि भारत में करोना संक्रमितो की संख्या आगे आने वाले महीनो में प्रतिदिन एक लाख तक हो जायेगी. हमारी व्यवस्था कहां तक इतने लोगो का इलाज कर सकेगी? है उसके पास इतने डाक्टर-अस्पताल? इस बीच, पहले से आर्थिक तंगहाली का शिकार पाकिस्तान अब और भी बुरे हाल में है यहां 50 फीसदी लोगों की या तो नौकरी चली गई है अथवा वेतन कम हो गए,भुखमरी से देश बेहाल है. जबकि ब्राजील में अब भी हालात खराब हैं. भारत का हाल सभी के सामने है. मजदूरों को अपने घरों तक पहुंचने के लिये सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलना पड़ा.सैकड़ों लोग मारे गये. कोरोना से  पीडित उद्योगों ने नौकरी कर रहे लाखों लोगों को घर बैठा दिया. ट्रेन और विमान सेवाएं आज तक पटरी पर नहीं आई. बाहर देशों से आये टिड्डियों के दलों ने रही सही कसर भी पूरी कर दी और अब बरसात के मौसम में बाढ का कहर ऐसा कि जिदंगी मुश्किल हो गई. भूकंप के झटकों ने न केवल भारत के कई भागों को हिलाकर रख दिया वहीं आपराधिक घटनाओं, दुर्घटाओ की तादात बढ़़कर दो से तीन गुनी हो गई. इसमें कई निर्दोष लोग मारे भी जा रहे हैं. इण्डोनेशिया जैसे देशों को कई बार भूकंप झटके देकर पूछ रहा है कि तुम्हें हम कैसी सजा दें. चीन में बाढ़ ने ऐसी तबाही मचाई कि उसके सत्ताईस से ज्यादा जिले तालाब नहीं समुन्द्र जैसे नजर आने लगे. अब भी विश्व को सम्हल जाना चाहिये कि वह कुदरत से छेड़छाड़ करना बंद कर दे.वास्तविकता यही है कि प्राणदायी प्रकृति ने इंसान को आईना दिखा दिया है प्रकृति की वेदना को संवेदनहीन व धनलिप्सा में डूबा मानव दरकिनार कर रहा है, मानव  से दानव बन चुके कलयुगी मानव का जीवन ठहर गया है. प्रकृति एक ऐसी शक्ति है जो भेदभाव नहीं करती.अब भी मानव को सीख लेना चाहिये कि प्रकृति के बिना मानव प्रगति नहीं कर सकता, प्रत्येक मानव को बराबर धूप व हवा व पानी दे रही है. मानव ने स्वार्थो की पूर्ति के लिए प्रकृति को लहूलुहान किया है। आज प्रकृति ने अपना बदला ले लिया है,तबाही की इबारत लिख दी है.मानव ने प्रकृति के दामन को मैला करने की गुस्ताखी करके अपने पैरों पर खुद ही कुल्हाड़ी मारी है प्रकृति को अपने खिलाफ होने का निमंत्रण दिया है. किए की सजा तो  भुगतना ही पड़ेगा।

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