कोरोना वेक्सीन से पहले यह कैसा विवाद!
कोरोना वेक्सीन से पहले यह कैसा विवाद!
Before corona vaccine
What kind of controversy!
दुनिया में सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित देशों में अमेरिका पहले और ब्राजील दूसरे स्थान पर है. भारत मे कोरोना एक दिन मे 24 पच्चीस हजार के रिकार्ड पर पहुंच गया है जबकि देश में संक्रमितो की संख्या 6.73 लाख तक है. घबराने की बात यह भी है कि भारत रूस को भी पीछे छोड़ चुका है. भारत में ही रोजाना संक्रमण के सबसे ज्यादा नए केस आ रहे हैं.फिलहाल तक लाइलाज कोराना में मरने वालों की संख्या भारत में अन्य देशो के मुकाबले कम है लेकिन बढ़ते मरीजो की संख्या चिंता का विषय है. इस बात को नहीं नकारा जा सकता कि मरीजो की संख्या के हिसाब से हमारे पास उनको रखने व इलाज दोनो की कमी है. अब तक की स्थिति का आकलन किया जाये तो विश्व में कोई दावे के साथ यह कहने की स्थिति में नहंीं है कि किसी ने ऐसी कोई ठोस दवा बना ली है कि वह इस महामारी को जड़ से खत्म कर दे हालाकि दावा सभी तरह से हो रहा है किन्तु ठोस दावा किसी के पास नहीं है. भारत की संंस्था आईसीएमआर ने दो जुलाई को प्रमुख शेधकर्ताओं को कोरोना वायरस वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल जल्द से जल्द पूरा करने के लिए कहा है ताकि 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) के दिन विश्व को पहला कोरोना वैक्सीन दिया जा सके। देश के कुछ वरिष्ठ वैज्ञानिकों, सरकारी अधिकारियों और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के आदेश से आईसीएमआर की विश्वसनीयता धूमिल हुई है जबकि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की पूर्व सचिव सुजाता राव का यह मानना है कि महत्वाकांक्षी होना अच्छी बात है, लेकिन टीका की सुरक्षा और प्रभाव की कीमत पर नहीं, वे यह भी कहते हैं कि 2021 के बजाय 2020 तक वैक्सीन तैयार करने की बात कहना एक टाइपिंग मिस्टेक है. अगर ऐसा नहीं है तो यह गंभीर मामला है, क्योंकि प्रस्तावित कोरोना 15 अगस्त तक अधूरे डाटा के जरिए तैयार हो सकती है इसके लिए कोई और रास्ता नहीं है.उधर बाबा रामदेव भी अपना करोना के इलाज को विश्व से मिटाने के लिये घरेलू सामग्रियो से तैयार दवा के माध्यम से यह दावा कर रहे हैं कि उनकी दवाई कारगर है मगर हकीकत में जब कई पीडि़त चंगा होकर निकलेंगे तभी इन दवाओ का महत्व रह जाता है. इन दावा करने वालों की बात एक तरफ है और कोराना का फैलाव दूसरी तरफ हैं जो अपना विस्तार कर यह बता रहा है कि हमारा कोई विकल्प नहीं. कोवा एंड इन वैक्सीन के लिए मानव परीक्षण करने वाले 12 अस्पतालों के प्रमुखों को डॉ. भार्गव ने चि_ी लिखकर 7 जुलाई तक मानव परीक्षण करने के लिए कहा है, ऐसा नहीं करने पर इसे आदेश की अवेहलना के तौर पर देखा जाएगा यह कठोरता कोविड़ की मानवप्रजाती की गंभीरता का एक उदाहरण है.यह भी दावा किया जा रहा है कि अगर चीजें दोषमुक्त तरीके से की जा जाए तो टीके का परीक्षण खासतौर पर प्रतिरक्षाजनत्व और प्रभाव जांचने के लिए चार हफ्ते में संभव नहीं है। कोरोना वायरस के खिलाफ टीका लांच की प्रक्रिया को गति देना या जल्द लांच करने का वादा करना प्रशंसा के योग्य है, लेकिन यह सवाल महत्वपूर्ण है कि क्या हम बहुत ज्यादा जल्दबाजी कर रहे हैं? सीआईएसआर-आईआईसीबी कोलकाता में वरिष्ठ वैज्ञानिक मानते हैं कि हमें सावधानी से आगे बढऩा चाहिए. इस परियोजना को उच्च प्राथमिकता देना नितांत आवश्यक है दूसरी ओर आईसीएमआर की 15 अगस्त तक कोरोना वायरस (कोविड-19) का टीका लाने की योजना की खबरों के बाद विशेषज्ञों ने भी दवा बनाने की प्रक्रिया में हड़बड़ी से बचने की सलाह दी है जिस पर आईसीएमआर का कहना है कि वह महामारी के लिए तेजी से टीका बनाने के वैश्विक रूप से स्वीकार्य सभी नियमों के अनुरूप काम कर रहा है। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि दो जुलाई को चयनित चिकित्सा संस्थानों और अस्पतालों के प्रमुख अन्वेषकों को भारत बायोटेक के साथ साझेदारी में विकसित किए जा रहे टीके कोवेक्सिन के लिए मनुष्य के ऊपर परीक्षण की मंजूरी जल्द से जल्द दे.े्र्र्र दुनियाभर में इस तरह के विकसित किए जा रहे सभी अन्य टीकों पर भी काम तेज कर दिया गया है। आईसीएमआर मानता है कि नए स्वदेश निर्मित जांच किट को त्वरित मंजूरी देने या कोविड-19 की प्रभावशाली दवाओं को भारतीय बाजार में उतारने में लाल फीताशाही को रोड़ा नहीं बनने देने के लिए स्वदेशी टीका बनाने की प्रक्रिया को भी, फाइलें धीरे-धीरे बढऩे के चलन से अलग रखा गया है। इन चरणों को जल्द से जल्द पूरा करने का मकसद है कि बिना देरी के जनसंख्या आधारित परीक्षण किए जा सकें.Before corona vaccine
What kind of controversy!
America ranks first and Brazil second in the most corona-affected countries in the world. In India, Corona has reached a record of 24 twenty five thousand a day whereas the number of infected people in the country is up to 6.73 lakhs. It is also a matter of worry that India has left Russia behind too. India has the highest number of new cases of daily infections. Till now, the number of deaths in untreated Korana is less than other countries in India, but the number of rising patients is a matter of concern. It cannot be denied that according to the number of patients, we have a shortage of both their treatment and treatment. Assessing the situation so far, no one in the world is in a position to say with a claim that anyone has made any such solid medicine to end this epidemic, although the claim is happening all the way. But no one has a concrete claim. India's institution ICMR on July 2 has asked the leading researchers to complete the clinical trial of the corona virus vaccine as soon as possible to give the world the first corona vaccine on 15 August (Independence Day). Some senior scientists, government officials and public health experts in the country say such an order has tarnished the credibility of the ICMR, while Sujata Rao, former secretary of the Ministry of Health and Family Welfare, believes that being ambitious is a good thing, but Not at the cost of the safety and effectiveness of the vaccine, they also say that to say that the vaccine should be prepared by 2020 instead of 2021 is a typing mistake. If this is not the case, then it is a serious matter, because the proposed corona can be prepared by incomplete data by August 15, there is no other way for this. On the other hand, Baba Ramdev is also ready to remove his treatment of karana from domestic materials. Through medicine, they are claiming that their medicine is effective, but in reality, these medicines remain important only when many victims are cured. The talk of these claimants is on one side and the spread of Korana is on the other side, which is expanding itself and saying that we have no alternative. Dr. Bhargava has written to the chiefs of 12 hospitals conducting human tests for Cova and In Vaccine asking them to conduct human tests by July 7, failing which it would be seen as a violation of the order. There is an example of the severity of this. It is also being claimed that if things are done flawlessly, then vaccine testing is not possible in four weeks, especially to check immunity and efficacy. Accelerating the process of vaccine launch against the corona virus or promising to launch soon is praiseworthy, but the question is, are we hurrying too much? Senior scientists at CISR-IICB Kolkata believe that we should proceed with caution. It is absolutely necessary to give high priority to this project. On the other hand, after the news of ICMR's plan to bring the corona virus (Kovid-19) vaccine by August 15, experts have also advised to avoid hastening the drug making process, on which ICMR Says that it is working in accordance with all the globally accepted rules of rapid vaccination for the epidemic. Some also believe that on July 2, major investigators from selected medical institutions and hospitals should approve human trials for the vaccine covaxin being developed in partnership with Bharat Biotech as soon as possible. Work on all other vaccines being developed has also been expedited. The ICMR considers that even the process of making indigenous vaccines to quickly approve new indigenously manufactured test kits or to not allow red tape to stall the introduction of influential drugs of Kovid-19 into the Indian market, files are slowly increasing Is kept separate from. The aim of completing these steps as soon as possible is to conduct population-based tests without delay.
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