फिर खिसके प्रभु पटरी से....क्यों ढीली है प्रभू की पटरी?

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देश में बीते 5 साल में 586 रेल हादसे हुए. इनमें से 53प्रतिशत एक्सीडेंट्स ट्रेन के पटरी से उतरने के चलते हुए शनिवार शाम यूपी के खतौली स्टेशन के पास उत्कल एक्सप्रेस के 12 डिब्बे पटरी से उतरने के चलते 23 लोगों की मौत हो गई और 156 जख्मी हो गए।.रेलवे की इस भीषणतम ट्रेन दुर्घटना की खबर ने दुनिया को चौका दिया तो वहीं जिन परिवारों के साथ बीती उनके होश उड़ गये.घरों से निकलती चीख पुकार और रोने की आवाज ने सबको दहला दिया.यह वही यूपी है जहां पिछले सालों में कई बार रेल दुर्घटनाएं हो चुकी है तथा कई लोग मारे गये हैं. इस बार भी वैसा ही हुआ-पुरी हरिद्वार उत्कल एक्स्सप्रेस  दुर्घटना के समय बताया जा रहा है कि ट्रेन 115 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफतार से दौड़ रही थी-इसी से अंदाज लगाया जा सकता है कि पटरी से उतरने के बाद क्या हुआ होगा. हम तो कल्पना कर सकते हैं लेकिन जिन लोगों ने भी इस नजारे को देखा वह दहल गया. कुछ ही मिनटों में यह खबर सारे चैनलों में वायरल हो गई. चैनलों के संवाददाता और उनके कैमरे घटनास्थल पर पहुंच गये. हमें उनकी सक्रियता की दाद देनी चाहिये लेकिन रेलवे का सुरक्षा तंत्र और उसके अधिकारियों को घटनास्थल पर पहुंचने में घंटो लग गये.मुजफफर नगर का सांसद जो शायद वहीं कहीं आसपास मौजूद थे घटनास्थल पर पहुंच उन्होंने अपनी सक्रियता दिखाई. पूरी नेतागिरी के साथ उन्होने लाइव रिपोर्टिग की किन्तु बाकी सबने सोशल मीडिया पर अपना रंग जमाने का पूरा प्रयास किया. ट्वीट पर ट्वीट और दूसरे दिन सवेेरे से देापहर तक हमारे रेलमंत्री का ट्वीट बजता रहा. यह दुर्भाग्यजनक स्थिति है कि देश में इतनी बड़ी घटनाएं हो जाती है और हमारे नेता उसे गंभीरता से नहीं लेते. दुर्घटना की विभीषका से कोई भी अदंाज लगा सकता था कि कई लोगों को इस दुर्घटना में अपनी जान से हाथ धोना पडा होगा. जब यूपी से बड़ी कंपनी भेजने का ऐलान हुआ तभी लोगों में यह खुसफुसाहट होने लगी थी कि मामले को दबाने का पूरा खेल शुरू हो गया... सवेरे के अखबारों में जब तेईस लोगों के मृत्यु की खबर आई वह वास्तव में चौकाने वाली थी. इतनी भीषण दुर्घटना ट्रेन जिसमें ठूस ठूसकर लोग भरे हुए थे उसकी बारह बोगी अलग होकर टूटफूटकर एक दूसरे पर चढ़ गई तथा कतिपय लोगों के घरों तक घुस गई में आंकड़ों का जो खेल हुआ वह वास्तव में आश्चर्यजनक ही माना जायेगा. हम यह नहीं कहते कि लाशो को इधर करने का कोई खेल हुआ है लेकिन यह हर कोई समझता है कि एक ऐसी मामूली बस दुर्घटना में भी मरने वालों की संख्या सौ से ऊपर तक पहुंचने का आंकड़ा रहा है. पहले टीवी चैनलों में यह खबर आई कि पटरी के पास गैस कटर और अन्य कुछ ऐसे हथियार संदिग्ध औजार पाये गये लेकिन इस खबर को कुछ ही देर में नकार दिया गया इसकी जगह पटरियों में सुधार की बात सामने आई. बाद में यह बताया गया गया कि सुधार कार्य के बारे में ट्रेन के ड्रायवर को ही बताया ही नहीं गया. घायल और मृत पूरे लोग बाहर भी नहीं निकले होंगे कि यह ऐलान भी हो गया कि मृतकों को इतना और घायलों को इतना मुआवजा दिया जायेगा. जहां तक इस ट्रेन दुर्घटना पर रेलवे की भूमिका का सवाल है यह भी ठीक उसी प्रकार रही जैसी गौरखपुर के आक्सीजन कांड में रही.उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री घटना स्थल पर जाने की जगह सवेरे अपने गौशाला में अपने नन्हें पशु के साथ खेलते नजर आये तो उनके इस कृत्य की ट्वीटर वालों ने खूब हंसी भी उड़ाई.आजादी के बाद से अब तक देश में बड़ी रेल दुर्घटनाओं की कोई कमी नहीं रही है इनमें से छै दुर्घटनाएं तो वर्तमान रेल मंत्री के कार्यकाल में ही हुई है लेकिन पहले प्राय:जो पुराने रेलमंत्री हुआ करते थे वे तुरंत घटनास्थल पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लेते और जरूरत पड़ी तो नैतिकता के आधार पर सारी जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हुए इस्तीफा भी दे देते थे किन्तु ऐसी नैतिकता भी पिछले कई वर्षो से नजर नहीं आ रही है. चाहे वह यूपीए की गवर्नमेंट ही क्यों न हो. इस भीषण दुर्धटना की शुरुआती जांच में रेलवे की लापरवाही सामने आई है. बताया जा रहा है कि ट्रैक पर दो दिन से काम चल रहा था ट्रेन के ड्राइवर को कॉशन कॉल नहीं मिला. ढीली कपलिंग वाले ट्रैक से ट्रेन 105 किमी  रफ्तार से गुजरी और पटरी से उतर गई.अमूमन ऐसी जगह रफ्तार 15-20 रखी जाती है.उत्कल एक्सप्रेस का स्टॉपेज खतौली में नहीं है.वहां  ट्रेन करीब 105प्रति किलोमीट की रफ्तार से चल रही थी.स्टेशन पार करते ही ड्राइवर को किसी खतरे की आशंका हुई, जिसके बाद उसने इमरजेंसी ब्रेक लगाया. इसी वजह से डिब्बे पटरी से उतरने की आशंका है.बहरहाल रेलवे न केवल यात्रियों को सुरक्षा दे पा रहा है और न ही अपनी सुविधाओं का सही ढंग से इम्पलीमंैटेशन कर पा रहा है. इस दुर्घटना के लिये जिम्मेदार कतिपय अधिकारियों पर गाज गिरने लगी है. कुछ दिन यह मामला भी गर्म रहेगा फिर अगली दुर्घटना का इंतजार होगा!

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