अब खेल तो होकर रहेगा,चाहे कोई कुछ भी कहे!
रायपुर दिनांक 26 सितंबर 2010
कलमाडी झु़के, शर्मा दहाड़ें, अब खेल
तो होकर रहेगा,चाहे कोई कुछ भी कहे!
अगर कोई अपनी गलती स्वीकार कर ले तो उसका आधा गुनाह यूं ही माफ हो जाता है। कलमाडी अगर अपनी ग़लतियों को पहले ही स्वीकार कर लेते तो शायद राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन की इतनी फ़ज़ीहत नहीं होती। कलमाडी ने आयोजन में ग़लतियों की सारी जवाबदारी अपने ऊपर ले ली है तथा यह भी कहा है कि स्टेडियम पहले मिल जाता तो ऐसी स्थिति पैदा नहीं होती। विश्व में देश की छवि को बिगाड़ने में विदेशी मीडिया ने भी अहम भूमिका अदा की, इसमें चीन समर्थक कई राष्ट्र भी शामिल हो गये जो यह चाहते थे कि राष्ट्रमंडल खेल आयोजन में भारत की कथित नाकामी के चलते आयोजन स्थल नई दिल्ली से हटाकर चीन में कर दिया जायें चूंकि चीन ने इस दौरान यह ऐलान कर दिया कि उसने अगले एशियाड की तैयारी अभी से पूरी कर ली है। यह ऐसे समय विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करवाने की एक चाल थी जो शायद भारत सरकार ने समय रहते भाप ली और राष्ट्रमंडल खेल के सारे विवाद को दरकिनार रखते हुए इसे देश की प्रतिष्ठा का सवाल मान लिया तथा फुट ओवर ब्रिज गिरने और स्टेडियम कक्ष की फाल्स सी लिंग गिरने के बाद भी यह ऐलान कर दिया कि समय पर खेल होगें और सारी तैयारियां भी पूरी कर ली जायेगी। जामा मस्जिद के पास फायङ्क्षरंग तथा कार में विस्फोट की घटना ने जरूर भारत को हिला दिया लेकिन इसे भी सम्हाल लिया। सरकार ने नष्ट हुए फुट ओवर ब्रिज के निर्माण कार्य को भी निजी हाथों से छीनकर सेना के जिम्मे कर दिया ताकि सेना अपने ढंग से समय पर इसे पूरा कर सके। फुट ओवर के निर्माण पर आयोजन समिति ने दस करोड़ चालीस लाख रूपये फ ूके थे लेकिन अब सेना मामूली राशि से फुट ओवर को खड़ा कर देगी। प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह की नाराज़गी और दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के दृढ निश्चय ने राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन की सारी बाधाएं अब लगभग दूर हो गई हैं लेकिन खेल गांव में सुविधाओं के मामले में कई प्रशन अभी भी मौजूद हैं। इंग्लैंड, न्यूजीलैंड की टीमें भारत पहुंच गई हैं। इस बीच भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने राष्ट्रमंडल खेलों से जुड़ी तैयारियों को लेकर भारत की आलोचना कर रहे देशों के प्रति कडा रूख दिखाते हुए कनाडा की राजधानी ओटावा में दहाड़ लगाई कि उन्हें इसकी कीमत भारत जैसी तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था में व्यापारिक अवसरों के संदर्भ में चुकानी पड़ सकती है। पीटर वान लोआन भी इस संवाददाता सम्मेलन में मौजूद थे जब शर्मा ने यह बात कही। यूपीए सरकार के किसी मंत्री द्वारा पहली बार विश्व के सामने अपनी मर्दानगी प्रदर्शित की गई है। शर्मा ने यहा तक कह दिया कि इस समय भारत के साथ सहयोग न करना एक चूक होगी। अगर व्यापार की बात आएगी तो फिर नुकसान किसका होगा? अंतरराष्ट्रीय मीडिया भी शर्मा के गुस्से की चपेट में आया। मीडिया को शर्मा ने कहा कि पुरानी और मनगढ़ंत तस्वीरें दिखा कर क्या आप हमारे देश को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। हम आपके इस रवैये को कभी स्वीकार नहीं कर सकते। भारत उभरती आर्थिक ताकत है और दुनिया एवं राष्ट्रमंडल का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। दिल्ली में भारी बारिश और बाढ़ की वजह से खेल गांव में काम प्रभावित हुआ इसके बावजूद खेलों का आयोजन होगा और सही ढंग से होगा।
कलमाडी झु़के, शर्मा दहाड़ें, अब खेल
तो होकर रहेगा,चाहे कोई कुछ भी कहे!
अगर कोई अपनी गलती स्वीकार कर ले तो उसका आधा गुनाह यूं ही माफ हो जाता है। कलमाडी अगर अपनी ग़लतियों को पहले ही स्वीकार कर लेते तो शायद राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन की इतनी फ़ज़ीहत नहीं होती। कलमाडी ने आयोजन में ग़लतियों की सारी जवाबदारी अपने ऊपर ले ली है तथा यह भी कहा है कि स्टेडियम पहले मिल जाता तो ऐसी स्थिति पैदा नहीं होती। विश्व में देश की छवि को बिगाड़ने में विदेशी मीडिया ने भी अहम भूमिका अदा की, इसमें चीन समर्थक कई राष्ट्र भी शामिल हो गये जो यह चाहते थे कि राष्ट्रमंडल खेल आयोजन में भारत की कथित नाकामी के चलते आयोजन स्थल नई दिल्ली से हटाकर चीन में कर दिया जायें चूंकि चीन ने इस दौरान यह ऐलान कर दिया कि उसने अगले एशियाड की तैयारी अभी से पूरी कर ली है। यह ऐसे समय विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करवाने की एक चाल थी जो शायद भारत सरकार ने समय रहते भाप ली और राष्ट्रमंडल खेल के सारे विवाद को दरकिनार रखते हुए इसे देश की प्रतिष्ठा का सवाल मान लिया तथा फुट ओवर ब्रिज गिरने और स्टेडियम कक्ष की फाल्स सी लिंग गिरने के बाद भी यह ऐलान कर दिया कि समय पर खेल होगें और सारी तैयारियां भी पूरी कर ली जायेगी। जामा मस्जिद के पास फायङ्क्षरंग तथा कार में विस्फोट की घटना ने जरूर भारत को हिला दिया लेकिन इसे भी सम्हाल लिया। सरकार ने नष्ट हुए फुट ओवर ब्रिज के निर्माण कार्य को भी निजी हाथों से छीनकर सेना के जिम्मे कर दिया ताकि सेना अपने ढंग से समय पर इसे पूरा कर सके। फुट ओवर के निर्माण पर आयोजन समिति ने दस करोड़ चालीस लाख रूपये फ ूके थे लेकिन अब सेना मामूली राशि से फुट ओवर को खड़ा कर देगी। प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह की नाराज़गी और दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के दृढ निश्चय ने राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन की सारी बाधाएं अब लगभग दूर हो गई हैं लेकिन खेल गांव में सुविधाओं के मामले में कई प्रशन अभी भी मौजूद हैं। इंग्लैंड, न्यूजीलैंड की टीमें भारत पहुंच गई हैं। इस बीच भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने राष्ट्रमंडल खेलों से जुड़ी तैयारियों को लेकर भारत की आलोचना कर रहे देशों के प्रति कडा रूख दिखाते हुए कनाडा की राजधानी ओटावा में दहाड़ लगाई कि उन्हें इसकी कीमत भारत जैसी तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था में व्यापारिक अवसरों के संदर्भ में चुकानी पड़ सकती है। पीटर वान लोआन भी इस संवाददाता सम्मेलन में मौजूद थे जब शर्मा ने यह बात कही। यूपीए सरकार के किसी मंत्री द्वारा पहली बार विश्व के सामने अपनी मर्दानगी प्रदर्शित की गई है। शर्मा ने यहा तक कह दिया कि इस समय भारत के साथ सहयोग न करना एक चूक होगी। अगर व्यापार की बात आएगी तो फिर नुकसान किसका होगा? अंतरराष्ट्रीय मीडिया भी शर्मा के गुस्से की चपेट में आया। मीडिया को शर्मा ने कहा कि पुरानी और मनगढ़ंत तस्वीरें दिखा कर क्या आप हमारे देश को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। हम आपके इस रवैये को कभी स्वीकार नहीं कर सकते। भारत उभरती आर्थिक ताकत है और दुनिया एवं राष्ट्रमंडल का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। दिल्ली में भारी बारिश और बाढ़ की वजह से खेल गांव में काम प्रभावित हुआ इसके बावजूद खेलों का आयोजन होगा और सही ढंग से होगा।
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