आखिर कब हटेगा रहस्यों से पर्दा
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रायपुर, दिनांक 7 सितंबर 2010
एक धमाका ..और सब कुछ खत्म
आखिर कब हटेगा रहस्यों से पर्दा
...इन आकाशीय घटनाओं पर गौर की जिये.....एक स्कूली बच्चा मैदान में खड़ा था, आसमान से बिजली गिरी और वह मारा गया! छत्तीसगढ़ के जांजगीर में स्कूली बच्चे रेसेस के समय स्कूल परिसर में थे और क्लास रूम की तरफ जा रहे थे, कि अचानक तेज बारिश से कुछ बच्चे गुलमोहर झाड़ के नीचे भीगने से बचने के लिये खड़े हो गये। तभी आकाश में एक धमाका हुआ-पेड़ झुलस गया तथा तीन बच्चे वहीं खत्म हो गये तथा चार बुरी तरह झुलस गये। वैसे ही जैसा करेंट लगने या आग लगने के बाद होता है। आकाशीय घटनाएँ अब भी इंसान के लिये रहस्य है। जम्मू कश्मीर सीमा के लेह में आकाश से जो कहर बरपा उसमें सैकड़ों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। किसी ने इसे बादल फटना कहा तो किसी ने बर्फ के गोलों का गिर ना तो किसी ने उल्का पिण्ड से बादल का टकरा ना । किसी ने इसे पड़ोसी देश चीन की चाल निरूपित किया। लेकिन इस बादल फटने की घटना से चीन भी प्रभावित हुए बिना नहीं रहा। यहां भी आसमान से टपकी भारी बूदों ने भारी तबाही मचाई। हमारे वैज्ञानिक धरती पर बैठकर यह खोज रहे हैं कि सृष्टि की रचना किसने की- विख्यात वैज्ञानिक स्टीफ़न हाकिन्स ने तो यहां तक दावा कर दिया कि सृष्टि की रचना भगवान ने नहीं की। बल्कि एक विस्फोट से इसकी उत्पत्ति हुई किंतु उनके पास इसका कोई जवाब नहीं है कि इससे पहले क्या हुआ था। सारे वैज्ञानिक स्टीफ़न हाकिन्स की थ्योरी को मानते हैं और बिग बैंग थ्योरी पर काम कर रहे हैं। स्टीफ़न हाकिन्स की थ्योरी ने आस्था वादियों को तकलीफ़ में डाल दिया है। ऐसा ही कुछ उस समय भी हुआ था। जब आइसक न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण शक्ति की खोज कर दुनिया को सकते में डाल दिया था। तत्कालीन पॉप की सत्ता इससे हिल गई थी और संपूर्ण आस्था वादियों ने आइसक न्यू टन की जिंदगी तक को मुसीबत में डाल दिया था, लेकिन आज आइसक के गुरुत्वाकर्षण की शक्ति से दुनिया के अनेक कार्य हो रहे हैं। बहरहाल, सवाल यहां यह है कि आमतौर पर हम इसे क्या समझे कि बारिश होते समय कोई उससे बचने के लिये पेड़ के नीचे खड़ा हो तो, उसपर बिजली का कहर क्यों बरपता है? क्यों होती है एक ही जगह में भारी बारिश ,क्यों कहीं आधे हिस्से में बारिश होती है और आधे हिस्से में सूखा पड़ता है? बादलों की भीषण गड़गड़ाहट क्या है और उससे उत्पन्न बिजली कैसे पेड़ों पर गिर जाती है? क्यो भूकंप होता है? क्यो सुनामी आती है? क्यों आसमान से बर्फ के गोले गिरते है? उल्का पिण्ड क्या है? और क्यों लोग मरते हैं और मर कर वह कहां जाते है? हम मानते हैं कि आस्था वादियों और वैज्ञानिकों के पास आम लोगों के इन सारे प्रश्नों का जवाब है, पर क्या यह सारे जवाब हमको अब तक संतुष्ट कर पा ये हैं? स्वर्ग और नर्क की बात भी अब लगभग खारिज हो चुकी है। बचपन से मां- बाप बच्चों को यही सीख देते आये हैं कि गलत काम करोगे तो नरक में जाओगे और अच्छा काम करोगे तो स्वर्ग में । यह सब बातें अब क़िस्से कहानी हो गई क्योंकि जब मनुष्य चाँद पर पहुंचा तो वहां न स्वर्ग दिखाई दिया और जब धरती और समुद्र को नीचे तक छान मारा तो वहां न नर्क दिखाई दिया और न यमराज। क्या हम यही कहें कि जो कुछ है वह सब इसी जन्म में है-अच्छा करोगे तो अच्छा रहोगे बुरा करोगे तो सब इसी जन्म में भुगतना होगा। ऊपर न स्वर्ग है न नीचे नर्क- जो कुछ है सब यहीं...अभी कई रहस्यों से पर्दा उठना बाकी है..इंतजार की जिये!
रायपुर, दिनांक 7 सितंबर 2010
एक धमाका ..और सब कुछ खत्म
आखिर कब हटेगा रहस्यों से पर्दा
...इन आकाशीय घटनाओं पर गौर की जिये.....एक स्कूली बच्चा मैदान में खड़ा था, आसमान से बिजली गिरी और वह मारा गया! छत्तीसगढ़ के जांजगीर में स्कूली बच्चे रेसेस के समय स्कूल परिसर में थे और क्लास रूम की तरफ जा रहे थे, कि अचानक तेज बारिश से कुछ बच्चे गुलमोहर झाड़ के नीचे भीगने से बचने के लिये खड़े हो गये। तभी आकाश में एक धमाका हुआ-पेड़ झुलस गया तथा तीन बच्चे वहीं खत्म हो गये तथा चार बुरी तरह झुलस गये। वैसे ही जैसा करेंट लगने या आग लगने के बाद होता है। आकाशीय घटनाएँ अब भी इंसान के लिये रहस्य है। जम्मू कश्मीर सीमा के लेह में आकाश से जो कहर बरपा उसमें सैकड़ों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। किसी ने इसे बादल फटना कहा तो किसी ने बर्फ के गोलों का गिर ना तो किसी ने उल्का पिण्ड से बादल का टकरा ना । किसी ने इसे पड़ोसी देश चीन की चाल निरूपित किया। लेकिन इस बादल फटने की घटना से चीन भी प्रभावित हुए बिना नहीं रहा। यहां भी आसमान से टपकी भारी बूदों ने भारी तबाही मचाई। हमारे वैज्ञानिक धरती पर बैठकर यह खोज रहे हैं कि सृष्टि की रचना किसने की- विख्यात वैज्ञानिक स्टीफ़न हाकिन्स ने तो यहां तक दावा कर दिया कि सृष्टि की रचना भगवान ने नहीं की। बल्कि एक विस्फोट से इसकी उत्पत्ति हुई किंतु उनके पास इसका कोई जवाब नहीं है कि इससे पहले क्या हुआ था। सारे वैज्ञानिक स्टीफ़न हाकिन्स की थ्योरी को मानते हैं और बिग बैंग थ्योरी पर काम कर रहे हैं। स्टीफ़न हाकिन्स की थ्योरी ने आस्था वादियों को तकलीफ़ में डाल दिया है। ऐसा ही कुछ उस समय भी हुआ था। जब आइसक न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण शक्ति की खोज कर दुनिया को सकते में डाल दिया था। तत्कालीन पॉप की सत्ता इससे हिल गई थी और संपूर्ण आस्था वादियों ने आइसक न्यू टन की जिंदगी तक को मुसीबत में डाल दिया था, लेकिन आज आइसक के गुरुत्वाकर्षण की शक्ति से दुनिया के अनेक कार्य हो रहे हैं। बहरहाल, सवाल यहां यह है कि आमतौर पर हम इसे क्या समझे कि बारिश होते समय कोई उससे बचने के लिये पेड़ के नीचे खड़ा हो तो, उसपर बिजली का कहर क्यों बरपता है? क्यों होती है एक ही जगह में भारी बारिश ,क्यों कहीं आधे हिस्से में बारिश होती है और आधे हिस्से में सूखा पड़ता है? बादलों की भीषण गड़गड़ाहट क्या है और उससे उत्पन्न बिजली कैसे पेड़ों पर गिर जाती है? क्यो भूकंप होता है? क्यो सुनामी आती है? क्यों आसमान से बर्फ के गोले गिरते है? उल्का पिण्ड क्या है? और क्यों लोग मरते हैं और मर कर वह कहां जाते है? हम मानते हैं कि आस्था वादियों और वैज्ञानिकों के पास आम लोगों के इन सारे प्रश्नों का जवाब है, पर क्या यह सारे जवाब हमको अब तक संतुष्ट कर पा ये हैं? स्वर्ग और नर्क की बात भी अब लगभग खारिज हो चुकी है। बचपन से मां- बाप बच्चों को यही सीख देते आये हैं कि गलत काम करोगे तो नरक में जाओगे और अच्छा काम करोगे तो स्वर्ग में । यह सब बातें अब क़िस्से कहानी हो गई क्योंकि जब मनुष्य चाँद पर पहुंचा तो वहां न स्वर्ग दिखाई दिया और जब धरती और समुद्र को नीचे तक छान मारा तो वहां न नर्क दिखाई दिया और न यमराज। क्या हम यही कहें कि जो कुछ है वह सब इसी जन्म में है-अच्छा करोगे तो अच्छा रहोगे बुरा करोगे तो सब इसी जन्म में भुगतना होगा। ऊपर न स्वर्ग है न नीचे नर्क- जो कुछ है सब यहीं...अभी कई रहस्यों से पर्दा उठना बाकी है..इंतजार की जिये!
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