भटगांव पर टिकी छत्तीसगढ़ की नजर!
रायपुर रविवार। दिनांक 12 सितंबर 2010
रजनी-यूएस में कौन? भटगांव
पर टिकी छत्तीसगढ़ की नजर!
रजनी या यूएस? इन दोनों में से कौन? भटगांव के लोगों का मन किस पर लगेगा यह तय होने में अभी वक्त लगेगा। यहां उप चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर की स्थिति बनती नजर आ रही है। भाजपा ने रजनी त्रिपाठी पर विश्वास किया है तो कांग्रेस ने सरगुजा राज परिवार के यूएस सिंह देव को मैदान में उतारा है। पिछले चुनाव में भटगांव सीट भाजपा ने जीती थी-उप चुनाव की नौबत यहां के विधायक रविशंकर त्रिपाठी की मृत्यु के बाद आई। रजनी रविशंकर त्रिपाठी की पत्नी तथा इस वक्त जिला सहकारी बैठक की उपाध्यक्ष है। कांग्रेस इस सीट को भाजपा से छीन ने के लिये एडी चोटी एक कर सकती है जबकि भाजपा ने अपनी सीट को बचाने के लिये अभी से यहां अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। सत्तारूढ पार्टी के कम से कम दो मंत्री, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व छत्तीसगढ़ प्रभारी की पूरी टीम भटगांव पर फिर एक बार कब्जा करने गोटी बिछाने में लगे हैं। मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह की दिलचस्पी भी इस सीट पर है। भाजपा को उम्मीद है कि उसके प्रत्याशी को मतदाताओं का पूर्व की भांति प्रेम मिलेगा साथ ही सहानुभूति लहर के चलते वह इस सीट पर कब्ज़ा करने में कामयाब हो जायेगी। दूसरी ओर कांग्रेस ने भटगांव से रजनी के खिलाफ सरगुजा राज घराने से यू एस सिंह देव को मैदान में उतारकर भाजपा की जीत को कठिन बना दिया है। भाजपा के धुरंधर व चुनाव गुरू मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को भटगांव चुनाव का प्रभारी बनाया है। उनका साथ दे रहे हैं राम विचार नेताम जो कि राज्य सरकार में मंत्री है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राम सेवक पेकरा तो यहां अपनी सक्रियता दर्ज करा चुके हैं जबकि प्रदेश प्रभारी नड्ढा भी इसे अपने प्रभारित्व काल में पहले चुनाव के रूप में एक चुनौती के रूप में ले रहे हैं। कांग्रेस द्वारा इस चुनाव में सरगुजा राज परिवार को मौका देने से यह चुनाव अब टफ हो गया लगता है लेकिन भाजपा इसकी खानापूर्ति अपने एक पूर्व नेता शिवप्रसाद को मनाकर करने के प्रयास में है। शिवप्रसाद अभी भाजपा से निष्कासित हैं पिछले चुनाव में भाजपा ने उनके बैटे विजय को टिकिट नहीं दी थी इससे खफा होकर उन्होने पार्टी के खिलाफ काम किया परिणाम स्वरूप पार्टी ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया। सिंह के पुत्र विजय ने गुस्से में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा तथा पार्टी से छह साल के लिये निकाल दिये गये। शिव प्रसाद को फिर से अपने खेमें में शामिल करने का आश्वासन शुक्रवार को एक मुलाकात के बाद चुनाव प्रभारी बृजमोहन अग्रवाल ने दिया है। बृज व राम विचार नेता उनसे उनके घर पर मिलने गये थे। शिव प्रताप के जरिये भाजपा गॉड मत हासिल करना चाहता है। बहरहाल अभी चुनाव का पहला चरण भी पूरा नहीं हुआ है। आगे बड़ी बड़ी गोटी इधर से उधर होगी। कांग्रेस के लोग भी शिव प्रसाद के टच में हैं-ऐसे में आगे की लड़ाई में कौन कौन इधर उधर होता है और किस पार्टी का बजन बढ़ता है इसी पर भटगांव में रजनी-यूएस के भाग्य का फैसला निर्भर करता है।
रजनी-यूएस में कौन? भटगांव
पर टिकी छत्तीसगढ़ की नजर!
रजनी या यूएस? इन दोनों में से कौन? भटगांव के लोगों का मन किस पर लगेगा यह तय होने में अभी वक्त लगेगा। यहां उप चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर की स्थिति बनती नजर आ रही है। भाजपा ने रजनी त्रिपाठी पर विश्वास किया है तो कांग्रेस ने सरगुजा राज परिवार के यूएस सिंह देव को मैदान में उतारा है। पिछले चुनाव में भटगांव सीट भाजपा ने जीती थी-उप चुनाव की नौबत यहां के विधायक रविशंकर त्रिपाठी की मृत्यु के बाद आई। रजनी रविशंकर त्रिपाठी की पत्नी तथा इस वक्त जिला सहकारी बैठक की उपाध्यक्ष है। कांग्रेस इस सीट को भाजपा से छीन ने के लिये एडी चोटी एक कर सकती है जबकि भाजपा ने अपनी सीट को बचाने के लिये अभी से यहां अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। सत्तारूढ पार्टी के कम से कम दो मंत्री, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व छत्तीसगढ़ प्रभारी की पूरी टीम भटगांव पर फिर एक बार कब्जा करने गोटी बिछाने में लगे हैं। मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह की दिलचस्पी भी इस सीट पर है। भाजपा को उम्मीद है कि उसके प्रत्याशी को मतदाताओं का पूर्व की भांति प्रेम मिलेगा साथ ही सहानुभूति लहर के चलते वह इस सीट पर कब्ज़ा करने में कामयाब हो जायेगी। दूसरी ओर कांग्रेस ने भटगांव से रजनी के खिलाफ सरगुजा राज घराने से यू एस सिंह देव को मैदान में उतारकर भाजपा की जीत को कठिन बना दिया है। भाजपा के धुरंधर व चुनाव गुरू मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को भटगांव चुनाव का प्रभारी बनाया है। उनका साथ दे रहे हैं राम विचार नेताम जो कि राज्य सरकार में मंत्री है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राम सेवक पेकरा तो यहां अपनी सक्रियता दर्ज करा चुके हैं जबकि प्रदेश प्रभारी नड्ढा भी इसे अपने प्रभारित्व काल में पहले चुनाव के रूप में एक चुनौती के रूप में ले रहे हैं। कांग्रेस द्वारा इस चुनाव में सरगुजा राज परिवार को मौका देने से यह चुनाव अब टफ हो गया लगता है लेकिन भाजपा इसकी खानापूर्ति अपने एक पूर्व नेता शिवप्रसाद को मनाकर करने के प्रयास में है। शिवप्रसाद अभी भाजपा से निष्कासित हैं पिछले चुनाव में भाजपा ने उनके बैटे विजय को टिकिट नहीं दी थी इससे खफा होकर उन्होने पार्टी के खिलाफ काम किया परिणाम स्वरूप पार्टी ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया। सिंह के पुत्र विजय ने गुस्से में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा तथा पार्टी से छह साल के लिये निकाल दिये गये। शिव प्रसाद को फिर से अपने खेमें में शामिल करने का आश्वासन शुक्रवार को एक मुलाकात के बाद चुनाव प्रभारी बृजमोहन अग्रवाल ने दिया है। बृज व राम विचार नेता उनसे उनके घर पर मिलने गये थे। शिव प्रताप के जरिये भाजपा गॉड मत हासिल करना चाहता है। बहरहाल अभी चुनाव का पहला चरण भी पूरा नहीं हुआ है। आगे बड़ी बड़ी गोटी इधर से उधर होगी। कांग्रेस के लोग भी शिव प्रसाद के टच में हैं-ऐसे में आगे की लड़ाई में कौन कौन इधर उधर होता है और किस पार्टी का बजन बढ़ता है इसी पर भटगांव में रजनी-यूएस के भाग्य का फैसला निर्भर करता है।
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