सिंहासन का लक्ष्य! गडकरी ने भाजपाइयों को सूत्र में पिरोया!

रायपुर, दिनांक 5 सितंबर 2010
सिंहासन का लक्ष्य! गडकरी ने
भाजपाइयों को सूत्र में पिरोया!
तीसरी बार छत्तीसगढ़ में सरकार बनाना तथा दिल्ली की केन्द्रीय गद्दी पर कब्ज़ा जमाना - भाजपा का इस समय प्रमुख लक्ष्य माना जा सकता है, अगर नितिन गडकरी की छत्तीसगढ़ यात्रा के दो दिन की गतिविधियों का विश£ेषण किया जा ये तो बात कुछ यूं ही समझ ली जानी चाहिये। कार्यकर्ताओं, विधायकों, सांसदों और सरकार को उन्होंने जो नसीहत दी उसका यही निचोड़ निकलता है, कि पार्टी अपनी स्थिति को छत्तीसगढ़ सहित केन्द्र में और मजबूत करने की फिराक में है। इससे छत्तीसगढ़ का पावर तीसरी बार भी भाजपा के हाथ में हो। साथ ही यह प्रयास भी हो कि केन्द्र में भाजपा की सरकार बने। भाजपा के नये अध्यक्ष की छत्तीसगढ़ में यह पहली यात्रा थी जिसमें उन्होंने अपने लोगों को साफ- साफ कह दिया कि वे काम करें तभी कुछ बात बनेगी। निष्क्रिय पड़े विधायकों को भी सचेत कर दिया है कि वे सक्रिय हो जायें। वरना अगले विधानसभा चुनाव में टिकट उन्हें मिलेगी इसकी कोई गारंटी नहीं। सांसदों को भी सक्रिय करने के लिये उन्होने दिल्ली में उनकी सक्रियता का मंत्र फूका है। यह आने वाला समय ही बतायेगा कि प्रदेश के विधायक और सांसद अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के सुझाव अथवा आदेश का कितना पालन करते हैं। नितिन गडकरी ने पहले पत्रकारों फिर अपनी पार्टी के नेताओं के समक्ष सेंट्रल गवर्नमेंट को कोसा। देश में महंगाई,बेरोजगारी और आतंकवाद के लिये उनका सीधा सीधा प्रहार सेंट्रल गवर्नमेंट पर था जबकि सोनिया गांधी भी उसी दिन चौथी बार कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनी। जिस दिन गडकरी ने रायपुर में पहली बार कदम रखा। इसपर उन्होंने कांग्रेस में व्याप्त परिवारवाद की भत्र्सना कर यह सवाल किया कि- क्या कांग्रेस में और कोई योग्य व्यक्ति नहीं है, जो इस परिवार से हटकर कांग्रेस की बागडोर सम्हाले। कटाक्ष उनका सोनिया गांधी के बार- बार अध्यक्ष बनने पर यह कहते हुए था कि अगर वे यह पद न लें तो उनकी पार्टी उनका अभिनंदन करेगी। संयमित ढंग से नितिन गडकरी ने सारी बातें रखी। देश में गरीबी बढ़ाने के लिये उन्होंने सीधे- सीधे कांग्रेस को दोषी ठहराया। यह कहते हुए कि कांग्रेस ने गरीबी नहीं ग़रीबों को खत्म किया है। त्रेसठ वर्षो में भी देश से गरीबी दूर न करने के लिये उन्होंने कांग्रेस को ही दोषी ठहराया। जबकि वे यह भूल गये कि कम से कम दस साल तो उनकी पार्टी ने भी देश में सरकार या तो खुद चलाई या दूसरी पार्टियों से हाथ मिलाकर चलाई। बहरहाल, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जिन मुद्दों को लेकर जनता के सामने उपस्थित हुए हैं, वह आम लोगों से जुड़ी समस्याएं हैं। इसमें मंहगाई,गरीबी, भुखमरी,बेरोज़गारी के अलावा आतंकवाद भी शामिल हैं। गडकरी के स्वागत में भीड़ उमड़ी और उसमें गुटबाज़ी भी दिखाई दी। भाजपा के दो गुटों में हिंसक उन्माद हुआ। खून से लथपथ लोगों को अस्पताल पहुंचाना पड़ा। रायपुर शहर नेताओं के स्वागत के लिये सदैव तत्पर रहा है। चाहे वह भाजपा, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी या अन्य दल। सभी के स्वागत में यहां भीड़ उमड़ती है और नेताओं को खुद कुछ समय के लिये ऐसा लगने लगता ह,ै कि यहां उनकी पार्टी के सिवा दूसरी कोई पार्टी नहीं है। पार्टियां भी इस मामले मे बड़े तरीके से इस भूमिका को अदा करती है। शहर से भीड़ एकत्रित करना कठिन होता है। इसके लिये बाहर से बसों- ट्रकों में लाद कर लोगों को यहां लाकर शक्ति प्रदर्शन कराया जाता है। नेताओं के स्वागत में तो पलक पावड़े बिछा दिये जाते हैं किंतु रायपुर की बेचारी जनता जिसमें स्कूली बच्चे, महिलाएं और रोगी शामिल हं,ै जाम में फंसकर या तो अपनी किस्मत पर रोते हैं या फिर नेताओं को कोसते हैं।

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