दस्तावेज बता रहे हैं-कालाधन विदेशों में मौजूद है...!
पूरी दुनिया में कुछ ऐसा हो गया कि अब सब कुछ ठीक नहीं रहा.मोसेक के दस्तावेजों में छुपे कारोबारी गोरखधंधे के खुलासे ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है. पत्रकारिता जगत के अब तक के इस सबसे बड़े भंडाफोड़ ने दो सौ देशों के राष्ट्राध्यक्षों, राजनेताओं, अधिकारियों, कारोबारियों, फिल्म अभिनेताओं और खिलाडयि़ों के चेहरों से नकाब उतार दिया है और इन आशंकाओं तथा धारणाओं की फिर पुष्टि की है कि पूंजीवाद के वित्तीय क्रियाकलापों में बहुत कुछ स्याह है और समाज के लिए खतरनाक भी. जहां तक भारत का सवाल है यह पहले से ही आशंका थी कि भारत के कई लोगो का काला धन विदेशों में किसी न किसी ढंग से इन्वेस्ट ह.ै मोसेक के दस्तावेजों से यह बात और साफ हो गई है कि कई भारतीय सफेद पोश हस्तियां इस काले धंधे गोता लगा रहे हैं. दस्तावेजों में 500 से ज्यादा भारतीयों के नाम हैं. यह अभियान इंटरनेशनल कंर्सोटियम ऑफ इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आइसीआइजे) के नेतृत्व में चलाया गया था, जिसमें इंडियन एक्सप्रेस भी शामिल था. कुल मिलाकर एक करोड़ पंद्रह लाख के आसपास फाइलों को खंगाला गया था, जिनमें से 36,000 फाइलें भारतीय रिपोर्टरों की नजरों से गुजरीं. 78 देशों की 109 मीडिया कंपनियों के पत्रकारों ने दस्तावेजों की जांच की. पनामा की कानूनी फर्म मोस्साक फोंसेका जिसकी 35 देशों में शाखाएं हैं, दुनिया के पैसे वालों को टैक्स बचाकर पैसा रखने में मदद करती है. इस कंपनी ने कर अधिकारियों से पूंजी को छुपाने में विश्व भर के कई बड़े नेताओं और चर्चित हस्तियों की कथित रूप से मदद की. भारत सरकार ने 'पनामा लीक्सÓ में शािमल भारतीय नामों की जांच के लिए मल्टी एजेंसी ग्रुप का गठन कर दिया है किन्तु सवाल यही उठ रहा है कि क्या टैक्स का जो पैसा विदेशों में खपाया गया है वह कभी भारत के खजानों में वापस आयेगा? वास्तविकता यही है कि दुनिया के मौजूदा वित्तीय ढांचे का एक बड़ा हिस्सा कर चोरी, नियमों के उल्लंघन, अपराध और आतंकवाद पर टिका है और विकासशील देशों का बहुत सारा काला धन इसी तरह विकसित देशों की वित्तीय पूंजी का निर्माण करता है. 1977 से 2015 तक 40 वर्षों के भीतर एक करोड़ 10 लाख दस्तावेजों का यह खुलासा ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, बहामाज, सिसली और पनामा जैसे कर चोरों के स्वर्ग को चिह्नित करता है, लेकिन वहां ऐसा होता है यह सीक्रेट नहीं है। दस्तावेजों के लीक होने से दुनियाभर में तहलका मचना स्वाभाविक है. पनामा की कानूनी फर्म मोस्साक फोंसेका जिसकी 35 देशों में शाखाएं हैं, दुनिया के पैसे वालों को टैक्स बचाकर पैसा रखने में मदद करती है. इस कंपनी ने कर अधिकारियों से पूंजी को छुपाने में विश्व भर के कई बड़े नेताओं और चर्चित हस्तियों की कथित रूप से मदद की. स्विस बैंक में कालेधन पर कार्रवाही की कोशिशें अभी जारी है ऐसे में मोसेक लीक कांड ने जनता को यह सोचने के लिये विवश कर दिया है कि क्या देश का पैसा यूं ही विदेशों की सेवा के लिये लगा रहेगा इधर एक अन्य मामला ब्रांड बाबाओं के कारोबार का उजागर हुआ है जिसमें 900 करोड़ का कारोबार है. देश के बजट में इतना पैसा नहीं लगता होगा जितना ब्राडं बाबा लोगों के पास है. इससे पूर्व देश में आस्था ट्रस्टों और केन्द्रो में भरी हुई अपार धन का खुलासा हुआ था. कतिपय लोगों नौकरशाहों से समय समय पर निकलने वाले छापे से यह साफ पता चलता है कि देश के खजाने में मौजूद रहने वाला पैसा कैसे लोगों की तिजोरियों मैं कैद है.पनामा टैक्स लीक को किनारे कर देेखे तो भी भारतीयो के पास आज भी जो धन है उसका खुलासा सही ढंग से नहीं हुआ है. एक तरफ गरीबी और खुदखुशी का दौर है तो दूसरी ओर चंद लोग देश को लूटने का काम कर रहे हैं- यह सिर्फ और सिर्फ सरकार के ही बस का रोग है कि वह यूं छिपी हुई संपत्ति को जनता की ओर प्रत्यावर्तित करें.टेक्स लीक कांड़ के बाद सरकार ने त्वरित पहल करते हुए जांच का काम शुरू कर दिया है लेकिन ऐसी जांच समितियों को हम कई अन्य मामलों में भी देख चुके हैं.
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