एलईडी क्या किसानों के घरों में रौशनी कर पायेगी?


 देश,राज्य या परिवार की उन्नती उसकी साख व आर्थिक स्थिति पर निर्भर करती है-जितनी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी उतना ही देश, राज्य व घर प्रगति के सौपान को पार करेेगा प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय उजाला योजना के माध्यम से प्रदेश के गांवों के हर परिवार को एलईडी लैंप से रोशन करने का बीड़ा अपने कंधों पर लिया है.सरकार का यह कदम बिजली की खपत कम करने उठाया गया माना जा रहा है, इसके पीछे और भी कोईउद्देश्य हो सकता है लेकिन हम उस ओर जाना चाहिये. ऊपरी  तौर पर यही कहेंगे कि सरकार की यह योजना प्रशंसनीय है लेकिन गांव के किसानों का घर तब रोशन होता है जब उस परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हो। एलईडी बल्ब दे देने मात्र से घर रोशन होगा यह नहीं कहा जा सकता, उन्हें और अन्य तरीको से भी संपन्न व मजबूत बनाने की जरूरत हैै. बच्चों को अच्छी शिक्षा, उनके स्वास्थ्य, स्कूल ड्र्रेस और कुछ स्कालरशिप जैसी सुविधाएं देने की भी जरूरत है. सरकार को सबसे पहले किसानों व  गरीब परिवारों की आर्थिक स्थिति को इतना मजबूत बनाने का प्रयास करना चाहिये कि उसका परिवार ठीक से चल सके. किसान अगर सही तरह से अनाज उत्पन्न नहीं कर सकेगा तो वह राज्य व परिवार को क्या खिला पायेगा? सरकार ने गरीब परिवारों  के लिये कई योजनाएं शुरू की है जिनमें बच्चों को स्कूलों में मध्यान्ह भोजन,यूनिफार्म, सायकिल और अब उन्हें जूते बांटने की भी योजना है.इससे कई बच्चों को लाभ जरूर होगा मगर योजनाएं बनने के बाद जरूरत मंदों तक कैसे पहुंच रही है- किसको इसका फायदा हो रहा है इन सबकी  मानिटरिंग सही ढंग से होना भी जरूरी है. पूर्व के अनुभव बताते हैं कई योजनाओं में भारी भ्रष्टाचार हुआ है और जरूरतमदों तक सरकारी मदद नहीं पहुंच पाई है..बाढ,ओला, सूखा की स्थिति से निपटने के लिये गांवों में स्थाई योजनांए बनाने की जरूरत है तभी किसान अपनी इस ओर जाने वाली चिंताओं से मुक्त होकर खेती किसानी केकाम को मन लगाकर कर सकेगा. किसानों की आर्थिक स्थिति वास्तव में  इतनी चिंताजनक है कि उसका बखान नहीं किया जा सकता. सरकार बनने के पहले जो लुभावने वादे पार्टियां गांव में रहने वाले किसानों और गरीबों से करती है उनमें से अधिकांश को पूरा नहीं किया जाता अथवा बिचौलिये डंडी मार ले जाते हैं फलत: किसान व अन्य जरूरतमंद कर्ज और अन्य परेशनियों मे डूबते चले जाते हैं. किसानों को बोनस देने के मामले मे अभी भी सरकार के पसीने छूट रहे हैं. सरकार ने किसानों का धान समर्थन मूल्य पर खरीदने व प्रति क्विंटल 300 रूपये बोनस देने का वादा किया था, यदि सरकार अपना वादा सही तरह से निभाती तो किसानों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती और घर भी रोशन होता. उजाला योजना के तहत प्रदेश के15 लाख से अधिक परिवारों को तीन तीन एलईडी बल्ब मुफ्त तथा 20 लाख से अधिक एपीएल परिवारों को 5 नग शुल्क के साथ देने का लक्ष्य रखा गया है.. किश्तों में भी बल्व देने का निर्णय लिया गया है. प्रदेश में लगभग डेढ़ लाख एलईडी बल्व वितरण करने का काम शुरू कर दिया गया है चर्चा यह चल रही है कि सरकार के पास एलईडी बल्ब देने के लिए पैसा हैं परंतु किसानों को बोनस देने की मामले में सरकार को सांप सूंध रहा है? लोग यह भी  कहते हैं कि एलईडी बल्व देने के लिए केन्द्र सरकार से रूपए आसानी से मिल जाता है परंतु किसानों को बोनस देने के मामले में सरकार क्यों हाथ खड़ा कर देती है? किसान यही कह रहा हैं कि उन्हें इस मामले में पूरी तरह गुमराह किया जा रहा है. बोनस देने का वादा केन्द्र का है,या राज्य का इसी मे उलझकर किसान अब मौत को गले लगाने मजबूर है.वास्तविकता यही है कि किसानों को बोनस देना है या नहीं देना है इसे राज्य सरकार तय करेगी. एक और ग्राम उदय से भारत उदय शुरू हुआ हैं जिसपर लाखों रूपये खर्च किए जा रहे हैं वहीं इस योजना को सफल बनाने गांव में किसानों की बैठक, किसानों की सभा की जा रही है वहीं यह किसान ेबोनस की  बाट जोह रही है। किसानों अपने दर्द को सुनाते हुए यह भी कहते हैं कि सरकार से हमने जब अपने खेतों में खड़ी फसलों को बचाने के  लिए पानी मांगा तो सही समय पर पानी नहीं दिया जिससे उन्हें इस वर्ष भारी नुकसान उठाना पड़ा  कहीं कहीं तो स्थिति यहां तक निर्मित हो गई कि किसानों ने धान का एक दाना भी नहीं काटा। देश सहित प्रदेश भी आज सूखे के स्थिति से जूझ रहा है.अभी सभी को महंगाई के साथ-साथ गर्मी से भी राहत की जरूरत है. कई गांवों में पीने व निस्तारी पानी का भी भारी संकट हैं उससे भी निजात दिलाने की जरूरत है. सरकार के ऊपर और भी कई गहन जिम्मेदारियां हैं!

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