गैंग में अपराधी! क्या निपट पायेगी छत्तीसगढ़ पुलिस इनसे?





रायपुर के कोर्ट परिसर में संदिग्धों से लोहे का पंच और गांजा मिलना कोई आश्चर्य की बात नहीं है-रायपुर का वह बचपन अब जवां हो चुका है, जिसके बारे में हम अक्सर अपने कालमों में लिखकर पुलिस व सरकार दोनों का ध्यान दिलाते रहे हैं कि हसअगर इनपर नियंत्रण नहीं किया गया तो आगे आने वाले समय में यह मुसीबत बनकर खडी हो जायेगी. मीडिया यह संकेत करती रही है कि  किसी आयोजनों के लिये नाबालिगों के एक बड़े वर्ग द्वारा चंदे के रूप में दुकानों,परिवारों से होने वाली वसूली का धंधा कोई  अच्छा संकेत नहीं दे रहा. बच्चे से जवानी की ओर बढते यह कदम वास्तव में लडख़ड़ा रहे हैं. एक तरह से कार्यक्रमों की  आड़  में चंदे की वसूलीय अपराध की दुनिया में प्रवेश का पहला कदम है और इस प्रथा ने साबित कर दिया कि छत्तीसगढ़ में यह बुराई तेजी से पनपी. बच्चो से जवानी की ओर बढने वाला  एक बड़ा वर्ग न स्कूल जाता हैं और न परिवार के लोगों के किसी  कार्य में हाथ बटाता हैं ऐसे पल बढ़ रहे बच्चों पर न किसी की लगाम है और न इन्हेें कि सी से कोई लेना देना है. इन्हें कुछ लोग अपने इशारे पर नचाते हैं-ऐसे बच्चे बड़े होकर अब एक रैकेट के रूप में बदल चुका हैं. ऐसा होना जहां इन बच्चों के परिवार की लापरवाही का नतीजा है बल्कि पुलिस भी इसके लिये  बहुत हद तक जिम्मेदार हैं.उसने ऐसे बच्चों के खिलाफ किसी प्रकार के कदम नहीं उठाये. अब इनके पास इधर उधर से मारा हुआ पैसा है-फालतू घूमने के लिये बाइक है.कुछ तो स्टंट मारते हुए शहरों में बेपरवाह घूमते हैं. कुछ गैर कानूनी धंधों में लगे हैं. कभी इनका उपयोग राजनीतिक पार्टियों के प्रचार व अन्य कामो के लिये भी किया  जाता है.इन्हें उस समय जब यह बढ़ रहे थे किसी ने रोकने का प्रयास नहीं किया.. मौदहापारा तो एक ट्रेलर है अगर पुलिस अब भी सक्रिय नहीं हुई तो ऐसी घटनाओं का सिलसिला शुरू हो जायेगा  इसकी  एक भनक तो हमें कोर्ट में हाल ही मारे गये छापें में स्पष्ट दिखाई दी. मौदहापारा जैसी घटनाओं के लिये कई मोहल्ले तैयार हो चुके हैं जो आने वाले  समय में   पुलिस के लिये चुुनौती है. पूर्व के वर्षो में कभी गेंगवार जैसी स्थिति पैदा नहीं हुई लेकिन अब ऐसा होने लगा है. पुलिस अगर ईमानदारी से इस मामले  में काम करे तो उसे कई ऐसी बातो का पता चलेगा जो राजधानी को अपराध के जकडे जाल से निकालने में मदद करेगा मगर इससे  पुलिस को अपने अंदर भी झांकने की जरूरत है कि उसके भीतर भी  ऐसे कितने लोग छिपे हैं जो इन  तत्वों को पनपने  में मदद करते हैं.पुलिस की हाल की पहल स्वागत योग्य है- उसने   अपनी सक्रियता बढ़ाने का ऐलान कर दिया है-इससे थोड़ा बहुत नियंत्रण अपराधियों पर हो जाये तो आश्चर्य नहीं करना चाहिये.छत्तीसगढ़ का रायपुर और दुर्ग इस  समय सबसे ज्यादा अपराध में झुलस रहा है इसमें बाहर से आने वाले  कुछ अपराधी तत्व  तो है ही सबसे ज्यादा इनवोल्वमेंट कम आयु के युवक हैं जो पूरी तरह से नियंत्रण के बाहर है.वास्तविकता यही है कि राजधानी रायपुर के मौदहापारा में गेंगवार की  स्थिति के बाद एक युवक की मौत से पुलिस को  यह एहसास हुआ है कि आगे चलकर यह स्थिति खतरनाक होगी. शहरभर में ऐसे बदमाशों को ढूंढने पर पुलिस को ऐसा लगा कि स्थिति विस्फोटक कगार पर है. हर किस्म के नशे की लत, घर पर नियंत्रण से बाहर और शहरों में लफूटगिरी से ऐसे तत्वों ने अलग ही दुुनिया बसा ली है. नाबालिगों की अपराध की तरफ का रास्ता अपने घर से शुरू होता है जहां से वे पैसा चुुराते हैं फिर मोहल्ले की तरह बढ़ते हैं जहां से वे किसी के बाहर पड़े वस्तुओं को  बेचकर जेब खर्च का पैसा बनाते हैं फिर उससे मोबाइल, नशें की वस्तुएं आदि खरीदकर दोस्तों के बीच ऐश की जिदंगी शुरू करते हैं पुलिस को इसके लिये मोहल्ले के लोगों से सहयोग की जरूरत है जो  अच्छी तरह जानते हैं कि कौन क्या कर रहा है? फिलहाल पुलिस को तलाश है अपराधी और नशे के धंधे में लिप्त लोगों की.उसे इस बात का एहसास काफी समय बाद हुआ कि ऐसे ही  तत्वों की वजह से अक्सर शहर का माहौल खराब हो रहा है. बाहरी अपराधियों से भी ऐसे तत्वों की सांठगांठ से इंकार नहीं किया जा सकता. इन्हें गांजा, शराब, स्मेक,हेरोइन आदि की  सप्लाई ज्यादातर बाहरी लोगों से होती है.18 से 25 साल के लफंगों का गिरोह -एक-दो नहीं बल्कि कई गैंग बनकर शहर में सिर उठा चुके हैं.जिला बदर या तड़ीपार इसका समाधान नहीं लगता क्योंकि इतने बड़े रायपुर में वर्ष 2013 में मात्र पचास और 2014 में मात्र सात अपराधियों के खिलाफ ही जिला बदर की कार्रवाही की गई वैसे भी इसकी प्रक्रिया इतनी लम्बी है कि काफी वक्त लग जाता है. ऐसे में पुलिस की कोई भी कार्यवाही उन्हें इनके गोड फादरों के कारण परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. मौदहापारा गोलीकांड के बाद ऐसे बदमाशों के खिलाफ अब बड़ी और सख्त कार्रवाई होगी  इसकी हम आशा करते हैं.












टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ANTONY JOSEPH'S FAMILY INDX

बैठक के बाद फिर बैठक लेकिन नतीजा शून्‍य

गरीबी हटाने का लक्ष्य अभी कोसो दूर!