घटनाओं के बाद क्यों बनती है पुलिस वाचाल!




एक दिन में पांच महिलाओ के गले से चैन लूटने का एक नया रिकार्ड कायम हुआ है छत्तीसगढ़ के सिर्फ दो शहरो में।ं इनमें चार के गले  से चैन निकालने में लुटेरे सफल रहे तो एक में सफलता नहीं मिली. एक दिन के दौरान कुछ ही घंटो में इतनी घटनाओं को पुलिस की नाक के नीचे अंजाम देना लुटेरों के साहस का एक अद्भुुत नमूना ही कहा जायेगा-अगर पिछले चैन स्नेचिंग के इतिहास तरफ नजर दौड़ाये तो एक ही समय में इतनी बारदातें कभी नहीं हुई.हां आज खबर हैं इस घटना के पूर्व ग्वालियर में भी ऐसा कुछ हुआ जबकि इससे पूर्व चैन स्नेेचरों ने रायपुर भिलाई, दुर्ग राजनांदगांव में ऐसा करने में  दो महीने का समय लगाया. इस दौरान दो दर्जन से ज्यादा महिलाओं के गले से चैन लूटने का प्रयास हुआ है और सभी में सफल रहे हैं. इन  मामलों में दो लुटेरों को पकड़े जाने के बाद लोगों को काफी राहत मिली थी कुछ को उनका लूटा सोना वापस मिला लेकिन कुछ अभी भी थानों के चक्कर  लगा रहे हैं उसी प्रकार की घटना के अचानक शुरू हो जाने से महिलाओं में सोना पहनकर निकलना एक दहशतभरी बात हो गई हैं छत्तीसगढ़ में चोर-लुटेरे कितने शातिर हैं उसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि दुर्ग से लेकर रायपुर तक वे एक के बाद एक पांच वारदात करते चले गये लेकिन कहीं पुलिस के हाथ नहीं लगे.अपराधियों के स्मार्टनेस का अदंाज इससे भी लगता है कि वे मोटर सायकिल में यातायात नियमों का पूरा पालन करते हुए हेलमेट की अनिवार्यता का पूरा पालन करते हुए वारदात को अंजाम दे रहे हैं.पूर्व के लुटेरों की तरह इन लुटेरों ने भी वैसी ही वारदात की है जैसा उनके पूर्वजों ने  की थी. दुर्ग शहर में पहली वारदात की, उसके बाद बिना किसी खाखी बाधा के राजधानी में एक के बाद एक सीरियल चैन स्नेचिगं कर पुलिस को गंभीर चुनौती दे डाली.अचानक इस नये गिरोह के पैदा होने  से पुलिस का चिंतित होना स्वाभाविक है.लुटेरों ने बुधवार  की शाम दुर्ग में 5 बजे पहली वारदात की,उसके बाद संभवत वही लुटेरे हाइवे से शाम 7 बजे टिकरापारा पहुंचे और एक महिला की चेन खींची, फिर करीब 7.15 बजे तेलीबांधा और 7.30 बजे फाफाडीह में महिलाओं से चेन लूटकर फरार हो गए. इसके बाद करीब 8.15 बजे खमतराई में भी पांचवीं चेन लूटने का प्रयास किया, हलांकि इस बार वे सफल नहीं हो पाए.रायपुर और दुर्ग पुलिस दावा कर रही है कि उन्हें लुटेरों का हुलिया मिला है.पुलिस की  कड़ी नाकेबंदी के बाद भी पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा.अपराधी वारदात किसी को बताकर नहीं करते लेकिन हमारी  पुलिस उनके द्वारा घटित घटना की छानबीन डंका बजाकर करती है.अपराधियों के गिरफतारी के पूर्व उसकी पब्लिसिटी करने में भी  कोई कोर कसर नहीं छोड़ते. ओपन किताब की तरह है हमारे पुलिस की जांच प्रणाली! ''जो चाहे पुस्तक खोल के देख ले कि हम क्या कर रहे हैं-जैसे सीसीटीवी में हुलिया मिल गया, हमें मालूम है वे किधर भागे हैं, हमने एक टीम फलाने शहर के लिये रवाना की है, हमें उस गिरोह पर शक है आदि जो भी गतिविधियां होती है या तो पुलिस वाले खुद सार्वजनिक करते हैं या फिर मीडिया उसे अपने ढंग से अवतरित कर अपराधियों को मौका देती है कि वे भाग जायें.आज भी  देखिये यह बता दिया कि हमें शक है कि बाहरी जातगत गिरोंह है जो यह वारदात कर रहा हैÓÓ पुलिस क्या समझती है अपराधी अखबार नहीं पड़ते या टीवी नहीं देखते? यह आज से नहीं कई सालों से चला आ रहा  है. यहां तक बता दिया जाता है कि अपराधी इस दिशा में उस शहर की ओर भागा होगा-पुलिस के यह बहादुरीपूर्ण बयान अपराधियोंं को भागने में काफी हद तक मदद पहुंंचातेे हें. इस किस्म की वारदातों के परिप्रेक्ष्य में पुलिस को जहां अपनी कार्यप्रणाली में व्यापक परिवर्तन की जरूरत है वहीं कुछ ऐसे कदम उठाने होंगे जो इस प्रकार की अंधी वारदातों को रोक सके. मसलन प्राय: सभी सार्वजनिक क्षेत्रों मे सीसीटीवी लगाना बहुत उपयोगी होगा. आपराधिक गतिविधियों में लिप्त लोगों का संबन्ध मोहल्ले के अन्य लड़कों  से जरूर होता है. पूर्व में पुलिस के लोग कतिपय ऐसे तत्वों से मिलकर उनसे अपने विरोधियों की पूरी जानकारी एकत्रित करते थे तथा उन्हीं की मदद से वे पकड़े भी जाते थे.पहले शहर में तथा रेलवे स्टेशन व सार्वजनिक स्थलों पर जेब कतरों व छोटी छोटी लूट की वारदात को अंजाम देने  वालों का बोलबाला रहता था अब ऐसे लोग या उनके चेले चपेटो ने अपने तरीकों को मोटर सायकिल-कार व अन्य मंहगी  वाहनों के साथ मोबाइल के जरिये काफी हाईटेक कर लिया है.हमें उम्मीद है कि राजधानी पुलिस इस गिरोह को भी तुरन्त अपने शिकंजे में कसेगी क्योंकि छत्तीसगढ़ की जनता को उस पर विश्वास है कि उसने एक माह पहले ही यूपी के दो शातिर चेन लुटेरों को गिरफ्तार कर अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश किया था. इस गिरोह ने रायपुर, दुर्ग-भिलाई में 16 घटनाओं को अंजाम दिया था.इनका एक साथी फरार है। पुलिस इस आधार पर भी जांच कर रही है.हम यह पहले भी कह चुके  है कि पुलिस को इस समय बेखौफ मोटर सायकिल में घूमने वाले कतिपय लफूटों पर सघन निगरानी  की जरूरत है जो कभी भी कोई बड़ी वारदात को अंजाम देकर भाग निकलते हैं.



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