हर हाथ में मोबाइल की खुशी देखी नहीं गई सरकार से,बजट में और पड़ेगी मार!

रायपुर दिनांक 31 जनवरी 2011

हर हाथ में मोबाइल की खुशी देखी नहीं
गई सरकार से,बजट में और पड़ेगी मार!
सब ठीक चल रहा था,लोग कहने लगे थे कि महंगाई सब जगह है लेकिन मोबाइल और फोन पर बात करना सस्ता है लेकिन ऐसा लगता है कि सराकर को लोगो की यह खुशी भी पसंद नहीं आई। नये संचार मंत्री ने ऐसी छड़ी घुमाई कि उनको सब जानने लगे कि मंहगाई बढाने वाले एक बादशाह यह भी हैं। स्पेक्ट्रम जिसके बारे में देश की आधे से भी ज्यादा जनता नहीं जानती का बहाना बनाकर मोबाइल की सुख सुविधा लोगों के हाथ से छीनने का बंदोबस्त आदरणीय कपिल सिब्बल साहब ने कर दिया। इसकी सीधी मार उपभोक्ताओ की जेब पर तो पड़ेगी ही नये आपरेटर जो अब तक खुशी खुशी अपना कारोबार शुरू कर रहे थे उन्हें भी दुखी कर दिया। स्पेक्ट्रम वह सिग्नल या रेडियोधर्मी तरंग है जो मोबाइल मे आवाज और सिग्नल के लिये प्रयोग में लाया जाता है। पूर्व में यह तरंग आपरेटरों के लिये नि:शुल्क कर दिया गया था इससे मोबाइल की दरें सस्ती हो गई थी लेकिन अब सरकार ने मना कर दिया कि वह नि:शुल्क स्पेक्ट्रम नहीं देगी। अब तक जो घोटाले इस मामले में किये हैं उनको सजा देने की जगह यह कौन सा न्याय है कि आम जनता और नये आपरेटरों दोनों को इसकी लपेट में ले लिया? मंहगाई बढ़ाने मे हमारे मंत्रीगण इस समय विशिष्ट भूामिका अदा कर रहे हैं। रेल बजट अभी आया नहीं है किंतु यह खबर आने लगी है कि यात्री किराये में बडौत्तरी होगी। इससे पूर्व कृृषि मंत्री शरद पवार के कारनामो से देश वाकिफ है। जिस मंहगाई के लिये उनका मंत्रालय सीधे सीधे उत्तरदायी था उसमें वे अपने आपको बचाने के लिये ऊल जलूल उत्तेजित बयानों से जनता को गुमराह करते रहे। देश के वित्त मंत्री प्रणब मुकर्जी पिछले वर्ष मार्च से यह कह रहे हैं कि मंहगाई छह महीनों में खत्म हो जायेगी। इस दौरान गर्मी निकल गई, बरसात भी निकल गई और ठण्ड का महीना भी निकलने को है लेकिन न छह महीने पूरे हुए और न मंहगाई घटी। वित्त मंत्री का बजट भी अभी आया नहीं किंतु खबर है कि दवाई की कीमतें भी बढने वाली है। मोबाइल, फोन, फ्रिज,गैस चूल्हा, वाहन,दवा यह सब अब देश में विलासिता की वस्तुएं न रहकर सामान्य जन के दैनिक जीवन का एक अंग बनता जा रहा है चूंकि समय के साथ हर आदमी को बदलना पड़ता है। अगर सुविधाएं सस्ते में देकर उसे महंगा कर छीनने का प्रयास किया गया तो यह जनता के आक्रोश का कारण बनता है किन्तु सदैव से विलासिता और सुविधा में जीवन जीने वाले हमारे तंत्र के कर्णधार आम लोगों की भावनाओं को समझ नहीं पाते। पहले हम हंसी उड़़ाते थे कि मोबाइल किसी दिन सब्जी बेचने और रद्दी बेचने वाले के पास भी होगा किंतु आज हम गर्व से कह सकते हैं कि मोबाइल आज हर ऐसे वर्ग के हाथ में है जो मेहनतकश है यह इसलिये संभव हो सका चूंकि इसे सस्ते में लोगों को उपलब्ध कराया। मोबाइल चार्ज महंगा होने की स्थिति में इस वर्ग के लिये अंगूर ख्ट्टे हैं का मुहावरा सच साबित न हो जाये?मेाबाइल की तरह ही पेट्रोल-डीजल को भी सामान्य जन के बजट से दूर कर दिया गया। सरकार मंहगाई के वर्तमान दौर से खुश नहीं है-उसे इस बात का रोग लग गया है कि वह जनता की सुख सुविधाओं पर और चोट करें-आम जनता को बजट में यह गिफट भी मिल सकता है-तैयार रहें!

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ANTONY JOSEPH'S FAMILY INDX

बैठक के बाद फिर बैठक लेकिन नतीजा शून्‍य

गरीबी हटाने का लक्ष्य अभी कोसो दूर!