आरूषी-हेमराज हत्याकांड-सीबीआई क्यों पीछे हटी-आखिर हत्यारा कौन?
रायपुर शनिवार दिनांक 1 जनवरी 2011
आरूषी-हेमराज हत्याकांड-सीबीआई
क्यों पीछे हटी-आखिर हत्यारा कौन?
चार दीवारी के भीतर चार लोग, इसमें से दो की हत्या, एक मरने वाला घर का नौकर-दूसरा घर की बेटी। कौन हो सकता है हत्यारा? नोएड़ा का आरूषी हेमराज हत्याकांड दो साल से इसी सवाल पर उलझा हुआ है। पहले लोकल पुलिस फिर सीआईडी और बाद में देश की सबसे बड़ी व अधिकार प्राप्त गुप्तचर एजेंसी -'सीबीआइर्Ó। कभी घर के नौकर पर संदेह तो कभी बेटी के बाप पर तो कभी कंपाउडंर और दूसरे के घरों में काम करने वाले नौकरों पर! इन संंदेहों के आधार पर सीबीआई ने पूछताछ के नाम पर कई लोगों को हिरासत में लिया, नारकोटिक्स टेस्ट से गुजारा और हत्या का आरोपी बनाकर जेल में भी ठूस दिया किंतु नतीजा यही निकला कि इनमें से कोई नहीं। अगर इनमें से कोई नहीं तो हत्या किसने की? सीबीआई ने सबूत नहीं मिलने की बात कहते हुए इस हत्याकांड के खुलासे पर घुटने टेक दिये। सीबीआई इस मामले में आगे जांच नहीं करना चाहती। ताजा घटनाक्रम के अनुसार देशभर में सीबीआई के इस कदम की छीछालदर होने के बाद विधिमंत्री वीरप्पा मोइली ने सीबीआई चीफ को बुलाकर जांच जारी रखने की बात कही है। सीबीआई की अब क्या भूमिका होगी इसका खुलासा अभी नहीं हुआ है लेकिन हमारे देश की इस सबसे बड़ी जांच एजेंसी की मजबूरी का यह पहला मौका नहीं है। इससे पहले जसिका लाल हत्याकांड में भी सीबीआई की भूमिका कुछ इसी तरह की थी जिसमें बाद में अपराधी को पकड़कर कोर्ट में पेश कर उसे सजा दी गई। रूचिका गिरहोत्रा हत्याकांड में भी सीबीआई ने हाथ खड़े कर दिये थे फिर निठारी में कई बच्चों की हत्या मामले में नौकर सुरेन्द्र कोली के मत्थे सारा दोष मढकर मोनिन्दर सिंह पंढेर को पतली गली से लगभग बाहर कर दिया गया। आरूषी-हेमलाल हत्याकांड मामला यद्यपि अब खत्म करने के लिये अदालत में पहुंच गया है किंतु सीबीआई की नोट शीट में जो तथ्य उजागर हुए हैं वह आरूषी के पिता राजेश तलवार और उनकी पत्नी नूपर तलवार की और केन्दित हो रहे हैं जो यह बता रहे है कि राजेश तलवार ने आरूषी के पोस्टमार्टम रिपोर्ट को प्रभावित किया। यह हत्याकांड शुरू से ही हाईप्रोफ ाइल परिवार का होने से दो साल तक सिवाय 'नाटकÓ के हकीकत कभी सामने नहीं आई। आख्रिर इस पूरे मामले में हत्यारा कौन है? घर के भीतर हुई हत्या में आरोपी भी घर का ही हो सकता है, लोकल पुलिस ने यह साबित करने के लिये आरूषी के पिता को गिरफतार कर जेल भेजा और रिहा कर दिया। आज की स्थिति में जब सीबीआई ने सच्चाई जानने के मामले में घुटने टेक दिये हैं तो यह अब दिलचस्प बन पडा है कि आखिर हत्यारा कौन है? वह इस पूरे जांच में या तो जांच एजेङ्क्षसयों के साथ मिलकर उन्हें गुमराह करता जा रहा है या फिर उसकी पहुंच इतनी ज्यादा है कि उसे सीकचों के पीछे भेजने में कहीं न कहीं से भारी दबाव पड़ रहा है-अगर दबाव डाला जा रहा है तो दबाव डालने वाला कौन है? क्या यही कारण तो नहीं है कि सीबीआई ने गुस्से में आकर इस मामले में कुछ करने से ही हाथ खीच लिया है? सीबीआई का यह निर्णय भले ही उसकी कोई ब्यूह रचना हो या वास्तविक निर्णय इससे देश में इस एजेंसी पर विश्वास करने वाले करोड़ों लोगों को आघात पहुंचा है। देश में होने वाले अधिकांश बड़े अपराधों में चाहे वह राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक या आपराधिक इनमे लोग निष्पक्ष जांच के लिये केन्द्रीय जांच ब्यूरों-सीबी आई की ही मांग करते हैं। सीबीआई के वर्तमान निर्णय के बाद उसकी निष्पक्षता, उसकी कार्यक्षमता तथा अन्य अनेक मामलों मे सवाल उठना स्वाभाविक है किंतु अगर विधि मंत्री इस मामले की जांच जारी रखने का आदेश देते हैं तो सीबीआई को इसे एक चुनौती के रूप में स्वीकार कर निष्पक्ष ईमानदार व तेज तर्रार अधिकारियों की मदद से संपूर्ण मामले का खुलासा करना चाहिये। यह सीबीआई का अपनी साख पुन: बनाये रखने के लिये भी जरूरी है।
आरूषी-हेमराज हत्याकांड-सीबीआई
क्यों पीछे हटी-आखिर हत्यारा कौन?
चार दीवारी के भीतर चार लोग, इसमें से दो की हत्या, एक मरने वाला घर का नौकर-दूसरा घर की बेटी। कौन हो सकता है हत्यारा? नोएड़ा का आरूषी हेमराज हत्याकांड दो साल से इसी सवाल पर उलझा हुआ है। पहले लोकल पुलिस फिर सीआईडी और बाद में देश की सबसे बड़ी व अधिकार प्राप्त गुप्तचर एजेंसी -'सीबीआइर्Ó। कभी घर के नौकर पर संदेह तो कभी बेटी के बाप पर तो कभी कंपाउडंर और दूसरे के घरों में काम करने वाले नौकरों पर! इन संंदेहों के आधार पर सीबीआई ने पूछताछ के नाम पर कई लोगों को हिरासत में लिया, नारकोटिक्स टेस्ट से गुजारा और हत्या का आरोपी बनाकर जेल में भी ठूस दिया किंतु नतीजा यही निकला कि इनमें से कोई नहीं। अगर इनमें से कोई नहीं तो हत्या किसने की? सीबीआई ने सबूत नहीं मिलने की बात कहते हुए इस हत्याकांड के खुलासे पर घुटने टेक दिये। सीबीआई इस मामले में आगे जांच नहीं करना चाहती। ताजा घटनाक्रम के अनुसार देशभर में सीबीआई के इस कदम की छीछालदर होने के बाद विधिमंत्री वीरप्पा मोइली ने सीबीआई चीफ को बुलाकर जांच जारी रखने की बात कही है। सीबीआई की अब क्या भूमिका होगी इसका खुलासा अभी नहीं हुआ है लेकिन हमारे देश की इस सबसे बड़ी जांच एजेंसी की मजबूरी का यह पहला मौका नहीं है। इससे पहले जसिका लाल हत्याकांड में भी सीबीआई की भूमिका कुछ इसी तरह की थी जिसमें बाद में अपराधी को पकड़कर कोर्ट में पेश कर उसे सजा दी गई। रूचिका गिरहोत्रा हत्याकांड में भी सीबीआई ने हाथ खड़े कर दिये थे फिर निठारी में कई बच्चों की हत्या मामले में नौकर सुरेन्द्र कोली के मत्थे सारा दोष मढकर मोनिन्दर सिंह पंढेर को पतली गली से लगभग बाहर कर दिया गया। आरूषी-हेमलाल हत्याकांड मामला यद्यपि अब खत्म करने के लिये अदालत में पहुंच गया है किंतु सीबीआई की नोट शीट में जो तथ्य उजागर हुए हैं वह आरूषी के पिता राजेश तलवार और उनकी पत्नी नूपर तलवार की और केन्दित हो रहे हैं जो यह बता रहे है कि राजेश तलवार ने आरूषी के पोस्टमार्टम रिपोर्ट को प्रभावित किया। यह हत्याकांड शुरू से ही हाईप्रोफ ाइल परिवार का होने से दो साल तक सिवाय 'नाटकÓ के हकीकत कभी सामने नहीं आई। आख्रिर इस पूरे मामले में हत्यारा कौन है? घर के भीतर हुई हत्या में आरोपी भी घर का ही हो सकता है, लोकल पुलिस ने यह साबित करने के लिये आरूषी के पिता को गिरफतार कर जेल भेजा और रिहा कर दिया। आज की स्थिति में जब सीबीआई ने सच्चाई जानने के मामले में घुटने टेक दिये हैं तो यह अब दिलचस्प बन पडा है कि आखिर हत्यारा कौन है? वह इस पूरे जांच में या तो जांच एजेङ्क्षसयों के साथ मिलकर उन्हें गुमराह करता जा रहा है या फिर उसकी पहुंच इतनी ज्यादा है कि उसे सीकचों के पीछे भेजने में कहीं न कहीं से भारी दबाव पड़ रहा है-अगर दबाव डाला जा रहा है तो दबाव डालने वाला कौन है? क्या यही कारण तो नहीं है कि सीबीआई ने गुस्से में आकर इस मामले में कुछ करने से ही हाथ खीच लिया है? सीबीआई का यह निर्णय भले ही उसकी कोई ब्यूह रचना हो या वास्तविक निर्णय इससे देश में इस एजेंसी पर विश्वास करने वाले करोड़ों लोगों को आघात पहुंचा है। देश में होने वाले अधिकांश बड़े अपराधों में चाहे वह राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक या आपराधिक इनमे लोग निष्पक्ष जांच के लिये केन्द्रीय जांच ब्यूरों-सीबी आई की ही मांग करते हैं। सीबीआई के वर्तमान निर्णय के बाद उसकी निष्पक्षता, उसकी कार्यक्षमता तथा अन्य अनेक मामलों मे सवाल उठना स्वाभाविक है किंतु अगर विधि मंत्री इस मामले की जांच जारी रखने का आदेश देते हैं तो सीबीआई को इसे एक चुनौती के रूप में स्वीकार कर निष्पक्ष ईमानदार व तेज तर्रार अधिकारियों की मदद से संपूर्ण मामले का खुलासा करना चाहिये। यह सीबीआई का अपनी साख पुन: बनाये रखने के लिये भी जरूरी है।
achchha vishleshan hai. badhai bog-lekhan ke liye....
जवाब देंहटाएंDhanyad girish.
जवाब देंहटाएंpadte rahna our muje protshait karte rahna