भ्रष्टाचार में अर्जित संपत्ति
रायपुर दिनांक 8 जनवरी 2011
भ्रष्टाचार में अर्जित संपत्ति अब जनता के खजाने
में, बिहार में कानून, केन्द्र भी होगा सख्त!
भ्रष्टाचार के खिलाफ लिखे गये मैरे प्राय: सभी आलेख में मैं शुरू से ही यह सुझाव देता आया हूं कि पहले उपाय के तौर पर सरकार को भ्रष्ट लोगों की संपत्ति जप्त कर लेनी चाहिये, लगता है जनता की तरफ से उठी मैरी आवाज सरकार तक पहुंच गई है और इस सुझाव पर इस वर्ष पूरे देश में अमल हो जाये तो आश्चर्य नहीं। बिहार सरकार ने सन् 2010 से इसपर अमल शुरू कर दिया है। विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत के बाद तो नितीश कुमार की सरकार इस मामले में और कड़क हो जाये तो आश्चर्य नहीं। भ्रष्टाचार से सारा देश पीडि़त है और अगर इसपर नियंत्रण की शुरू आत बिहार से हो जाये तो इसे एक अच्छा संकेत ही माना जायेगा। केन्द्र सरकार इस साल के शुरू होने के साथ भ्रष्टाचार पर नियंत्रण करने के लिये एक अध्यादेश की बात कर रही है लेकिन अध्यादेश लाने में समय लग सकता है। भ्रष्ट नौकरशाहों और राजनेताओं की भ्रष्टाचार से बनाई गई संपत्ति को जप्त करना सर्वाधिक उचित उपाय है बिहार में इसकी सफलता से यह साल भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लडऩे में नई उम्मीदें जगाती है। केन्द्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय ईडी ने भी मनी लांड्रिगं- [अवैध संपत्ती को वैध बनाना] रोकने के कानून के तहत काली कमाई से बनाई गई संपत्ति को जब्त करना शुरू कर दिया है। मनी लांड्रिगं कानून के शिकार झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोंडा और उनके पांच अन्य साथी हुए हैं। सन् 2009 में उनकी अवैध कमाई की संपत्ति को जप्त कर ली गई। इसी वर्ष किडऩी बेचकर अवैध कमाई करने वाले डाक्टर अमित कुमार को भी मनी लांड्रिगं कानून के तहत लाया गया और उनकी संपत्ति जप्त कर ली गई। डाक्टर की तो आस्ट्रेलिया की संपत्ति भी जप्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।आजादी के बाद से अब तक भ्रष्टाचार के मामले में कई लोग पकड़े गये, उनके पास अवैध संपत्ति है इसका भी पता चला, उनमें से कइयों को सजा भी हुई किंतु किसी की संपत्ति जप्त होने के बहुत कम मामले हुए। सन् 2010 में मनी लांड्रिगं के कम से कम 1500 मामले दर्ज हुए हैं। केन्द्र सरकार अगर अध्यादेश के माध्यम से यह कड़ा कानून बनाती है तो बहुत हद तक भ्रष्टाचार पर काबू पाया जा सकेगा। भ्रष्टाचारियों की संपत्ति जप्त करने के साथ साथ कानून में यह प्रावधान भी किया जाना चाहिये कि भ्रष्टाचारी भविष्य में किसी सरकारी अर्धसराकरी या प्रायवेट नौकरी में सेवा न दे सकें। उसे तो मत देने के अधिकार से भी वंचित किया जाना चाहिये। हमारे कानून में भ्रष्टाचारी को मौत की सजा देेने का प्रावधान नहीं है लेकिन लोकतांत्रिक तरीके से ऐसे व्यक्ति को जेल के सीकचों में बंद किया जा सकता है। केन्द्र द्वारा भ्रष्टाचार से निपटने जो अध्यादेश लाने वाला है उसमें किन नियम कानून का उल्लेख होगा यह तो अभी पता नहीं चला लेकिन यह तो तय दिख रहा है कि यह कानून भी बिहार के कानून की तर्ज होगा। अगर ऐसा हुआ तो देश में भ्रष्टाचार पर बहुत हद तक अंकुश लग जायेगा लेकिन सरकार को निष्पक्ष होकर उन सभी राजनेतााओं, नौकरशाहों और अन्य अपराध में लिप्त लोगों पर हाथ डालना चाहिये जो देश को खोखला करने में लगे हुए हैं।
भ्रष्टाचार में अर्जित संपत्ति अब जनता के खजाने
में, बिहार में कानून, केन्द्र भी होगा सख्त!
भ्रष्टाचार के खिलाफ लिखे गये मैरे प्राय: सभी आलेख में मैं शुरू से ही यह सुझाव देता आया हूं कि पहले उपाय के तौर पर सरकार को भ्रष्ट लोगों की संपत्ति जप्त कर लेनी चाहिये, लगता है जनता की तरफ से उठी मैरी आवाज सरकार तक पहुंच गई है और इस सुझाव पर इस वर्ष पूरे देश में अमल हो जाये तो आश्चर्य नहीं। बिहार सरकार ने सन् 2010 से इसपर अमल शुरू कर दिया है। विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत के बाद तो नितीश कुमार की सरकार इस मामले में और कड़क हो जाये तो आश्चर्य नहीं। भ्रष्टाचार से सारा देश पीडि़त है और अगर इसपर नियंत्रण की शुरू आत बिहार से हो जाये तो इसे एक अच्छा संकेत ही माना जायेगा। केन्द्र सरकार इस साल के शुरू होने के साथ भ्रष्टाचार पर नियंत्रण करने के लिये एक अध्यादेश की बात कर रही है लेकिन अध्यादेश लाने में समय लग सकता है। भ्रष्ट नौकरशाहों और राजनेताओं की भ्रष्टाचार से बनाई गई संपत्ति को जप्त करना सर्वाधिक उचित उपाय है बिहार में इसकी सफलता से यह साल भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लडऩे में नई उम्मीदें जगाती है। केन्द्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय ईडी ने भी मनी लांड्रिगं- [अवैध संपत्ती को वैध बनाना] रोकने के कानून के तहत काली कमाई से बनाई गई संपत्ति को जब्त करना शुरू कर दिया है। मनी लांड्रिगं कानून के शिकार झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोंडा और उनके पांच अन्य साथी हुए हैं। सन् 2009 में उनकी अवैध कमाई की संपत्ति को जप्त कर ली गई। इसी वर्ष किडऩी बेचकर अवैध कमाई करने वाले डाक्टर अमित कुमार को भी मनी लांड्रिगं कानून के तहत लाया गया और उनकी संपत्ति जप्त कर ली गई। डाक्टर की तो आस्ट्रेलिया की संपत्ति भी जप्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।आजादी के बाद से अब तक भ्रष्टाचार के मामले में कई लोग पकड़े गये, उनके पास अवैध संपत्ति है इसका भी पता चला, उनमें से कइयों को सजा भी हुई किंतु किसी की संपत्ति जप्त होने के बहुत कम मामले हुए। सन् 2010 में मनी लांड्रिगं के कम से कम 1500 मामले दर्ज हुए हैं। केन्द्र सरकार अगर अध्यादेश के माध्यम से यह कड़ा कानून बनाती है तो बहुत हद तक भ्रष्टाचार पर काबू पाया जा सकेगा। भ्रष्टाचारियों की संपत्ति जप्त करने के साथ साथ कानून में यह प्रावधान भी किया जाना चाहिये कि भ्रष्टाचारी भविष्य में किसी सरकारी अर्धसराकरी या प्रायवेट नौकरी में सेवा न दे सकें। उसे तो मत देने के अधिकार से भी वंचित किया जाना चाहिये। हमारे कानून में भ्रष्टाचारी को मौत की सजा देेने का प्रावधान नहीं है लेकिन लोकतांत्रिक तरीके से ऐसे व्यक्ति को जेल के सीकचों में बंद किया जा सकता है। केन्द्र द्वारा भ्रष्टाचार से निपटने जो अध्यादेश लाने वाला है उसमें किन नियम कानून का उल्लेख होगा यह तो अभी पता नहीं चला लेकिन यह तो तय दिख रहा है कि यह कानून भी बिहार के कानून की तर्ज होगा। अगर ऐसा हुआ तो देश में भ्रष्टाचार पर बहुत हद तक अंकुश लग जायेगा लेकिन सरकार को निष्पक्ष होकर उन सभी राजनेतााओं, नौकरशाहों और अन्य अपराध में लिप्त लोगों पर हाथ डालना चाहिये जो देश को खोखला करने में लगे हुए हैं।
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