दुकाने कम करने से शराब पीने वालों में कितनी कमी होगी?
रायपुर दिनांक 30 जनवरी 2011
दुकाने कम करने से शराब पीने
वालों में कितनी कमी होगी?
छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश में शराब पीने वालों की संख्या घटाने के लिये दो हजार से कम आबादी वाले ढाई सौ ग्रामों में शराब दुकाने बंद करने का फैसला किया है। सरकार का दावा है कि इससे शराबखोरी बहुत हद तक बंद होगी? पीने वालों का क्या है, जिसें पीना है वह पाताल खोदकर भी पीता है, उसे कोई नहीं रोक सकता। इस गांव में शराब नहीं है तो दूसरे गांव में जाकर पियेगा। इस स्थिति से निपटने के लिये पूर्ण शराब बंदी ही एक उपाय है लेकिन सरकार के लिये यह संभव नहीं है चंूकि सरकार को करोड़ों रूपये का राजस्व सिर्फ इसी धंधे से मिलता है। गांव गांव में शराब दुकानें खोलकर सरकार स्वंय लोगों को शराब पीने के लिये प्रोत्साहित करती है। यह एक तरह से व्यवसाय है-इससे किसी का परिवार बिखरे या टूटे सरकार का कोई लेना देना नहीं। शराब बिक्री से राजस्व नहीं होने की स्थिति में इसका खामियाजा आबकारी विभाग को भरना पड़ता है। वे भी यही प्रयास करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा शराब लोग पिये। सरकार ने प्रदेश की ढाई सो शराब दुकानों को अगले वित्तीय वर्ष से बंद करने का निर्णय लिया है। सरकार के अनुसार बंद की जा रही सभी दुकानें दो हजार से कम आबादी वाले गांवों में है। इस निर्णय से सरकार को हर साल सौ करोड़ रूपये की हानि होगी। प्रदेश सरकार के आय का एक बहुत बड़ा जरिया शराब है। सरकार ने पूरे प्रदेश में 1054 शराब दुकानें खोल रखी हैं। इसमें से ढाई सौ चली गई तो भी उसके राजस्व में खास फरक पडऩे वाला नहीं। अगर प्रदेश में नई पीढ़ी को शराब की लत से बचाना है तो सरकार को इस आय को कम कर नये स्त्रोत ढूंढना ही पड़ेगा। मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के अनुसार शराब पर पूर्ण पाबंदी तत्काल संभव नही हैं लेकिन चरणबद्व ढंग से इसे पूरा किया जा सकता है। छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों की बात को छोड़ भी दिया जाये तो आजकल शहरी क्षेत्रों में भी गली -गली शराब की बिक्री हो रही है और युवाओं का एक बड़ा वर्ग इसकी ओर आकर्षित हो रहा है। पीने की लत से कई घर बरबाद हो गये हैं इसका ही परिणाम है कि छत्तीसगढ़ के कई शहरी व ग्रामीण इलाकों में महिलाएं, बच्चे भी इसके खिलाफ सड़क पर उतर आये हैं। जिन क्षेत्रों में शराब के खिलाफ आंदोलन चला उसमें से शायद ही कोई क्षेत्र होगा जहां शराब दुकान बंद करने का निर्णय लिया गया हो। पूरे प्रदेश में जनसंख्या का एक बहुत बड़ा हिस्सा नशे का आदी हो चुका है। छत्तीसगढ़ के मंदिर हसौद में भानखोज से शराब के खिलाफ आंदोलन की शुरूआत हुई थी-यह वह समय था जब छत्तीसगढ़ राज्य नहीं बना था। सरकार ने दुकानेें बंद करने का निर्णय लेते समय इस क्षेत्र को भी नजर अंदाज किया। अगले वित्तीय वर्ष में जब शराब दुकानें खुलेंगी तो इन क्षेत्रों में फिर आक्र ोश भड़कना स्वाभाविक है जहां वर्षाे से शराब दुकाने बंद करने के लिये आंदोलन चल रहा है।
दुकाने कम करने से शराब पीने
वालों में कितनी कमी होगी?
छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश में शराब पीने वालों की संख्या घटाने के लिये दो हजार से कम आबादी वाले ढाई सौ ग्रामों में शराब दुकाने बंद करने का फैसला किया है। सरकार का दावा है कि इससे शराबखोरी बहुत हद तक बंद होगी? पीने वालों का क्या है, जिसें पीना है वह पाताल खोदकर भी पीता है, उसे कोई नहीं रोक सकता। इस गांव में शराब नहीं है तो दूसरे गांव में जाकर पियेगा। इस स्थिति से निपटने के लिये पूर्ण शराब बंदी ही एक उपाय है लेकिन सरकार के लिये यह संभव नहीं है चंूकि सरकार को करोड़ों रूपये का राजस्व सिर्फ इसी धंधे से मिलता है। गांव गांव में शराब दुकानें खोलकर सरकार स्वंय लोगों को शराब पीने के लिये प्रोत्साहित करती है। यह एक तरह से व्यवसाय है-इससे किसी का परिवार बिखरे या टूटे सरकार का कोई लेना देना नहीं। शराब बिक्री से राजस्व नहीं होने की स्थिति में इसका खामियाजा आबकारी विभाग को भरना पड़ता है। वे भी यही प्रयास करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा शराब लोग पिये। सरकार ने प्रदेश की ढाई सो शराब दुकानों को अगले वित्तीय वर्ष से बंद करने का निर्णय लिया है। सरकार के अनुसार बंद की जा रही सभी दुकानें दो हजार से कम आबादी वाले गांवों में है। इस निर्णय से सरकार को हर साल सौ करोड़ रूपये की हानि होगी। प्रदेश सरकार के आय का एक बहुत बड़ा जरिया शराब है। सरकार ने पूरे प्रदेश में 1054 शराब दुकानें खोल रखी हैं। इसमें से ढाई सौ चली गई तो भी उसके राजस्व में खास फरक पडऩे वाला नहीं। अगर प्रदेश में नई पीढ़ी को शराब की लत से बचाना है तो सरकार को इस आय को कम कर नये स्त्रोत ढूंढना ही पड़ेगा। मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के अनुसार शराब पर पूर्ण पाबंदी तत्काल संभव नही हैं लेकिन चरणबद्व ढंग से इसे पूरा किया जा सकता है। छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों की बात को छोड़ भी दिया जाये तो आजकल शहरी क्षेत्रों में भी गली -गली शराब की बिक्री हो रही है और युवाओं का एक बड़ा वर्ग इसकी ओर आकर्षित हो रहा है। पीने की लत से कई घर बरबाद हो गये हैं इसका ही परिणाम है कि छत्तीसगढ़ के कई शहरी व ग्रामीण इलाकों में महिलाएं, बच्चे भी इसके खिलाफ सड़क पर उतर आये हैं। जिन क्षेत्रों में शराब के खिलाफ आंदोलन चला उसमें से शायद ही कोई क्षेत्र होगा जहां शराब दुकान बंद करने का निर्णय लिया गया हो। पूरे प्रदेश में जनसंख्या का एक बहुत बड़ा हिस्सा नशे का आदी हो चुका है। छत्तीसगढ़ के मंदिर हसौद में भानखोज से शराब के खिलाफ आंदोलन की शुरूआत हुई थी-यह वह समय था जब छत्तीसगढ़ राज्य नहीं बना था। सरकार ने दुकानेें बंद करने का निर्णय लेते समय इस क्षेत्र को भी नजर अंदाज किया। अगले वित्तीय वर्ष में जब शराब दुकानें खुलेंगी तो इन क्षेत्रों में फिर आक्र ोश भड़कना स्वाभाविक है जहां वर्षाे से शराब दुकाने बंद करने के लिये आंदोलन चल रहा है।
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