खूब ठंड, खूब बारिश, खूब गर्मी
रायपुर बुधवार दिनांक 5 जनवरी 2011
खूब ठंड, खूब बारिश, खूब गर्मी
अलग अलग रूपों में प्रकृति!
पारे का उतार चढ़ाव मौसम विज्ञानियों और पर्यावरणविदों दोनों को आश्चर्य चकित कर रहा है। विश्व में बरसात के बाद इस मौसम में इतनी ठंड पडी है कि बर्फ की चादर से सारा इलाका ढक गया। ठण्ड से देश व विदेश में कई लोगों की मृत्यु भी हुई है। गर्मी के दिनों में भी इसका उलटा था गर्मी इतनी पड़ी कि लोगों का जीना मुश्किल हो गया। पारा 53 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच गया। पिछले वर्ष बारिश ने भी ऐसा कहर ढाया कि दुनिया के कई देशों में जनधन की भारी बर्बादी हुई। कहा यही जाता है कि गर्मी ज्यादा पड़ी तो बारिश अच्छी होगी और बारिश अच्छी होगी तो ठंड भी ज्यादा पड़ेगी। बारिश के मौमस के बाद आई इस बार की ठंड ने शुरू से भारत के उत्तरी राज्यों में कहर ढाना शुरू कर दिया था। देश का उत्तरी भाग अब भी सिकुड़ रहा है लेकिन दक्षिण में इस मौसम में भी इतनी गर्मी पड़ रही है कि लोगों को बदन से कपड़े उतारने पड़ रहे हैं। एक ही देश में मौसम की दो परिस्थितियां -यह कोई नई बात नहीं है,गर्मी के मौसम में भी ऐसा ही होता है जब देश के कई इलाकों में भारी बारिश होती है। मौसम वैज्ञानिक इन बदलावों पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं लेकिन प्रकृति के रहस्यों के आगे अब तक हमारा वैज्ञानिक तंत्र बौना है। देश में जहां एक तरफ ठंड है तो दूसरी तरफ देश के अंदर मौजूद हमारे इस छोटे से राज्य छत्तीसगढ़ में मौसम की दोगली परिस्थितियां विद्यमान है यहां एक तरफ बर्फ की चादर बिछी हुई है तथा तापमान शून्य डिग्री से नीचे चला गया है तो कुछ इलाको में उतनी ज्यादा ठण्ड और बर्फ जमने जैसी स्थिति नहीं है। अगर पिछले साल से अब तक का आंकलन करें तो जहां भीषण गर्मी ने लोगो को हर दृृष्टि से हिलाकर रख दिया वहीं जब बारिश हुई तो छत्तीसगढ़ के नदी, नाले, बांध सभी लबालब हो गये। खेतों में खड़ी फसल को भी नुकसान हुआ। भारी और अच्छी बारिश का ही परिणाम है कि इस बार पिछले कई वर्षाो के मुकाबले अच्छी ठंड पड़ी। छत्तीसगढ का प्राय: हर क्षेत्र इस समय अच्छी ठण्ड से सिकुड़ रहा है। मैनपाठ में जहां पारा शून्य से नीचे चला गया है तो अंबिकाुपर सहित कई क्षेत्रों में शीतलहर से लोग ठिठुर रहे हैं। सरगुजा के मैनपाट में पूरी पहाड़ी जहां बर्फ की चादर से बिछी नजर आई वहीं चिल्फी घाटी में भी जगह जगह सफेदी सी छा गई है। सरगुजा शहर का न्यूनतम तापमान जब 2.7 डिग्री हो सकता है तो अंदाज लगाया जा सकता है कि आसपास के पहाड़ी क्षे9ों की क्या स्थिति होगी। जशपुर मे तापमान 2.0 तक पहुंच गया। पूरे देश के उत्तरी हिस्सों की ओर एक नजर डाले तो कश्मीर, पंजाब,हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश में शीतलहर से लोग ठिठ़ुर रहे हैं वहीं जम्मू में बर्फबारी हो रही है। प्रकृति पर अध्ययन करने वालों का निष्र्कर्ष भले ही जो निकले मगर इस परिवर्तन के लिये बहुत हद तक हरियाली जिम्मेदार हैं जहां जहां हरियाली है वहां मौसम खुशनुमा है और जहां वन व पेउ़ काट दिये गये हैं वहां प्रकृति अपने वास्तविक रूप से अलग हटती जा रही है। पर्यावरण पर अब विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
खूब ठंड, खूब बारिश, खूब गर्मी
अलग अलग रूपों में प्रकृति!
पारे का उतार चढ़ाव मौसम विज्ञानियों और पर्यावरणविदों दोनों को आश्चर्य चकित कर रहा है। विश्व में बरसात के बाद इस मौसम में इतनी ठंड पडी है कि बर्फ की चादर से सारा इलाका ढक गया। ठण्ड से देश व विदेश में कई लोगों की मृत्यु भी हुई है। गर्मी के दिनों में भी इसका उलटा था गर्मी इतनी पड़ी कि लोगों का जीना मुश्किल हो गया। पारा 53 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच गया। पिछले वर्ष बारिश ने भी ऐसा कहर ढाया कि दुनिया के कई देशों में जनधन की भारी बर्बादी हुई। कहा यही जाता है कि गर्मी ज्यादा पड़ी तो बारिश अच्छी होगी और बारिश अच्छी होगी तो ठंड भी ज्यादा पड़ेगी। बारिश के मौमस के बाद आई इस बार की ठंड ने शुरू से भारत के उत्तरी राज्यों में कहर ढाना शुरू कर दिया था। देश का उत्तरी भाग अब भी सिकुड़ रहा है लेकिन दक्षिण में इस मौसम में भी इतनी गर्मी पड़ रही है कि लोगों को बदन से कपड़े उतारने पड़ रहे हैं। एक ही देश में मौसम की दो परिस्थितियां -यह कोई नई बात नहीं है,गर्मी के मौसम में भी ऐसा ही होता है जब देश के कई इलाकों में भारी बारिश होती है। मौसम वैज्ञानिक इन बदलावों पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं लेकिन प्रकृति के रहस्यों के आगे अब तक हमारा वैज्ञानिक तंत्र बौना है। देश में जहां एक तरफ ठंड है तो दूसरी तरफ देश के अंदर मौजूद हमारे इस छोटे से राज्य छत्तीसगढ़ में मौसम की दोगली परिस्थितियां विद्यमान है यहां एक तरफ बर्फ की चादर बिछी हुई है तथा तापमान शून्य डिग्री से नीचे चला गया है तो कुछ इलाको में उतनी ज्यादा ठण्ड और बर्फ जमने जैसी स्थिति नहीं है। अगर पिछले साल से अब तक का आंकलन करें तो जहां भीषण गर्मी ने लोगो को हर दृृष्टि से हिलाकर रख दिया वहीं जब बारिश हुई तो छत्तीसगढ़ के नदी, नाले, बांध सभी लबालब हो गये। खेतों में खड़ी फसल को भी नुकसान हुआ। भारी और अच्छी बारिश का ही परिणाम है कि इस बार पिछले कई वर्षाो के मुकाबले अच्छी ठंड पड़ी। छत्तीसगढ का प्राय: हर क्षेत्र इस समय अच्छी ठण्ड से सिकुड़ रहा है। मैनपाठ में जहां पारा शून्य से नीचे चला गया है तो अंबिकाुपर सहित कई क्षेत्रों में शीतलहर से लोग ठिठुर रहे हैं। सरगुजा के मैनपाट में पूरी पहाड़ी जहां बर्फ की चादर से बिछी नजर आई वहीं चिल्फी घाटी में भी जगह जगह सफेदी सी छा गई है। सरगुजा शहर का न्यूनतम तापमान जब 2.7 डिग्री हो सकता है तो अंदाज लगाया जा सकता है कि आसपास के पहाड़ी क्षे9ों की क्या स्थिति होगी। जशपुर मे तापमान 2.0 तक पहुंच गया। पूरे देश के उत्तरी हिस्सों की ओर एक नजर डाले तो कश्मीर, पंजाब,हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश में शीतलहर से लोग ठिठ़ुर रहे हैं वहीं जम्मू में बर्फबारी हो रही है। प्रकृति पर अध्ययन करने वालों का निष्र्कर्ष भले ही जो निकले मगर इस परिवर्तन के लिये बहुत हद तक हरियाली जिम्मेदार हैं जहां जहां हरियाली है वहां मौसम खुशनुमा है और जहां वन व पेउ़ काट दिये गये हैं वहां प्रकृति अपने वास्तविक रूप से अलग हटती जा रही है। पर्यावरण पर अब विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
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