अस्पताल भगवान भरोसे तो मरीज की जिदंगी भी भगवान भरोंसे!
कहने को तो डीके अस्पताल से मेकाहारा और बाद में डा. भीमराव आम्बेडकर अस्पताल प्रदेश का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है.राज्य के आसपास के राज्यों से भी गरीब लोग यहां पहुंचते हैं लेकिन इसके करम ऐसे हैं कि लोगों को इसकी हरकतों पर कभी शर्म और कभी तरस आता है.हाल ही इस अस्पताल ने ऐसी हरकत कर डाली कि छत्तीसगढ़ को शर्म से सिर झुकाना पड़ा. सिर्फ एक हजार रूपयें के लिए शव को 3 घंटे तक रोके रखा.शव उस समय छोड़ा गया जब आसपास के मरीजों ने पैसा एकत्रित कर पीडि़त गरीब परिवार को दिया.अब तक ऐसे बर्ताव के किस्से कतिपय निजी अस्पतालों से ही सुनने को मिलते थे अब इस प्रदेश का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल भी इस श्रेणी में शामिल हो गया. आखिर कौन है इसके लिये जिम्मेदार? अस्पताल में होने वाली प्राय: हर ऐसी गलतियों को नीचे से लेकर ऊपर लेवल तक छिपाने की एक परंपरा चली आ रही है और इस अस्पताल को चलाने वाले करता धरता ऐसे हर मामले में पतली गली से निकल जाते हैं- वे इस बात का हर संभव प्रयास करते है कि सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे.तीन घंटे तक शव को रोके रखने का जो विवरण हमें प्राप्त हुआ है वह इतना घिनौना है कि हमें अपने...