साफ स्टेशनों की दौड़ में भी हम पिछड़ गये....!
साफ स्टेशनों की दौड़ में भी हम पिछड़ गये....!
स्मार्ट सिटी बनने के लिये छत्तीसगढ़ के शहर भी शामिल थे लेकिन राजधानी सहित छत्तीसगढ़ के कोई भी शहर इस प्रतियोगिता में जीत नहीं पाये. उलटा जब स्वच्छता के मामले में रिजल्ट खुला तो उसमें भी हमारा नम्बर छठवें क्रम में दिखाई दिया. इसमें किसी को बताने की जरूरत नहीं पड़ी कि क्यों हम छठवे क्रम में आये. गंदगी तो हमारे हर मोहल्ले में हंैं जिसके लिये हम स्वंय ही जिम्मेदारी हैं.हमें अब इस बात पर संतोष कर लेना चाहिये कि देशव्यापी दौड़ में छत्तीसगढ़ का बिलासपुर देश का तीसरा सबसे साफ स्टशेन बनकर उबरा है.जबकि राजधानी रायपुर का रेलवे स्टेशन देश के सबसे गंदे स्टेशनों की सूची में आ गया है. देश के स्वच्छ 75 ए-1 श्रेणी के रेलवे स्टेशनों में रायपुर का स्थान 66वां है यानी गंदे स्टेशनों की टॉप टेन सूची में यह 9वें नंबर पर! सबसे साफ सुथरे स्टेशनों में जोनल मुख्यालय बिलासपुर का स्थान गुजरात के सूरत और राजकोट के बाद तीसरा है टॉप 10 की सूची में गुजरात का ही वडोदरा स्टेशन आठवें नंबर पर रहा वहीं मुगलसराय (उप्र) तथा पुणे सबसे गंदे स्टेशनों में हैं रेलवे की यह रिपोर्ट सफाई के मामले में महीनेभर में रायपुर के लिए दूसरा करारा झटका माना गया।हम यह बताना चाहते हैं कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत जारी रिपोर्ट में रायपुर सबसे गंदे शहरों में शामिल होकर अपनी योग्यता खो चुका है। ए श्रेणी के स्टेशनों में भी रायपुर मंडल का प्रदर्शन खराब है इस श्रेणी में यहां के तीन स्टेशन दुर्ग, राजनांदगांव और भिलाई पावर हाउस शामिल हैं तीनों स्टेशन का नंबर 332 स्टेशनों में दो सौ के नीचे हैं, जबकि बिलासपुर मंडल का चांपा 31वें नंबर पर है, लेकिन वहीं का रायगढ़ 215वें स्थान पर है. देश में माल भाढे में देश को सर्वाधिक आय देने वाले छत्तीसगढ़ को इस बुरी गत के लिये हम किसे दोषी माने?सीधे तौर पर रेलवे जिसने सुविधाओं के मामले में राज्य बनने से पहले से उपेक्षित रखा और राज्य बनने के बाद भी उपेक्षित है. संसाधनों की तो धीरेसीरे सप्लाई हो रही है साथ ही सुविधओं के विस्तार में भी भारी कंजूसी बरती जा रही है. स्टेशनों सदैव अप टू डेट तभी किया जाता है जब रेलवे का कोई बड़ा अधिकारी या नेता दौरा करता है उसके बाद स्टेशन में लोगों को नाक में रूमाल रख कर घूमना पड़ता है तथा स्टेशनों में याित्रयों के सामान से चलने फिरने तक की जगह नहीं होती. रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने गुरुवार को आईआरसीटीसी और टीएनएस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किए सर्वेक्षण के नतीजे जारी किए सर्वेक्षण में 16 जोन के 407 रेलवे स्टेशनों को लेकर लोगों से स्वच्छता से जुडे विभिन्न मानकों पर प्रश्न पूछे गए 60 करोड़ रुपए सालाना की आय वाले ए-1 श्रेणी के 75 रेलवे स्टेशनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का स्थान 65वां रहा रायपुर 66वें और मुजफ्फरपुर, भोपाल, कानपुर सेंट्रल, सियालदह और गुवाहाटी सूची में इसके बाद हैं यात्रियों के बीच कराए गए सर्वे में स्टेशनों को मिले अंक के आधार पर स्टेशनों को पांच अलग-अलग स्तर पर रखा गया है ए-1 श्रेणी में लेवल-1 में केवल तीन स्टेशन हैं, जिसमें बिलासपुर शामिल है रायपुर लेवल-4 में शामिल है 75 में से 18 स्टेशन इस लेवल में है ए श्रेणी के स्टेशनों में चांपा लेवल-2 में है 332 स्टेशनों में लेवल-2 में केवल 69 स्टेशन ही स्थान बना पाए हैं रायगढ़ लेवल-3 में है, इस श्रेणी में सबसे ज्यादा 136 स्टेशन हैं प्रदेश के बाकी तीनों स्टेशन लेवल-4 में है .हमारी कोशिश रहती है कि स्टेशन स्वच्छ रहे इसमें हम काफी हद तक सफल भी हुए हैं जो रिपोर्ट जारी हुई है, वह किन मापदंडों के आधार पर बनी है, इसकी जानकारी नहीं है लेकिन यह हम जरूर जानते हैं कि छत्तीसगढ़ के शहरों व स्टेशनों को स्वच्छता का सर्वोत्तम खिताब हासिल करने के लिये अभी बहुत पापड़ बेलने पड़ेंगें चूंकि हम अभी किसी प्रतियोगिता में शामिल होने लायक कहीं भी खड़े हो ही नहीं पाये हें. राज्य बनने के बाद हमने शून्य से अपनी यात्रा शुरू की हे ओैर अब पन्द्रह साल बाद अचानक हमें प्रतियोगी के रूप में शामिल कर दिया जाये तो हमें कोई श्रेणी मिलने का सवान ही नहीं खड़ा होता. छत्तीसगढ़ रेलवे को राजस्व देने के मामले में शुरू से अग्रणी रहा हे लेकिन इसके हिसाब से न हमारे स्टेशनों का उन्नयन हुआ और न यात्री सुविधाओं का, जिसमें सफाई और अन्य मामले भी शामिल हैैं जो कुछ हमें मिला वह सब छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद अपने बलबूते पर अत: यह कहना कि हम अपना सौदर्य नहीं बढ़ा सके, ताकत नहीं बढ़ा सके तो यह सारी बाते एकदम बेमानी है
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