एप्रिल फूल बनाया तो उनको गुस्सा आया....नये वित्तीय वर्ष का पहला दिन!
''दिन है सुहाना आज पहली तारीख है, खुश है ज़माना आज पहली तारीख है -पहली तारीख अजी पहली तारीख है, बीवी बोली घर जऱा जल्दी से आना, जल्दी से आना शाम को पियाजी हमें सिनेमा दिखाना, हमें सिनेमा दिखाना करो ना बहाना हाँ बहाना बहाना करो ... आजादी के बाद के वर्षो में किशोर कुमार का गाया यह गाना रेडियों पर पहली तारीख को दिन में कई बार बजा करता था, फिर जब अपेे्रेल का महीना आता तो इस महीने की पहली तारीख को मोहम्मद रफी अपने इस अंदाज में गाते थे- अपे्रल फूल बनाया तो उनको गुस्सा आया.... लेकिन अब गानों की वो बहार खत्म हो चुकी है. अप्रेल के महीने की पहली तारीख को लोगों ने एप्रिल फूल बनाना भी बंद कर दिया है. कुछ ही लोग रह गये जो इस पाश्चाथ्य मिथ्य को मानते हैं बहरहाल पश्चिमी देशों में हर साल पहली अप्रैल को एप्रिल फूल डे के रूप में ही मनाया जाता है. कभी ऑल फूल्स डे के रूप में जाना जाने वाला यह दिन, 1 अप्रैल एक आधिकारिक छुट्टी का दिन नहीं है लेकिन इसे व्यापक रूप से एक ऐसे दिन के रूप में जाना और मनाया जाता है जब एक दूसरे के साथ व्यावहारिक मजाक और सामान्य तौर पर मूर्खतापूर्ण हरकतें करते हैं. इस दिन दोस्तों, परिजनों, शिक्षकों, पड़ोसियों, सहकर्मियों आदि के साथ अनेक प्रकार की शरारतपूर्ण हरकतें और अन्य व्यावहारिक मजाक किए जाते हैं, जिनका उद्देश्य होता है बेवकूफ और अनाड़ी लोगों को शर्मिंदा करना. पारंपरिक तौर पर कुछ देशों जैसे न्यूजीलैंड, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में इस तरह के मजाक केवल दोपहर तक ही किये जाते हैं और अगर कोई दोपहर के बाद किसी तरह की कोशिश करता है तो उसे अप्रैल फूल कहा जाता है. ऐसा इसीलिये किया जाता है क्योंकि ब्रिटेन के अखबार जो अप्रैल फूल पर मुख्य पृष्ठ निकालते हैं वे ऐसा सिर्फ पहले (सुबह के) एडीशन के लिए ही करते हैं. इसके अलावा फ्रांस, आयरलैंड, इटली, दक्षिण कोरिया, जापान रूस, नीदरलैंड, जर्मनी, ब्राजील, कनाडा और अमेरिका में जोक्स का सिलसिला दिन भर चलता रहता है. 1 अप्रैल और मूर्खता के बीच सबसे पहला दर्ज किया गया संबंध चॉसर के कैंटरबरी टेल्स (1392) में पाया जाता है.कई लेखक यह बताते हैं कि 16वीं सदी में एक जनवरी को न्यू ईयर्स डे के रूप में मनाये जाने का चलन एक छुट्टी का दिन निकालने के लिए शुरू किया गया था, लेकिन यह सिद्धांत पुराने संदर्भों का उल्लेख नहीं करता है.भारत में कल आने वाला अपे्रल का दिन लोगों को अपे्रल फूल बनायेगा या कोई हकीकत लेकर आयेगा यह समझने की बात होगी. नई पीढ़ी इस दिन को भूल चुकी है. उसे यह भी नहीं मालूम कि ऐसा कोई दिन भी कभी मनाया जाता था. बच्चों ने भी पहली अप्रेेल को किसी को फूल बनाना छोड़ दिया है. असल में पहली अप्रेल के प्रति आम धारणा है कि एक अप्रैल भ्रम में डालने व मजाक बनाने का दिन है. मगर हकीकत में यह नये वित्तीय वर्ष की शुरुआत का पहला दिन है.इस दिन सरकार नये कायदे-कानूनों के जरिये अपनी आर्थिक व सामाजिक नीतियों को लागू करती है. इस बार भी कई महत्वाकांक्षी व लोककल्याणकारी नीतियों का क्रियान्वयन होना है. केंद्र सरकार इस दिन अपनी महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को पूरे देश में लागू करने जा रही है. अब तक देश के 45 जिलों में यह योजना पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चल रही थी. थोड़ा-सा अधिक प्रीमियम चुकाकर किसान फसल बीमा के अलावा सात अन्य बीमा योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं. रेल मंत्रालय भी इस दिन से वरिष्ठ नागरिकों के आरक्षण कोटे में पचास फीसदी तक की वृद्धि करेगा, इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं की समस्या को दृष्टिगत रखते हुए शयनयान श्रेणी के डिब्बों में आरक्षण बढ़ा दिया गया है. उन्हें हर तरह की ट्रेनों में लोअर बर्थ मिलेगी.वैसे छोटी बचत करने वाले उपभोक्ताओं को निराशा हो सकती है. नये वित्तीय वर्ष में छोटी बचतों पर दिये जाने वाले ब्याज में कटौती की जायेगी, इसमें पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि योजना, किसान विकास पत्र, एनएसएस और डाकघर से जुड़ी कई बचतों के ब्याज में कटौती होगी. एक अप्रैल से लागू की जाने वाली व्यवस्था के अनुसार ब्याज की दरों की समीक्षा हर तीन महीने में की जाएगी. छोटी बचत योजनाओं पर मिलने वाले ज्यादा ब्याज को कर्ज ब्याज दर में कटौती की राह का सबसे बड़ा रोड़ा माना जाता रहा है. अब बैंक नीतिगत दरों में कटौती का लाभ कारोबारियों को दे सकेंगे?मगर इसका खतरा भी है कि लाभ की उच्च प्रत्याशा के चलते लोग सोने में निवेश करना न शुरू कर दें जो सरकार के वित्तीय घाटे का वाहक न बन जाये. एक अप्रैल से ही पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने नौ राज्यों के 33 जिलों में मिट्टी के तेल पर सीधी सब्सिडी देने का निर्णय किया है.वे तेल खरीदते समय बाजार मूल्य पर भुगतान करेंगे. इसके साथ ही एक अप्रैल से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम दस और राज्यों में लागू हो जाएगा.इसे लागू करने वाले राज्यों की संख्या अब 21 हो जायेगी. हर दृष्टि से अप्रेल के पहली तारीख ने इस बार अपना महत्व बता दिया है.
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