एटीएम, ई-बैंकिंग मशीनों से लूटपाट! आखिर जनता के पैसे की यूं बरबादी के लिये कौन जिम्मेदार?
ई-बैंकिंग शुरू होने के बाद ग्राहकों को बड़ी राहत मिली, उन्हें भीड़ भरे माहौल में पैसे जमा कराने, निकालने न अब लाइन लगाना पड़ता है और न बैंक खुलने-बंद होने का इंतजार करना पड़ता है लेकिन लगता है अब इस पर भी ग्रहण लग गया है, कहीं एटीएम को तोड़कर पैसे निकाले जा रहे हैं तो कहीं एटीएम लगे हैं किन्तु उसमें से पैसे नहीं निकलते. कई बड़े बैंकों विशेषकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के एटीएम सेंटर में प्राय: एटीएम व ई-बैंकिंग मशीनों के काम नहीं करने का बोर्ड टंगा रहता है. अगर बैंक बंद होने के बाद एटीएम मशीन में खराबी आ गई तो उसे सुधारने में भी काफी वक्त लग जाता है. एटीएम मशीनों की सुरक्षा कितनी है इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि अकलतरा शहर में लगे सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया के एटीएम मशीन से चोरों ने चौबीस लाख से ज्यादा की रकम पार कर दी. दिलचस्प तथ्य तो यह कि एटीएम पर चोर हाथ साफ कर गये यह बैंक अधिकारियों को उस समय पता चला जब ग्राहकों ने बैंक अधिकारियों को एटीएम से पैसा नहीं निकलने की शिकायत की, इसके बाद छानबीन हुई तो वे पहले तो यही समझ नहीं सके कि आखिर बैंक से पैसा क्यों नहीं निकल रहा. आगे जांच में पता चला कि पीछे से वायर काट दिये गयेे और बड़े तरीके से एटीएम को काटकर माल पार कर दिया गया. छत्तीसगढ़ में यह पहला अवसर नहीं है जब एटीएम तोड़कर पैसा निकालने की वारदात हुई, इससे पूर्व कई बार ऐसा हो चुका है जिनमें से बहुतों के बारे में तो अब तक पता ही नहीं चला कि इसके लिये कौन जिम्मेदार है. अकेले रायपुर के स्टेट बैंक के एटीएम्स में कई बार वारदात हो चुकी है किन्तु कहीं भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं. हर बार एटीएम की सुरक्षा पर सवाल उठता है. मामला ठंडा होता है तो उस पर कोई सोचता ही नहीं. असामाजिक तत्व एटीएम में घुसकर उसे गंदा तो करते ही हैं साथ ही चोरी करने की योजना भी तैयार कर लेते हैं. बंगलोर के एक एटीएम में पैसा निकालते समय एक महिला को उसी में बंद कर उस पर प्राणघातक प्रहार कर रुपये छीने गये थे. इस हादसे की खबर पूरे देश में बैंक के अधिकारियों को है इसके बाद भी एटीएम जिसमें लोगों का अरबों रुपये रखा रहता है सुरक्षित नहीं है. अधिकांश एटीएम में न गार्ड हैं न सीसीटीवी कार्य करते हैं. एटीएम व पैसा तो सुरक्षित नहीं है पैसा निकालने, जमा करने वाला ग्राहक भी सुरक्षित नहीं है. जनता के जमा पैसे से अरबों रुपये कमाने वाले बैंक लोगों व अपनी प्रापर्टी व अपने ग्राहकों को सुरक्षा देने के मामले में तो ढीला है ही नई तकनीक और नई सुविधाएं प्रदान करने में भी व्यापक कंजूसी बरतता है. एटीएम मशीनों के साथ ई-बैंकिंग मशीनें लगाने में भारी कंजूसी हो रही है. राष्ट्रीयकृत स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने नगर के गिने-चुने क्षेत्रों में यह सुविधा दी है लेकिन वह भी पूरी तरह चौबीस घंटे चालू नहीं रहती. जमा करने वाली मशीनों
में अब वैसी ही भीड़ लगने लगी है जैसे बैंकों में लगा करती थी. अत: अब जरूरी हो गया है कि यह सेवा जगह-जगह एटीएम मशीनों के साथ ही दी जाये.
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