बरसात रायपुरवासियों के लिये मुसीबत, पानी तो पानी, बिजली, गंदगी भी सर चढ़कर बोलती है!
बरसात रायपुरवासियों के लिये
मुसीबत, पानी तो पानी, बिजली,
गंदगी भी सर चढ़कर बोलती है
अभी तो पूरी बरसात बाकी है और राजधानी रायपुर में गुरुवार को हुई बारिश ने संपूर्ण व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी. आगे अगर रायपुर में कहीं और ज्यादा बारिश हुई तो शहर के लोग बड़ी मुसीबत में पड़ जायेंगे. हम मानते हैं कि शहर को सुन्दर बनाने के लिये प्रशासन, निगम व सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है लेकिन तेज गर्मी, बारिश-तूफान आने पर संपूर्ण व्यवस्था की स्थिति ठीक उसी प्रकार हो जाती है जैसे दूध में मक्खी गिर गई हो. चकाचक सड़कें जहां बारिश के दौरान क्लियर होनी चाहिये वहीं नाली के गंदे पानी से भर जाता है और सतह तक कचरों का ढेर लग जाता है. टेलीफोन विभाग की लाइनें बैठ जाती हैं तथा बिजली गुल रहती है, यह दुर्भाग्यजनक है कि हम इतने सालों बाद भी ऐसी कोई तकनीक अपनाने में नाकाम रहे हैं जिससे लोगों को बरसात के दिनों में किसी प्रकार की तकलीफ नहीं हो. बिजली विभाग की लापरवाही का इससे बड़ा उदाहरण और क्या दें कि उसने तेलीबांंधा के जलविहार कालोनी में ट्रांसफार्मर को इतने नीचे लगाया है कि उसकोपानी छू गया तो हजारों लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है. ऐसी स्थिति अकेले जलविहार की नहीं बल्कि शहर के अनेक हिस्सों में बिजली की अव्यवस्थित लाइनें बिछी हुई है, इससे एक बात तो यह स्पष्ट होती है कि योजनाकार पुराने रायपुर शहर के बारे में कोई भी नई योजना लेकर नहीं चलते जिससे यहां मौसमी कठिनाइयां भी लोगों को झेलनी पड़ रही है. एक तरह से नये रायपुर के मुकाबले पुराने शहर की पूरी तरह अनदेखा किया जा रहा है. सर्वाधिक बसाहट वाले शहर में न आज तक ढंग का ट्रैफिक हो सका है और न ही नई राजधानी की तरह चकाचक सड़कें, जबकि निर्माण कार्यों का तांता लगा हुआ है. लोग बिना किसी भय के जैसा चाहते हैं वैसे कालोनियां विकसित कर रहे हैं. मानसून के इस मौसम में पानी ही पानी है तो दूसरे मौसम में लोग पीने के पानी के लिये भी तरस जाते हैं. बरसात में भी कई कालोनियों की स्थिति यह है कि उन्हें पीने के पानी के लिये बरसात के पानी को पार करते हुए भटकना पड़ता है या फिर टैंकर का इंतजार करना पड़ता है. अभी कुछ दिन पहले ही नगर निगम ने कम से कम आधे शहर को गटर के पानी से भी बदतर पानी पिलाया. बरसात के इस मौसम में सबसे ज्यादा जरूरत स्ट्रीट लाइट की है, लेकिन अधिकांश बाहरी हिस्सों में स्ट्रीट लाइट नाम की व्यवस्था का अता-पता नहीं है.
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