कपडे में मुंह छिपाकर घूमने वाले कौन? पुलिस क्यों हैं खामोश...!
रायपुर दिनांक 6 अक्टूबर 2010
कपडे में मुंह छिपाकर घूमने वाले
कौन? पुलिस क्यों हैं खामोश...!
छत्तीसगढ़ में रायगढ़ नगर के आईसीसीआई बैंक में चार युवक चेहरा ढक कर पहुंचे, कई लोगों की उपस्थिति में उन्होनें पेटी में करीब पौन करोड़ रूपये भरे और रफूचक्कर हो गये। निशानी के बतौर वे बैंक के स्पाई कमरें में अपना चेहरा ढका हुआ छोड़ गये- पुलिस इसी छबि को लेकर इन्हें पकडऩे के लिये माथा पच्ची कर रही है। गमछा मुंह में बांधे तेज गति से बाइक चलाने वाले युवको की गतिविधियां पूरे छत्तीसगढ़ में आम आदमी के लिये तो सरदर्द है साथ ही पुलिस के लिये भी सरदर्द बने हुए हैं। यद्यपि पुलिस की सक्रियता ऐसे लोगों को पकडऩे के लिये उसी समय होती है जब कहीं वारदात होती है वरना इनसे कोई पूछताछ नहीं होती। पिछले दस पन्द्रह सालों में नये बेरोजगार युवाओ की एक बड़ी फ ौज तेयार हो गई हैं जिसमें चेहरा ढक कर घूमने की आदत सी हो गई है। गर्मी में अगर कोई धूप से बचने के लिये चेहरे को गमछे से लपेट ले तो हम कह सकते हैं कि यह गर्मी से बचाव का एक उपाय है किंतु सदैव गमछे से चेहरे को लपेटकर घूमने वाले आखिर हैं कोन?और इनके चेहरे से नकाब हटाने का प्रयास पुलिस क्यों नहीं करती।? छत्तीसगढ़ में पिछली डकैतियों पर एक नजर दौड़ाये तो इन सभी में पच्चीस से तीस साल के युवाओ ंका हाथ है जिनकी पैदाइश सत्तर या उसके बाद के वर्षो की है। बेरोजगारी और गरीबी से तंग एक वर्ग ने चोरी, लूट ,डकैती जैसे अपराधों को अपना धंधा बना लिया है। बैंक डकैती की घटनाओं में प्राय: बाहरी गिरोह का हाथ दिखाई देता है जबकि छत्तीसगढ़ में अन्य अपराधो में लिप्त युवाओं की संख्या में लगातार बढौत्तरी हो रही है जो चोरी, लूटपाट व अन्य कर्मो में तो लिप्त हैं ही साथ ही किन्हीं राजनीतिक पार्टियों के साथ मिलकर जिंदाबाद के नारे लगाते हुए अपने मूल धंधे को छिपा लेते हैं। अपराधों पर लगाम लगाने के लिये पुलिस को एक सशक्त अभियान ऐसेे लावारिस टाइप के बैठै युवाओं पर निगरानी रखने करनी होगी वरना यह समस्या इतनी गंभीर हो जायेगी कि उसे सम्हाल पाना कठिन हो जायेगा। प्रत्येक थाना क्षेत्र में ऐसे युवाओं को तैयार करना होगा जो पुुलिस तक ऐसे लोगो की सूचना पहुंचाये। मोहल्लों में मूर्तियां बिठाने और अन्य आयोजनों के नाम पर चंदा वसूली कर यह अपने मूल धंघे की मंदी के समय अपना जेब खर्च निकालते हैं। जब तक मोहल्लों मोहल्लो से ऐसे तत्वों को ढूंढकर नहीं निकाला जायेगा बढ़ते अपराध पर अंकुश लगाना कठिन होगा।
कपडे में मुंह छिपाकर घूमने वाले
कौन? पुलिस क्यों हैं खामोश...!
छत्तीसगढ़ में रायगढ़ नगर के आईसीसीआई बैंक में चार युवक चेहरा ढक कर पहुंचे, कई लोगों की उपस्थिति में उन्होनें पेटी में करीब पौन करोड़ रूपये भरे और रफूचक्कर हो गये। निशानी के बतौर वे बैंक के स्पाई कमरें में अपना चेहरा ढका हुआ छोड़ गये- पुलिस इसी छबि को लेकर इन्हें पकडऩे के लिये माथा पच्ची कर रही है। गमछा मुंह में बांधे तेज गति से बाइक चलाने वाले युवको की गतिविधियां पूरे छत्तीसगढ़ में आम आदमी के लिये तो सरदर्द है साथ ही पुलिस के लिये भी सरदर्द बने हुए हैं। यद्यपि पुलिस की सक्रियता ऐसे लोगों को पकडऩे के लिये उसी समय होती है जब कहीं वारदात होती है वरना इनसे कोई पूछताछ नहीं होती। पिछले दस पन्द्रह सालों में नये बेरोजगार युवाओ की एक बड़ी फ ौज तेयार हो गई हैं जिसमें चेहरा ढक कर घूमने की आदत सी हो गई है। गर्मी में अगर कोई धूप से बचने के लिये चेहरे को गमछे से लपेट ले तो हम कह सकते हैं कि यह गर्मी से बचाव का एक उपाय है किंतु सदैव गमछे से चेहरे को लपेटकर घूमने वाले आखिर हैं कोन?और इनके चेहरे से नकाब हटाने का प्रयास पुलिस क्यों नहीं करती।? छत्तीसगढ़ में पिछली डकैतियों पर एक नजर दौड़ाये तो इन सभी में पच्चीस से तीस साल के युवाओ ंका हाथ है जिनकी पैदाइश सत्तर या उसके बाद के वर्षो की है। बेरोजगारी और गरीबी से तंग एक वर्ग ने चोरी, लूट ,डकैती जैसे अपराधों को अपना धंधा बना लिया है। बैंक डकैती की घटनाओं में प्राय: बाहरी गिरोह का हाथ दिखाई देता है जबकि छत्तीसगढ़ में अन्य अपराधो में लिप्त युवाओं की संख्या में लगातार बढौत्तरी हो रही है जो चोरी, लूटपाट व अन्य कर्मो में तो लिप्त हैं ही साथ ही किन्हीं राजनीतिक पार्टियों के साथ मिलकर जिंदाबाद के नारे लगाते हुए अपने मूल धंधे को छिपा लेते हैं। अपराधों पर लगाम लगाने के लिये पुलिस को एक सशक्त अभियान ऐसेे लावारिस टाइप के बैठै युवाओं पर निगरानी रखने करनी होगी वरना यह समस्या इतनी गंभीर हो जायेगी कि उसे सम्हाल पाना कठिन हो जायेगा। प्रत्येक थाना क्षेत्र में ऐसे युवाओं को तैयार करना होगा जो पुुलिस तक ऐसे लोगो की सूचना पहुंचाये। मोहल्लों में मूर्तियां बिठाने और अन्य आयोजनों के नाम पर चंदा वसूली कर यह अपने मूल धंघे की मंदी के समय अपना जेब खर्च निकालते हैं। जब तक मोहल्लों मोहल्लो से ऐसे तत्वों को ढूंढकर नहीं निकाला जायेगा बढ़ते अपराध पर अंकुश लगाना कठिन होगा।
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