बस कुछ भी हो आव देखा न ताव कह दिया यह शत्रु की करामात!
रायपुर गुरुवार। दिनांक 21 अक्टूबर 2010
बस कुछ भी हो आव देखा न ताव
कह दिया यह शत्रु की करामात!
कोई घटना हुई नहीं कि उसपर स्टेटमेंट जारी करने में लोग देरी नहीं करते। चाहे वह सही हो या नहीं अथवा उसकी हकीकत सामने आई हो या नहीं बस निशाना सीधे अपने विरोधी पर होता है। मंगलवार को कांग्रेस भवन में कांगे्स संगठन प्रभारी और केन्द्रीय मंत्री वी नारायण सामी पर कालिख फेंकने की घटना ने दिल्ली को भी हिला दिया। मामला कांग्रेस संगठन के एक वरिष्ठ नेता व केन्द्रीय मंत्री का होने के कारण इसकी महत्ता और भी बढ़ गई। कांग्रेस के प्राय: सभी नेताओं ने संतुलित होकर बयान जारी किया। घटना की निंदा की गई तथा दोषियों को कड़ी सजा की मांग की गई, मगर कांग्रेस के ही एक वरिष्ठ पदाधिकारी व सासंद का जो बयान आया, उसने यह बता दिया कि राजनीति को किस किस तरह से रंगने का प्रयास किया जाता है। उक्त सासंद ने इस पूरे कांड के लिये भाजपा को जिम्मेदार ठहरा दिया। यहां तक कह दिया कि इससे भाजपा की पोल खुल गई। लगे हाथ सरकार पर आरोप भी लगा दिया कि उसने नारायण सामी की सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं किया। अखबारों में छपी तस्वीरे साफ गवाह है कि पुलिस के शस्त्रधारी वी नारायण सामी को घेरे हुए हैं। इसके बावजूद ऐसे आरोप लगाकर जिम्मेदार नेता क्यों आम लोगों को गुमराह कर अपना मकसद साधने का प्रयास करते हैं? बुधवार की शाम तक कांग्रेस भवन में घटित घटना का जो खुलासा हुआ है। वह यही कह रहा है कि यह कांग्रेस के भीतर की गुटबाजी का परिणाम है जिसके चलते कतिपय नेताओं ने भाड़े के युवकों को इकट्ठा कर यह कृत्य करवाया है। पुलिस जांच में यह खुलासा भी हुआ है तथा आरोपियों ने एक युवा नेता का नाम लिया है, जिसने प्रदेश के एक वरिष्ठ नेता का सीधे सीधे नाम लेकर मामले को उलझा दिया है। यह अब लगभग स्पष्ट हो गया है कि पूरी घटना कांग्रेस की अदंरूनी गुटबाजी का परिणाम है लेकिन जिस ढंग से प्रदेश के नामी बड़े नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं। उसपर सहज विश्वास करना आसान नहीं लेकिन यह सही है कि कांग्रेस की गुटबाजी के चलते ही यह काम किसी ने करवाया है मगर अब जो राजनीति इस मामले में चल रही है, वह आपसी लड़ाई को भुनाने की एक चाल भी लगती है। यह सही हो सकता है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिये सामी का कथित रवैया कई नेताओ को पसंद नहीं आया इसे इस ढंग से भुनाया जायेगा इसकी कल्पना भी कोई नहीं कर सकता। चूंकि जिन नेताओं पर यह आरोप लग रहे हैं। वे शायद ही ऐसा कृत्य कर अपने पूरे राजनीतिक कैरियर को दांव पर लगायें। बहरहाल, इस घटना का आगे जो भी खुलासा हो वह किसी के राजनीतिक भविष्य को खराब कर सकता है लेकिन घटना से उन नेताओं को जरूर सबक लेना चाहिये। जो घटना होते ही विरोधियों पर निशाना साधते हैं। कालिख पोछने से सामी को उतना फरक नहीं पड़ा होगा जितना कि इस घटना की जिम्मेदारी को भाजपा, सरकार व प्रशसान को जोड़कर तत्काल बयान देने वालों का हुआ । मै यह कहकर भाजपा का पक्ष नहीं ले रहा बल्क् ियह बताने का प्रयास कर रहा हूं कि राजनीति में अक्सर लोग किस तरह उतर जाते हैं- भाजपा विपक्ष में होती तो उनका कोई नेता भी शायद इसी तरह का बयान देता।
बस कुछ भी हो आव देखा न ताव
कह दिया यह शत्रु की करामात!
कोई घटना हुई नहीं कि उसपर स्टेटमेंट जारी करने में लोग देरी नहीं करते। चाहे वह सही हो या नहीं अथवा उसकी हकीकत सामने आई हो या नहीं बस निशाना सीधे अपने विरोधी पर होता है। मंगलवार को कांग्रेस भवन में कांगे्स संगठन प्रभारी और केन्द्रीय मंत्री वी नारायण सामी पर कालिख फेंकने की घटना ने दिल्ली को भी हिला दिया। मामला कांग्रेस संगठन के एक वरिष्ठ नेता व केन्द्रीय मंत्री का होने के कारण इसकी महत्ता और भी बढ़ गई। कांग्रेस के प्राय: सभी नेताओं ने संतुलित होकर बयान जारी किया। घटना की निंदा की गई तथा दोषियों को कड़ी सजा की मांग की गई, मगर कांग्रेस के ही एक वरिष्ठ पदाधिकारी व सासंद का जो बयान आया, उसने यह बता दिया कि राजनीति को किस किस तरह से रंगने का प्रयास किया जाता है। उक्त सासंद ने इस पूरे कांड के लिये भाजपा को जिम्मेदार ठहरा दिया। यहां तक कह दिया कि इससे भाजपा की पोल खुल गई। लगे हाथ सरकार पर आरोप भी लगा दिया कि उसने नारायण सामी की सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं किया। अखबारों में छपी तस्वीरे साफ गवाह है कि पुलिस के शस्त्रधारी वी नारायण सामी को घेरे हुए हैं। इसके बावजूद ऐसे आरोप लगाकर जिम्मेदार नेता क्यों आम लोगों को गुमराह कर अपना मकसद साधने का प्रयास करते हैं? बुधवार की शाम तक कांग्रेस भवन में घटित घटना का जो खुलासा हुआ है। वह यही कह रहा है कि यह कांग्रेस के भीतर की गुटबाजी का परिणाम है जिसके चलते कतिपय नेताओं ने भाड़े के युवकों को इकट्ठा कर यह कृत्य करवाया है। पुलिस जांच में यह खुलासा भी हुआ है तथा आरोपियों ने एक युवा नेता का नाम लिया है, जिसने प्रदेश के एक वरिष्ठ नेता का सीधे सीधे नाम लेकर मामले को उलझा दिया है। यह अब लगभग स्पष्ट हो गया है कि पूरी घटना कांग्रेस की अदंरूनी गुटबाजी का परिणाम है लेकिन जिस ढंग से प्रदेश के नामी बड़े नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं। उसपर सहज विश्वास करना आसान नहीं लेकिन यह सही है कि कांग्रेस की गुटबाजी के चलते ही यह काम किसी ने करवाया है मगर अब जो राजनीति इस मामले में चल रही है, वह आपसी लड़ाई को भुनाने की एक चाल भी लगती है। यह सही हो सकता है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिये सामी का कथित रवैया कई नेताओ को पसंद नहीं आया इसे इस ढंग से भुनाया जायेगा इसकी कल्पना भी कोई नहीं कर सकता। चूंकि जिन नेताओं पर यह आरोप लग रहे हैं। वे शायद ही ऐसा कृत्य कर अपने पूरे राजनीतिक कैरियर को दांव पर लगायें। बहरहाल, इस घटना का आगे जो भी खुलासा हो वह किसी के राजनीतिक भविष्य को खराब कर सकता है लेकिन घटना से उन नेताओं को जरूर सबक लेना चाहिये। जो घटना होते ही विरोधियों पर निशाना साधते हैं। कालिख पोछने से सामी को उतना फरक नहीं पड़ा होगा जितना कि इस घटना की जिम्मेदारी को भाजपा, सरकार व प्रशसान को जोड़कर तत्काल बयान देने वालों का हुआ । मै यह कहकर भाजपा का पक्ष नहीं ले रहा बल्क् ियह बताने का प्रयास कर रहा हूं कि राजनीति में अक्सर लोग किस तरह उतर जाते हैं- भाजपा विपक्ष में होती तो उनका कोई नेता भी शायद इसी तरह का बयान देता।
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