यह दो साल... अभी तो ट्रेलर था, आगे देखे क्या होता है...!



दो साल पहले केंद्र में जब नरेंद्र मोदी सरकार बनी तब यह उम्मीद की जा रही थी कि देश की अर्थ व्यवस्था जल्द ही पटरी पर आ जाएगी,महंगाई पर काबू पा लिया जाएगा, काला धन वापस आ जायेगा-कई बेरोजगारों को रोजगार मिल जायेगा लेकिन चाहकर भी सरकार कई प्रमुख बदलाव लाने में असफल रही, अपने कार्यकाल के दो वर्षो  में सरकार न तो वस्तु सेवा कर (जी.एस.टी.) बिल संसद में ला सकी और न ही भूमि अधिग्रहण बिल पास करा सकी. संसद में नाकाम होने पर भूमि अधिग्रहण बिल को केंद्र सरकार ने राज्यों के हवाले कर दिया लेकिन उसका फायदा जो उद्योगों और उद्यमियों को मिलना चाहिए था, नहीं मिल रहा.एस.ई.जैड. के कई प्रोजैक्ट जमीन नहीं मिलने की वजह से अटके पड़े हैं. सरकार की भी तमाम योजनाएं जमीन न मिल पाने से जमीन पर नहीं उतर पा रही हैं. प्रधानमंत्री की अति महत्वाकांक्षी योजना 'मेक इन इंडियाÓ तक ठीक ढंग से नहीं चल पा रहीै. आर्थिक क्षेत्र में बदलाव के लिए जी.एस.टी. को सबसे अहम बताया जा रहा है लेकिन सरकार इस पर तमाम राज्यों के साथ एकराय नहीं बना पाई और संसद में भी विपक्ष को साधने में नाकाम रही है, जिसके चलते यह बिल अब तक संसद के पटल तक भी नहीं पहुंच सका है.जी.एस.टी. पास नहीं होने से उद्योग और कारोबारी दुनिया में एक संशय की स्थिति बनी हुई है.देश की अर्थव्यवस्था अभी भी पटरी पर नहीं आ पा रही है. वर्ष 2016-17 के बजट में केंद्र सरकार ने 7.6 फीसदी जी.डी.पी. ग्रोथ, 1.1 फीसदी कृषि उत्पादन में वृद्धि, 7.3 फीसदी औद्योगिक, 9.2 फीसदी सर्विस सैक्टर में बढ़ौतरी की उम्मीद की है.फैक्ट्रियों और विभिन्न उद्योगों में काम कर रहे मजदूरों, श्रमिकों को बेहतर वेतन, पैंंशन और सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराने को केंद्र सरकार श्रम कानून को बेहतर बनाना चाहती है. केंद्र सरकार की ओर से पिछले दो साल में शुरू की गई कई योजनाएं अभी जमीन पर आनी बाकी हैं हां कुछ योजनाओं को अच्छी सफलता मिल रही है जिनमें प्रधानमंत्री जनधन योजना, स्वच्छ भारत योजना और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डी.बी.टी.) प्रमुख हैं जबकि प्रधानमंत्री का अति महत्वाकांक्षी मेक इन इंडिया कार्यक्रम अभी भी अपेक्षित स्वरूप नहीं ले पा रहा है,यही हाल आवासीय योजना और स्मार्ट सिटी का है.  देशभर से शौचालय निर्माण के लिए करीब 60 लाख आवेदन आए 24 लाख आवेदन पर काम किया जा रहा है अब तक देशभर में 13 लाख से ज्यादा शौचालय निर्माण कराए जा चुके हैं इसके अलावा सरकार एक लाख से ज्यादा सामुदायिक शौचालयों का भी निर्माण करवा रही है यूनिक आईडैंटिफिकेशन नंबर (आधार) को मोदी सरकार ने वित्त विधेयक बनाकर  इसे कानूनी रूप दे दिया इसके साथ ही विभिन्न सरकारी योजनाओं से मिलने वाले लाभ को भी आधार से जोड़ दिया.हर रोज 10 से 15 गांवों का विद्युतीकरण किया जा रहा है.केंद्र सरकार की करीब 42 योजनाओं से मिलने वाले लाभ और सबसिडी को इस योजना के तहत अभ्यर्थी के खाते में सीधे भेजने की व्यवस्था दी गई है, मेक इन इंडिया के तहत पिछले दो साल के भीतर विदेशी निवेश में 44 फीसदी का इजाफा हुआ है जो करीब 63 बिलियन डॉलर पहुंच चुका है.प्रधानमंत्री आवास योजना, डिजिटल इंडिया पिछले साल 1 जुलाई को लांच हुईै, ्रआवासीय सुविधा के साथ ही दफ्तर, स्कूल, चिकित्सालय समेत बाकी सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हों,परिवहन की विशेष व्यवस्था के साथ ही हर वक्त बिजली मुहैया रहे, स्मार्ट सिटी योजना के तहत देश के 22 शहरों का चयन पहले फेज ओैर  13 शहरों का चयन  दूसरे फेज में किया गया लेकिन अभी यह प्रारंभिक स्टेज पर ही है. जनधन योजना का मकसद सामान्य से सामान्य व्यक्ति को बैकिंग सुविधा से जोडऩा और सरकारी लाभ सीधे उनके खाते में मुहैया कराना है. पिछले साल जुलाई तक के आंकड़े बताते हैं कि देशभर में 17 करोड़ से भी ज्यादा बैंक अकाऊंट प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खोले जा चुके थे. एक हफ्ते में एक करोड़ 80 लाख से ज्यादा बैंक खातें खोले जाने का गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड भारत सरकार के नाम दर्ज है.उपलब्धियां है तो असफलताएं भी हैं जिसे फिलहाल तो मजबूरी कहकर टाला जा सकता है.



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