नशा ही दुर्घटनाओं की जड़ है,कठोर कदम जरूरी!
संपूर्ण विश्व में नशे में ड्रायंिवंग एक समस्या बनकर उभरी है. हाल के दिनों मे छत्तीसगढ़ में हुई दुर्घटनाओं का विश्लेषण किया जाये तो अधिकांश का कारण नशा ही हैै-या तो हम शराब और अन्य नशीली वस्तुओं पर पूरी तरह पाबदंी लगाये या फिर ऐसा करने वालों पर सतत निगरानी रख उन्हें दङ्क्षंडत करें.ऐसे लोग न स्वंय आत्म हत्या कर रहे हैं या फिर दूसरों की हत्या कर रहे हैं यहां तक कि सामूहिक हत्या भी! ताजा उदाहरण बलरामपुर का है जहां नशें में धुत्त बस ड्रायवर ने बाइक सवारों को बचाने के चक्कर में पुल से नीचे गिरा दिया. कम से कम सत्रह लोगों की यहां मौत हुई. इससे पूर्व भी ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जो अखबारों की सुर्खियां बनकर विलीन हो गई. दुर्घटनाओ के वैसे कई कारण है लेकिन पहला कारण ड्रायवर का नशे मे होना है जो एक विश्वव्यापी समस्या बनी हुई है. नशे में ड्राइविंग करने से अब तक कितने लोगों की जान जा चुकी है इसका कोई हिसाब नहीं है. हर पल कोई न कोई बड़ी दुर्घटना होती है तथा इसमे प्रमुख वजह ड्रायवर का नशे में गाड़ी चलाना है. देश के बड़े शहरों में ऐसी घटनाएं हर रोज़ देखने व सुनने को मिल रही हैं। सरकार ऐसे लोगों के खिलाफ लगातार मुहिम चलाती रही है लेकिन, सख्त नियम-कानून के बावजूद लोग कानून की धज्जियां उड़ाने में देर नहीं लगाते और अपनी जान के साथ साथ दूसरों की जान भी खतरे में डाल देते हैं। हाल ही में सरकार द्वारा जारी किए गए एक आंकड़े में ये पाया गया है कि करीब 400 लोग हर रोज सड़क हादसे में अपनी जान गंवाते हैं। ये आंकड़ा वाकई दिल-दहलाने वाला है.हर रोज हो रहे इन हादसों में कई ऐसे मामले भी होते हैं जो शराब पीकर गाड़ी चलाने की वजह से होते हैं। शराब पीकर गाड़ी चलाना किस हद तक खतरनाक हो सकता है यह प्राय: सभी लोग जानते हैं सरकार ने ऐसे लोगों से निपटने के कानून भी बनाए हैं किन्तु क्यों नहीं रूक रही है ऐसी दुर्घटनाएं? वास्तविकता यह है कि शराब में मौजूद अल्कोहल की वजह से इंसान अपने होश खो देता है ऐसे में शराब पिए हुए व्यक्ति का रिएक्शन टाइम धीमा हो जाता है जिसकी वजह से सड़क पर किसी खतरनाक परिस्थिति में ड्राइवर गाड़ी पर नियंत्रण नहीं रख पाता. शराब पीकर गाड़ी चलाने से आपको तो खतरा है ही, साथ में उन लोगों को भी खतरा है जो सड़क पर चल रहे हैं या गाड़ी चला रहे हैं. चिकित्सको का कहना है कि खून में अल्कोहल की मात्रा ज्यादा पाई जाती है तो इससे आपकी आंखों की रोशनी पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है.बॉडी का रिएक्शन टाइम धीमा हो जाता है.शराब पीकर गाड़ी चलाने के मामलों पर रोक लगाने के लिए भारत में कानून बनाये गये हंै। कानून के मुताबिक अगर किसी ड्राइवर के खून में अल्कोहल की मात्रा तय सीमा से ज्यादा पाई गई तो उसे जेल हो सकती है या जुर्माना लगाया जा सकता है,पहली बार शराब पीकर गाड़ी चलाते पाये जाने पर ड्राइविंग लाइसेंस पर कोई खतरा नहीं है लेकिन, अगर ये हरकत लगातार जारी रही तो अगली बार पकड़े जाने पर ड्राइविंग लाइसेंस कैंसिल भी किया जा सकता है.दिल्ली में बात दूसरी है वहां नए नियम के मुताबिक अगर कोई शराब पीकर गाड़ी चलाते पकड़ा गया तो पहली बार में ही उसका ड्राइविंग लाइसेंस कैंसिल किया जा सकता है. छत्तीसगढ सरकार ने सन् 2015 में नशें में गाड़ी चलाने वालों के खिलाफ कई बंदिशों का ऐलान किया था जिनमें हाइवे से शराब दुकानों को हटाने और नशें में गाड़ी चलाने वालों पर कार्यवाही की बात कही गई थी.सरकार के फैसले कितने कारगर हुए दसका अंदाज उन दुर्घटनाओं को देखकर लगाया जा सकता है जो लगातार घटित हो रही हैं.राज्य के सभी शहरों में सड़कों पर लगे खतरनाक होर्डिंग्स, राजमार्गों एवं मुख्य मार्गों की शराब दुकानों को हटाने, सड़कों पर वाहन खड़े करने वालों, तेज रफ्तार में और शराब पीकर गाड़ी चलाने वाले लोगों पर कठोर कार्रवाई,सड़कों पर घूमने वाले जानवरों को पकडऩे का निर्णय सब आज तक क्रियान्वित ही नहीं हो पाया.हाइवे पर दुर्घटनाओं को रोकने के लिये संकेतक और जरूरी उपाय किये गये हैं लेकिन शराब खोरों से कैसे बचे इसपर कोई पहल का न होना यही सबसे बड़ी मुसीबत है.सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व न्यायाधीश जस्टिस के एस राधाकृष्णन की अध्यक्षता में देश की सड़कों पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सड़क सुरक्षा समिति का गठन किया है। यह समिति सड़कों पर लोगों की सुरक्षा के लिए केन्द्र और राज्य शासन द्वारा बनाए गए नियमों और कानूनों के क्रियान्वयन पर नजर रखती है. समिति के निर्देशों के अनुरूप परिवहन विभाग के सचिव हर तीन महीने में राज्य द्वारा इस दिशा में उठाए गए कदमों और की गई कार्रवाई की जानकारी समिति को देती है इसके बाद भी देश में कहीं भी नशे में गाड़ी चलाने और इससे होने वाली दुर्घटनाओं पर अंकुश नहीं लगा है
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