कच्चा तेल सस्ता, कंपनिया माला- माल, जनता बेहाल!
देश की आर्थिक स्थिति में उतार चढ़़ाव का एक बड़ा कारण पेट्रोल और डीजल हैै. इसके भाव बढे नहीं कि बाजार में चढ़ाव शुरू हो जाता है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि एक बार डीजल पेट्रोल के भाव बढऩे के बाद वस्तुओं के भावों में जो वृद्वि होती है वह फिर नीचे नहीं उतरती. कहने का मतलब बढाने वाले बढ़ा देते हैं उन्हें उसका फायदा उन्हेें होता रहता है पिसता है वह गरीब प मध्यमवर्गीय जिसकी जेब से पैसा कटता है.सरकार का कोई नियंत्रण इस मामले में नहीं होने की वजह से ही ऐसा होता है.होना तो यह चाहिये कि हर किस्म की वस्तुओं पर सरकार अपनी निगरानी रखे और यह पता लगाती रहे कि जब पेट्रोल डीजल के भाव ऊपर-नीचे होते हंै तब बाजार की क्या प्रतिक्रिया होती है- ऊपर होने पर तो भाव ऊपर चढ़ा दिये जाते हैं लेकिन नीचे आते हैं तो कोई प्रतिक्रिया बाजार में नहीं होती अर्थात बढा हुआ कारोबार ही चलता रहता है.अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गिरते तेल की कीमतों की वजह से पिछले दो वर्षो में तेल विपणन करने वाली कंपनियों को जहां रिकार्ड मुनाफा हो रहा है, वहीं वे घरेलू बाजार में डीजल और पेट्रोल की कीमतें कम कर जनता को फायदा नहीं पहुंचा रही हैं-इस संबन्ध में उनका कहना है कि इन ईंधनों पर केन्द्र और राज्य सरकारों ने कर बढ़ा दिया.केन्द्र ने एक्साइज ड्यूटी का डंडा अडा रखा है तो राज्य वेट से मुनाफा अपने खाते में कर रही है. जनता को तेल के भावों में कटौती का कोई फायदा नहीं हो रहा. देश में तेल विपणन करने वाली सबसे बड़ी कंपनी इंडियन ऑयल कारपोरेशन (आईओसी) ने हाल ही दावा किया है कि कंपनी को वर्ष 2015-16 के दौरान शुद्ध लाभ 10,399 करोड़ रुपये रहा जो कि अभी तक का सर्वाधिक मुनाफा है, इससे एक साल पहले कंपनी को 5,273 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था। इस साल रिकार्ड तोड़ मुनाफे की वजह से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कमी, खर्च में कटौती, बेहतर रिफाइनिंग मार्जिन पाना आदि कारण बताया जा रहा है लेकिन जनता को इस फायदे का क्या लाभ? सरकारी तेल कंपनी हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) का बीते वर्ष शुद्ध लाभ 3,863 करोड़ रुपये रहा, जो कि एक वर्ष पहले की इसी अवधि के मुकाबले 41 फीसदी ज्यादा है. एक वर्ष पहले उसका शुद्घ लाभ 2,733.26 करोड़ रुपये रहा था. पेट्रोल एवं डीजल की खुदरा कीमतें कम क्यों नहीं हुईं? इसके तीन कारक बताये जा रहे हैं- पहला, यहां पेट्रोल-डीजल की कीमतें अंतर्राष्ट्रीय मूल्य के आधार पर तय होती हैं. दूसरा कि कच्चे तेल की परिवहन लागत पहले जितनी ही है. तीसरा कच्चे तेल की कीमत घटने के बाद केन्द्र और राज्य सरकारों ने इन ईंधनों पर कर की दरों में वृद्धि कर दी है.फायदे में आई कंपनी उत्साही है और वे नई योजनाओं को अंजाम देने की फिराक में है. याने कारोबारी आगे बढ़ रहे हैं और आम लोग पीछे हैं,उन्हें कोई फायदा किसी स्तर पर दूर दूर तक नहीं दिख रहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में एचपीसीएल का सिलेंडर बॉटलिंग प्लांट लगेगा इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के गोंडा में भी एक ऐसा ही प्लांट लगाने की तैयारी हो रही है. एचपीसीएल नेे रसोई गैस सिलेंडर की बोटलिंग के छह नए कारखाने लगाने का निर्णय लिया है. इनमें से दो प्लांट उत्तर प्रदेश के वाराणसी और गोंडा में होगा, इसके अलावा पश्चिम बंगाल में दुर्गापुर के पास पानागढ़, भोपाल, पातालगंगा और पटना में एक -एक प्लंाट लगाया जाएगा. उम्मीद की जा रही है कि अगले साल तक इन प्लांटों का निर्माण हो जाएगा, सवाल अब भी बना हुआ है कि कंपनियां तो हर स्थिति में भारी फायदा उठा रही है लेकिन जनता को कब तक इंतजार करना पड़ेगा. उसे त्वरित या तत्काल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर घटत का फायदा क्यों नहीं पहुंच रहा. योजनाएं तो बनती रहती है बनेंगी भी मगर लोगों को जब तक उसका तत्काल फायदा नहीं होगा इन दीर्घकालीन योजनाओं का कोई मायने नहीं रखता चूंकि समय के साथ आबादी भी बढ़ रही है और इस आबादी की आवश्यकताओं को पूरा करना भी कोई कठिन खेल नहीं हैं. अत: जो फायदा हो रहा है उसका विभाजन योजनाओं के साथ साथ जनता के बीच भी होना चाहिये.
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