पैसा किसने खाया! अगस्ता सौदे की काली कमाई किसके खजाने में?
इटली के उच्च न्यायालय में एक पत्र के माध्यम से अगस्ता वेस्टलैंड सौदे को लेकर बिचौलिये क्रिश्चियन मिशेल ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इस सौदे की ''मुख्य लाभार्थीÓÓ हैं। हालांकि मीडिया से बातचीत में मिशेल ने कहा है कि वह कभी किसी गांधी से नहीं मिला। इतालवी अदालत में अगस्ता वेस्टलैंड मामले में जो फैसला आया है उसमें कांग्रेस के पांच शीर्ष राजनीतिज्ञों और पूर्व वायुसेना अध्यक्ष एस.पी. त्यागी का नाम बताया जा रहा है। कथित रूप से फैसले में चार बार सिग्नोरा गांधी का नाम आया है। इतालवी भाषा में सिग्नोरा का अर्थ श्रीमती होता है। हालाँकि फैसले में किसी भी कांग्रेस नेता के रिश्वत लेने की बात नहीं कही गयी है लेकिन दस्तावेजों में यह बात जरूर कही गयी कि इस करार को पूरा करवाने के लिए सोनिया गांधी, अहमद पटेल, आस्कर फर्नांडिस जैसे बड़े नेता माहौल बना सकते थे। इस करार पर बातचीत वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई थी जिसे 2010 में तब मंजूरी प्रदान की गयी जब वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी देश के रक्षा मंत्री थे। अगस्ता वेस्टलैंड मामले को लेकर देश का राजनीतिक माहौल गरम है कहा जा रहा है कि यह कांग्रेस के लिए दूसरा बोफोर्स साबित हो सकता है भाजपा इस मामले में इटली की एक अदालत के फैसले के आधार पर सीधे सोनिया गांधी पर हमला कर रही है और आरोप लगा रही है कि घूस का पैसा सोनिया और कांग्रेस के कई नेताओं तक पहुँचा है जबकि सोनिया गांधी ने रिश्वत लेने के आरोपों से उन्हें और उनकी पार्टी को जोडऩे के प्रयासों को पूरी तरह से 'आधारहीनÓ करार देते हुए कहा है कि इस मुद्दे पर 'घेरे जानेÓ को लेकर वह 'भयभीतÓ नहीं हैं। सोनिया ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि वह चरित्र हनन की रणनीति के तहत काम कर रही है और असल मुद्दों से ध्यान भटकाना चाहती है।कांग्रेस यह मानने कतई तैयार नहीं है कि उसके नेताओं ने रिश्वत ली, भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस नेताओं ने रिश्वत ली जबकि इटली की अदालत में साबित हुआ है कि मिशेल को इस काम के लिए 4.4 करोड़ यूरो यानि 330 करोड़ रुपए की रिश्वत दी गई. अब सवाल उठ रहा है कि जब रिश्वत का पैसा कंपनी ने दिया है तो वह किसे दिया? किसी को तो दिया ही गया होगा. माना जा रहा है कि रिश्वत की रकम मिशेल द्वारा कराये गये काम की अपेक्षा बहुत ज्यादा थी आरोप है कि मिशेल ने जिन भारतीय अधिकारियों के साथ मिलकर काम किया उनको रिश्वत की रकम में से हिस्सा दिया। इंटरपोल ने 2015 में भारत के आग्रह पर मिशेल के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था। मिशेल के खिलाफ इटली में भी गिरफ्तारी वारंट निकला हुआ है.बताया जा रहा है कि वह दुबई में है।जहाँ उसने एक साक्षात्कार में कहा है कि उसने भारतीय प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मामले की पूरी जानकारी दी है, उसने प्रस्ताव दिया है कि यदि उसे भारत में गिरफ्तारी नहीं होने का आश्वासन मिले तो वह पूछताछ के लिए उपलब्ध हो सकता है। पूरा विवाद तब सामने आया था जब 2011-12 के दौरान इटली की अदालत में भारतीय नेताओं, नौकरशाहों और वायुसेना अधिकारियों को दलालों द्वारा 360 करोड़ रुपये की रिश्वत देने के आरोप लगे। इस मामले में फरवरी 2013 में फिनमेकानिका के सीईओ ओरसी और अगस्ता वेस्टलैंड के मुख्य कार्यकारी ब्रूनो स्पैग्नोलिनी इटली में गिरफ्तार कर लिये गये। इसके बाद भारतीय रक्षा मंत्रालय ने अगस्ता वेस्टलैंड को सभी भुगतान रोक दिये,इसके कुछ ही दिन बाद सीबीआई ने पूर्व भारतीय वायुसेना प्रमुख एस.पी. त्यागी और उनके तीन भतीजों, ओरसी तथा स्पैग्नोलिनी समेत नौ लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया। जनवरी 2014 में रक्षा मंत्रालय ने अगस्ता से किया गया सौदा रद्द कर दिया और उसकी एडवांस बैंक गारंटी को भुना लिया। कुछ समय बाद इटली की अदालत ने ओरसी तथा स्पैग्नोलिनी को हेराफेरी के लिए दो साल की सजा सुनाई लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप हटा दिये। इस मामले ने इस साल अप्रैल में तब नई करवट ली जब मिलान की अपीलीय कोर्ट ने फैसला बदलते हुए ओरसी तथा स्पैग्नोलिनी को चार-चार साल की सजा सुनाई इसके बाद से ही देश की राजनीति गरम हैं-संसद में सारी काम की बाते छोड़कर इसी पर बहस चल रही है. हश्र क्या होगा कोइ्र्र नहीं जानता. भारतीय घपलों में बहुत कम ही ऐसा होता है-उसका रिएक्शन यही है किअन्य मामलों की तरह यह भी यूं ही भारतीय आकाश और धरती पर गूंजता रहेगा फिर कोई दूसरा सामने आयेगा तो इसे सब भूल जायेगें तब दूसरे के पीछे पड़ जायेंगे जैसा होता आया है होता रहेगा.
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