हम तो यहां हैं, तुम उसकी डिक्की में क्या झांक रहे? कलयुगी तंत्र छत्तीसगढ़ पहुंचा!
''रामचन्द्र कह गये सिया से, ऐसा कलयुग आयेगा, हंस चुगेगा दाना तिनका कौवा मोती खायेगा...ÓÓ दिलीप कुमार अभिनीत फिल्म गोपी के इस गाने ने किसी समय खूब धूम मचाई थी. कवि की यह कल्पना सच होती दिखाई दे रही है. नेता भले ही अच्छे दिन की बात कर हमारा मुंह बंद करे लेकिन जिस वास्तविकता का दृश्य हमारे सामने है, वह सच्चाई को नकार नहीं सकता. एक पिचहत्तर वर्षीय मां के साथ उसका अपना बेटा अपनी पत्नी के सामने बलात्कार करता है तो दूसरा बेटा पिचहत्तर वर्ष के उम्र की एक बूढी मां को सहारा देने की जगह उसे सरेआम ठगकर उसके खाते से समूचा ढाई लाख रुपये निकाल लेता है, इतना ही नहीं कोई बाप अपनी नन्ही बिटिया को हवस का शिकार बना रहा है तो कोई भाई अपने ही खून और राखी के बंधन की भी परवाह नहीं कर रहा. कानून के पहरेदार भी यह सब देख सिर्फ खानापूर्ति में लगे हैं. हम यूपी, बिहार, हरियाणा, दिल्ली, झारखंड, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल की बात नहीं करते वहां तो कलयुगी पुत्रों ने संपूर्ण कानून व्यवस्था को ही चुनौती दे डाली है, जहां किसी इंसान का भाग्य इन दुस्साहसियों ने अपने हाथ में ले रखा है जिसको प्रश्रय भी सत्ता व विपक्ष में शामिल कतिपय लोगों के हाथ में कठपुतली की तरह नाच रहा है. इधर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर पिछले कुछ समय से जहां अपराधियों के हाथ में नाच रहा है उसने इस शांत शहर को न केवल अशंात कर दिया है बल्कि दहशत भी पैदा कर दी है. कानून और व्यवस्था को सम्हालने वालों की असफलता का ग्रॉफ इससे पहले कभी शायद इतना गिरा होगा कि उनकी नाक के नीचे चौबीस घंटे के दौरान कोई भी लुट रहा है या
उसकी इज्जत तार-तार हो रहा है. ठगी के ऐसे किस्से सामने आ रहे हैं जो यह बताता है कि चोरी और ठगी करने वालों में भी वह रहम खत्म हो गई जो पहले के चोरों में मौजूद थी, तभी तो एक पिचहत्तर वर्ष की मां की संपूर्ण कमाई एक झटके में ले उड़ा. एक अन्य बुजुर्ग आदमी का पिचहत्तर हजार डिकी से पार कर लिया गया. उस वृद्ध मां के ठग के मन में थोड़ी भी मानवीयता बाकी है तो उसे इस मां के पैसे वापस कर देना चाहिये. बहरहाल कलयुग आया है तो उसे झेलना भी पड़ेगा- वो कहते हैं न पाप-पुण्य का सारा हिसाब इसी जन्म में पूरा करना होता है- यही हो रहा है. पापी, दुष्ट सब हावी हैं और आम-खास सब बेबस- असहाय!. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर को बनाने की मांग करने वाले अब पछता रहे हैं कि हमने कहां से बला मोल ले ली. यहां लगातार दूसरे दिन बीच बाजार रुपये से भरा थैला पार कर दिये जाने से हर जगह खलबली है. एक दिन पहले फाफाडीह और भाठागांव में एक घंटे के भीतर क्रमश: तीन लाख और 40 हजार रुपये दुपहिया की डिक्की से पार किये गये थे जबकि गुरुवार को बूढ़ापारा स्थित पुरोहित बाड़ा के पास एक इलेक्ट्रानिक शॉप का मैनेजर का ढाई लाख रुपये पार हो गया. अपराधियों को पकडऩे की पुलिस तत्परता देख हंसी आती है- सड़क पर ब्रेकर लगाकर जांच होती है, अपराधी अगर उनके सामने से निकलता भी होगा तब वह भी पुलिस की मूर्खता पर जरूर हंसता होगा. यह कहते हुए कि हम तो इधर हैं, तुम वहां गाड़ी की डिक्की में क्या झांक रहे हो!
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