सेक्स रैकेट का जाल, बच्चियों को बंधक बनाने, यौन शोषण का खेल-छत्तीसगढ़ शर्मसार!




बहुत दिनों बाद राजधानी के किसी थाने में भारतीय दंड विधान की धारा 363, 376 (घ), 372, 342, 506, 34 और पास्को एक्ट का प्रयोग हुआ, वह भी तब जब एक गुमशदा तेरह साल की नाबालिग बच्ची पुलिस के हाथ लगी! इस बच्ची ने सारा भेद खोला तब कहीं जाकर कार्रवाही हुई वरना पुलिस आज भी हाथ मलती रहती तथा अपराधी अपना कुत्सित खेल खेलते रहते. शहर के सबसे बड़े कोतवाली थाने से कुछ ही दूरी पर स्थित है टिकरापारा! इस इलाके का भी अपना थाना है-पास ही पुलिस लाइन और इसके अंदर पूरे छत्तीसगढ़ की फोर्स का जमावड़ा- इन सबकी नाक के  नीचे पनप रहे इस घिनौने व्यापार जिसे पुलिसिया भाषा में कहे तो सेक्स रेैकेट! पुलिस की माने तो साक्ष्य के अभाव में कोई कार्रवाई न करने की बाध्यता पर चलता रहा- एक गंभीर मामला है जिसे यूं ही अनदेखा नहीं किया जा सकता. अगर राजी मर्जी से सारा खेल होता तो बात समझ में आती लेकिन यहां तो पूरी जबर्दस्ती थी और संभव है यह खेल यहां वर्षों से चला आ रहा होगा जिसमें कई सफेदपोश और राज्य तथा राज्य के बाहर के अपराधियों का समावेश होगा. रायपुर पुलिस विशेषकर एसपी बद्रीनारायण मीणा इस अंतर्राज्यीय गिरोह को खोज निकालने तथा अपराधियों पर गंभीर किस्म के अपराध की धाराएं लगवाने के लिये बधाई के पात्र हैं. आगे की जांच पड़ताल में यह संभव है कि इस पूरे गिरोह में कई नये-नये नाम सामने आयेंगे बशर्ते कि पुलिस इस मामले में पूरी ईमानदारी दिखाये. छत्तीगसढ़ से बच्चियों के अपहरण, तस्करी, यौन शोषण का मामला विधानसभा में भी गूंज चुका है, साथ ही हाल के  दिनों में जो आंकड़े आये हैं वह भी अलार्मिंग है जिसमें यह बताया जा रहा है कि भारी तादात में बच्चे छत्तीसगढ़ से गायब हैं- पुलिस गुमशुदा की रिपोर्ट लिखाने के बाद इस बात का कोई प्रयास नहीं करती कि आखिर यह बच्चे किन परिस्थितियों में गायब हुए तथा उनका क्या हश्र हुआ? बच्चों के अपहरण, उनका यौन शोषण के मामले में पुलिस की पड़ताल व कार्रवाही दोनों धीमी होने के कारण ही अपराधियों के हौसले आसमान पर है. टिकरापारा मामले में जब पुलिस को पहली सूचना मिली, उसके बाद से वह साक्ष्य का इंतजार करती रही, अगर तत्काल कार्यवाही करती तथा कुछ अपराधियों को शिकंजे में लेती तो संभव है कि  इस मासूम बच्ची का जीवन नारकीय होने से बचाया जा सकता था. अब जब यह सेक्स रैकेट उजागर हो चुका है तो पुलिस को इसकी तह तक जाने की जरूरत है तथा ऐसे सभी सफेदपोश लोगों का चेहरा उजागर करने की जरूरत है जो ऐसे कार्यों में सहयोग करते व लिप्त रहते हैं!

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