गुण्डों को गोद में बिठाकर कब तक पूछताछ करते रहोगे? कुछ तो मप्र पुलिस से सीखो छग पुलिस!


गुण्डों को गोद में बिठाकर कब
तक पूछताछ करते रहोगे? कुछ
तो मप्र पुलिस से सीखो छग पुलिस!
'लातों के भूत बातों से नहीं मानतेÓ यह बहुत पुरानी कहावत है लेकिन इस कहावत का प्रयोग इन दिनों हम नहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कर रहे हैं. सड़क पर पिटते देख किसी को अच्छा नहीं लगता लेकिन अगर यह कोई चोर, लुटेरा, गुण्डागर्दी करने वाला हो तो हर कोई उसे अपनी  ओर से भी दो थप्पड़ देना चाहता है. इन दिनों मध्यप्रदेश पुलिस यही कर रही है. गुण्डागर्दी करने वालों को उनके घर से निकालकर उनके अपने मोहल्ले में ही सरेआम पीट रही है. दया जरूर आती है लेकिन ऐसे लोगों के कृत्य सुने तो कोई ऐसा नहीं जो इनके बचाव में उतरे लेकिन कुछ लोग तो जैसे ऐसे लोगों का भी ठेका ले रखे हैं. उधर पुलिस ने पीटा नहीं तो खड़े हो जाते हैं आपने उन्हें क्यों पीटा? यह तो मनुष्यों के अधिकार का हनन है. शिवराज सिंह ने इन्हीं लोगों को जवाब दिया है कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते. हम भी इस अभियान का पूर्ण समर्थन करते हुए छत्तीसगढ़ सरकार से भी अनुरोध करते हैं कि अपराधियों के साथ किसी प्रकार की दया की जरूरत नहीं, वे अब इस लायक रह ही नहीं गये हैं. गुण्डागर्दी, छेड़खानी की घटना से आज हर मोहल्ला परेशान है. गुण्डे जो कृत्य करते हैं वह आम आदमी का दिल दहला देने वाला है, ऐसे लोगों के साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिये. जब तक अपराधियों में खौफ नहीं आ जायेगा तब तक गुडागर्दी और छेड़खानी पर लगाम नहीं लगेगी. पिछले पचास दिनों से मध्यप्रदेश में यह अभियान चल रहा है और सफतलापूर्वक चल रहा है तथा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने पुलिस की  इस कार्यवाही का पूर्ण समर्थन किया है. इधर छत्तीसगढ़ में अपराध करने के बाद अपराधियों के कृत्यों को छिपाने का कार्य किया जा रहा है. सर्वोदय नगर में एक लड़का पिस्टल लेकर भरी दोपहरी में घर में घुसकर महिलाओं के गले से चैन खिंच लिया और भाग गया. आसपास के इलाके में दो थाने हैं एक कबीर नगर दूसरा आमानाका दोनों थाने सीमा विवाद में घिरे हैं, यहां कबीर नगर जो निकट का थाना है उसके थानेदार को घटना की जानकारी का कोई पता नहीं था जबकि दूसरे थाने के थानेदार ने बेतुका जवाब देकर सारे मामले को टालने का प्रयास किया. उनका कहना था कि जब घटना जिनके साथ हुई उन्होंने कोई रिपोर्ट ही नहीं लिखाई तो हम क्या करें? वाह! पुलिस आपसे डरकर और आपकी काबिलियत देखकर तो कोइ$ रिपोर्ट लिखाने की जुर्रत भी नहीं समझता. ऊपर से आपने घर में मौजूद बच्चियों पर ही आरोप लगा दे रहे हैं कि उनसे मिलने कोई घुसा होगा. गुण्डे, बदमााशों का छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पुलिस के बचाव की मुद्रा और उनको संरक्षण देने तथा पीड़ित परिवारों तक को बदनाम करने का इससे बड़ा उदाहरण क्या दें? रायपुर में चाकूबाजी, लूट, छेड़छाड़ महिलाओं के गले से छैन खींचने की घटनाएं लगातार बढ़ी है. मध्यप्रदेश के मुकाबले छत्तीसगढ़ में तो कभी-कभी ऐसा लगता है कि यहां पुलिस कभी हरकत में ही नहीं रहती. दूसरी ओर अपने सुशासन के लिए जाने जाने वाले मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पुलिस की दबंगई को सुशासन देकर उनकी हौसला अफजाई की है. हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौतरफा आलोचना के शिकार हुए हैं लेकिन गुण्डों की हरकतों के शिकार लोगों ने तो उनको सराहा ही है. वे आज इंदौर पुलिस की दबंगई का बचाव करते हुए उसके संकटमोचक बन गये. उन्होंने सार्वजनिक तौर पर पुलिसिया कार्रवाई का विरोध करने वालों पर झल्लाते हुए कहा कि उन्हें पीटू नहीं तो क्या करूं? गुंडों के साथ क्या करें? मैंने तो कह दिया है कि जमकर पीटो गुंडों को, चिन्ता करने की जरूरत नहीं है। हम जनता की सेवा के लिए हैं और वही कर रहे हैं. कुछ तो सीखों छत्तीसगढ़ पुलिस. गुडों को आप पुचकारते रहोगे तो जनता खुद ही सड़क पर उतर जायेगी. अभी कई मामलों में ऐसा हो भी रहा है.

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