आपातकाल नहीं भी तो मोदी को वादे पूरे करने के लिये कठोर कदम तो उठाने ही होंगे!




देश के वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर ने आपातकाल पर ट्वीट कर कहा है कि मोदी भी इंदिरा की राह पर चल रहे हैं-अगर ऐसा है तो कुछ हद तक तो मुझे व्यक्तिगत रूप से अच्छा ही लगता है- हम स्वयं विश्लेषण कर देखें कि देश के हालात किस ढंग से बदल रहे हैं और देश आज उस समय के हालातों से गुजर रहा है जिसके चलते इंदिरा गांधी ने आपातकाल लागू किया. यह बात अलग है कि परिस्थितियां उनके पक्ष में भी नहीं थी. घपले-घोटाले, अनुशासनहीनता, समय पर अफसरों व कर्मचारियों का कार्य पर न पहुंचना, ट्रेनों का समय पर न चलना, मीडिया का अंधाधुन्ध गलत-सही प्रचार, यह सब उस समय भी मौजूद था जो आपातकाल लगते ही एक सख्त अनुशासन के रूप में बदल गया. अगर अनुशासन पसंद लोग अपने नजरिये से तत्कालीन आपातकाल को देखे तो वास्तव में आम आदमी का जीवन सही ट्रेक  या सही पटरी पर उतर गया था. मीडिया का अंग होने के नाते हालांकि मुझे आपातकाल का समर्थन नहीं करना चाहिये चूंकि मी़िया भी राजनीतिक  दलों की तरह उस समय सबसे ज्यादा प्रभावित थी- मंै स्वयं भी आपातकाल के दौरान की गई सख्ती की चपेट में आया था लेकिन मुझे वह अनुशासन खूब पसंद आया जो आपातकाल लगाने के बाद देश में कायम हुआ. लोग एक तरह से एक दूसरे के कार्य में झांकने की जगह अपना काम करने लगे. किसी  को दूसरे से कोई मतलब नहीं था. देश प्रगति की राह में आगे बढ़ने लगा. जो फालतू बातें होती थी वह बंद हो गई. जिस कार्यालयों में लोग साहब लोगों से मिलने के लिये घंटों बैठे रहते थे, (जो स्थिति आज भी है)- समय पर अफसर पहुंचने लगे. ट्रेनें कभी लेट नहीं होती थी. मंहगाई पर लगाम लगी. बहुत सी ऐसी बातें हुई जो आम जनजीवन को पटरी पर लाने में कामयाब हुई. अगर इंदिरा गांधी की इमरजेंसी इतनी बुरी होती तो वे दूसरी बार कभी सत्ता में नहीं आती लेकिन इमरेजेंसी के बाद इंदिरा गांधी उसी प्रकार भारी बहुमत से विजयी हुईं जैसा आज नरेन्द्र मोदी विजयी होकर सत्ता पर बैठे हैं. यद्यपि नरेन्द्र मोदी अपने बयानों में इमरजेंसी की खिलाफत कर रहे हैं लेकिन क्या वर्तमान परिस्थितियां उन्हें वे काम करने देंगी जिसका वायदा चुनाव के दौरान उन्होंने देश के लोगों से किया था. ऐसे में कुलदीप नैयर का यह सोचना वाजिब है कि मोदी भी इंदिरा की राह पर चल रहे हैं. कुलदीप नैयर और उनके जैसे अनेक लोग जो उनकी सोच रखते हैं, अगर यह कहते हैं तो गलत नहीं है, चूंकि जिस ढंग से देश में आज राजनीतिक, सामाजिक आर्थिक, कानून-व्यवस्था, बेलगाम मीडिया तथा देश में विकसित हुई एक नई संस्कृति जिसमें लोग अपना दायित्व छोड़कर बाकी सब कर रहे हैं, ऐसी परिस्थिति निर्मित हो रही है उस परिप्रेक्ष्य में नरेन्द्र मोदी को वादे पूरे करना उस समय तक कठिन है जब तक कि वे इंदिरा गांधी की राह न पकड़ ले. अगर वे आपातकाल नहीं लगाते तो भी उन्हें कुछ ऐसे सख्त कदम उठाने ही होंगे जो देश से किये गये वादों को निभाने के लिये जरूरी हैं.
----

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ANTONY JOSEPH'S FAMILY INDX

बैठक के बाद फिर बैठक लेकिन नतीजा शून्‍य

गरीबी हटाने का लक्ष्य अभी कोसो दूर!