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भ्रष्ट आचरण पर कांगे्रस की महासभा में रहस्ययम चुप्पी!

रायपुर दिनांक 3नवम्बर भ्रष्ट आचरण पर कांगे्रस की महासभा में रहस्ययम चुप्पी! लगता है अब राजनीतिक पार्टियों के पास आम जनता को लुभाने का कोई नुस्खा रह ही नहीं गया। मंगलवार को दिल्ली में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सम्मेलन में मुख्य मुद्दा था आरएसएस का आंतकवाद। राहुल गांधी से श्ुाुरू हुआ यह मुद्दा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के बड़े- बड़े नेताओं, यहां तक कि सोनिया गांधी की जुबान से भी निकला लेकिन सर्वाधिक आश्चर्यजनक बात यह कि किसी नेता ने देश के ज्वलंत मुद्दे भ्रष्टाचार पर कोई चर्चा नहीं की। महाराष्ट्र में आदर्श आवास सोसायटी का मामला जिसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण आकंठ डूबे हुए हैं, पर्र अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी चुप हैं। हाल ही संपन्न राष्ट्र मंडल खेलों में हुए घोटाले के मामले में भी कांग्रेस की बोलती बंद है। कांग्रेस इस मामले में भी अब कुछ कहने की स्थिति में नहीं है कि- देश में मंहगाई के चलते आम जनता को क्या राहत दी जा रही है? विशेषकर मध्यमवर्गीय लोग जिन्हें किसी प्रकार का कोई लाभ सरकार की तरफ से नहीं दिया जा रहा है। कांग्रेस के युवा नेता राहुल गांधी ने देश को दो हिन्दुस

मौत की सामग्री से दहली राजधानी? कौन रच रहा है षडय़ंत्र!

रायपुर दिनांक 1 नवंबर 2010 मौत की सामग्री से दहली राजधानी? कौन रच रहा है षडय़ंत्र! राज्य गठन की वर्षगांठ से ठीक एक दिन पूर्व रविवार को रायपुर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा विस्फोट की अवाज से गूंज उठा। करीब डेढ किलोमीटर का पूरा क्षेत्र दहशत में आ गया। रिहायशी इलाके की बिल्डिंगे हिल गईं। आसपास खड़ी कारों के कांच टूट गये तथा घरों के शीशे सर्वत्र बिखर गये। विस्फोट कचरे के ढेर में पड़े डिब्बों में हुआ जिसमें डेटोनेटर वाले बम थे, जो तारों के गुच्छे व अन्य रासायनिक तत्वों से बने थे। पुलिस के आला अफसरों ने घटना का मुआयना करने के बाद इस संबंध में जो बयान दिया वह कुछ इस प्रकार था-''दीवाली का समय है, किसी ने कचरे में फे के गए विस्फोट में आग लगा दी यह बयान रायपुर में सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलने के लिये काफी है। वह भी उस समय जब रायपुर में राज्योत्सव चल रहा है, दीवाली की तैयारी चल रही है, और कई महत्वपूर्ण हस्तियां आना जाना कर रही हैं। ऐसे समय शहर को दहला देने वाले विस्फोट पर गैर जिम्मेदाराना बयान ने यह बता दिया है कि पुलिस किसी मामले को गंभीरता से लेना ही नहीं चाहती। इस घटना के बाद शहर को एलर्ट क

क्यों दी हमने इतनी आजादी?

रायपुर दिनांक २7-अक्टूबर 2010 क्यों दी हमने इतनी आजादी? प्रख्यात लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुन्धति राय का अब बयान है कि जम्मू कश्मीर भारत का अंग नही हैं। अरुन्धति के इस बयान पर हम केन्द्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री तथा कश्मीर के वरिष्ठ नेता फारूख अब्दुल्ला की उस टिप्पणी का कि क्यों दी हमने अभिव्यक्ति की आजादी का स्वागत करते हुए उन्हीं की बात को आगे बढ़ाते हुए यह कह सकते हैं कि- भारत में लोगों को कुछ ज्यादा ही आजादी मिली हुई है। आपस में तो एक दूसरे को कुछ भी बोल देते हैं। अब देश के खिलाफ भी बोलने लगे हैं। हाल ही बिहार के सांसद ने बयान दिया कि राहुल गांधी को गंगा में फेंक देना चाहिये। चलिये हम मानते हैं कि ऐसी बातें हमारे नेता कहते ही रहते हैं। मगर प्रख्यात लेखिका और समाजसेवी जब यह कहे कि- हमारा दायां या बायां हाथ हमारा नहीं, किसी और का है, तो उसे कैसे मान लें। यही न कि उनकी बुद्वि भ्रष्ट हो चुकी है। वे शायद इस मिट्टी में जन्म लेकर यह इसलिये कह रही है कि उन्हें बोलने की बहुत ज्यादा आजादी दे डाली है। कोई दूसरा देश होता तो शायद मैडम आगे कोई वक्तव्य देने लायक नहीं रह जातीं। विश्

दबा-दबा उत्सव, मीरा कुमार से उद्घाटन क्यों नहीं कराया गया?

रायपुर बुधवार। दिनांक 27 अक्टूबर 2010 दबा-दबा उत्सव, मीरा कुमार से उद्घाटन क्यों नहीं कराया गया? राज्योत्सव की तैयारियों में कम से कम एक महीने का समय लगा। इस दौरान रायपुर शहर की सड़कों का डामरीकरण तो नहीं हुआ, हां यह कहा जा सकता है कि पेचिंग हुई। कुछ सड़कों के डामरीकरण का कार्य शुरू किया गया था। जिसे एक रोज दोपहर हुई तो बारिश ने चौपट कर दिया। उसके बाद डामरीकरण की पोल खुल गई और निगम आयुक्त ने डामरीकरण पर रोक लगा दी। महापौर कहती हं कि राज्य शासन ने उन्हें सड़क बनाने पैसा ऐन समय पर दिया। वरना वे सड़कों को चकाचक कर देती! रायपुर में जंग लगे स्ट्रीट लाइट के खम्बों का रंग रोगन हुआ। वह भी एक कोट से, तो डिवाइडरों पर लगे सूखे फूल पौधों को हटाकर कहीं -कहीं दूसरे पौधे लगाये गये। राज्योत्सव हर साल मनाया जाता है, इसका रूप अब बदलता जा रहा है। फायदा किसे हो रहा है? यह तो किसी को नहीं मालूम, लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है कि राजधानी रायपुर दीपोत्सव से पहले रंगारंग दिखने लगी। बालीवुड अभिनेता सलमान खान को कमर मटकाने के लिये कितना पैसा दिया गया? यह तो हमें नहीं मालूम, लेकिन मुश्किल से दस मिनट के कार्यक

नेताओं के मसखरे बयानो के सफर मेंजुड़े अब राष्ट्र विरोधी कलमकार !

रायपुर गुरूवार 28 अक्टूबर 2010 नेताओं के मसखरे बयानो के सफर में जुड़े अब राष्ट्र विरोधी कलमकार ! सुनिये हमारे राजनेता क्या कहते हैं- बाल ठाकरे नकलची बिल्ली हैं- राज ठाकरे राहुल गांधी को गंगा में फेंक देना चाहिये- शरद यादव राज की मनसे चूहों की पार्टी है- बाल ठाकरे आरएसएस और सिमी में कोई फर्क नहीं।-राहुल गांधी और इन सबसे हटकर अपनी लोकप्रियता को चार चांद लगाने के लिये समाज सेविका और प्रख्यात लेखिका क्या कहती हैं सुनिये-कश्मीर शुरू से भारत का अंग नहीं है, इतिहास इसका गवाह है। भारत सरकार ने इसे स्वीकार किया है-अरुंधति राय जो चाहे बोलो-जो चाहे करो और जितना चाहे पैसा अपनी पेटियों में भरते जाओ और जगह नहीं तो गुसलखाने और कुत्ते को बांधने के कमरों में भी भरते जाओ। लोगों को मिली इस आजादी को हम क्या कहें? मनमानी, एक अच्छे लोकतंत्र की निशानी या लोगों के मुंह में लगाम नहीं अथवा अनाप शनाप छूट? शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने अपने पूरे परिवार को राजनीति में उतार दिया। राज ठाकरे, उद्वव ठाकरे, बहू स्मिता ठाकरे और अब भतीजे आदित्य ठाकरे। महाराष्ट्र तथा कुछ अन्य प्रदेशों में सीमित चल रही उनकी राजनीति को कभी

नये पत्रकार पढ़ेंगे आउटर में, इंजीनियर भी होगें शहरबदर!

रायपुर मंगलवार 26 अक्टूबर 2010 नये पत्रकार पढ़ेंगे आउटर में, इंजीनियर भी होगें शहरबदर! कई दिनों से कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय को अमलेशर में शिफ्ट किया गया और सोमवार से वहां पढ़ाई भी शुरू हो गई। करोड़ों रूपये खर्च कर तैयार किये गये इस कैम्पस में मात्र सौ छात्र -छात्राएं हैं। जिन्हें अनेक बाधाओं को पार कर इस विश्वविद्यालय तक पहुंचना पड़ता है। इन बाधाओं में शराबी,जुआरी और अन्य समाजविरोधी तत्व भी हैं। अब तक यह विश्वविद्यालय कोटा में चल रहा था। यहां से हटाकर इसे अमलेशर ले जाने का सपना किसने देखा? यह तो पता नहीं, किंतु जिसने भी इस बुद्वि का इस्तेमाल किया। उसकी सोच की दाद दी जानी चाहिये कि वह छात्रों को मुश्किलों से जूझना सिखाकर ही पत्रकारिता की डिग्री लेेने के लिये मजबूर करेगा। वैसे यह एक पत्रकारिता विश्वविद्यालय का अकेला मामला नहीं है। शहर में यत्र तत्र फैले कॉलेजों का भी यही हाल है। जहां तक पहुंचने के लिये छात्रों को कई किस्म के पापड़ बेलने पड़ते हैं। रायपुर का मेडिकल कालेज पहले आज जहां आयुर्वेदिक कालेज है उसके बगल में अभी जहां डेंटल कालेज हैं, वहां लगा करता था। तत्कालीन मध्यप

सेना ने उत्साह तो भरा युवाओं में !

रायपुर दिनांक 25 अक्टूबर 2010 वो जज्बा अनुशासन पहले था अभी नहीं, लेकिन सेना ने उत्साह तो भरा युवाओं में ! आजादी के बाद के वर्षो में चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश तीनों पड़ोसी राष्ट्रों से हमारा किसी न किसी मुद्दे को लेकर युद्व हुआ है। उस दौरान जो युवा थे। आज बुजॢगयत की ओर बढ़ रहे हैं। उस समय और अब में काफी परिवर्तन देखा जा रहा हैं। युवाओं में अनुशासनहीनता, समय का पाबंद न होना और अन्य अनेक किस्म की कमजोरियां घर कर गई है। देर से सोकर उठना और अपनी दिनचर्या को शुरू करने में अच्छा खासा आलस- यह सब देखने मिलता है। यहां तक कि जब तक साहबजादे के बिस्तर पर चाय न पहुंच पाये उठते ही नहीं। लड़कियां भी इस मामले में पीछे नहीं है। आपने कभी सोचा है- इन सबके पीछे कारण क्या है? हम जहां तक इसका आंकलन करते हैं- वह यह कि युवाओं को व्यवस्थित नहीं किया जा रहा। उन्हें किसी भी रूप में अनुशासन का पाठ नहीं डढ़़ाया जा रहा। युद्व के दौरान स्कूल और कॉलेजों में एनसीसी को कम्पलसरी कर दिया गया। इससे एक बात अच्छी हुई कि उस समय के युवा न केवल मेनर्स सीख गये, बल्कि उनमें अनुशासन और जीवन जीने की कला भी आ गई। समय पर उठना, सम

कालिख पर सफेदी का प्रयास-बिल्ली दूध पी गई,सब देखते ही रह गये!

रायपुर दिनांक 23अक्टूबर 2010 कालिख पर सफेदी का प्रयास-बिल्ली दूध पी गई,सब देखते ही रह गये! कांग्रेस अब सामी के मुंह के कालिख को सफेद करने में लगी है। इसके लिये स्थानीय नेता कभी कुछ तो कभी कुछ बयान देने में लगे हैं। इसमें दो मत नहीं कि इस पूरे कांड में किसी बड़ी हस्ती का हाथ है। वह कौन है? इसका खुलासा करने की जगह कांग्रेस के सम्माननीय नेता मामले को और उलझाने में लगे हैं। यह लगभग सभी बड़े कांग्रेसियों को मालूम है कि किसने इस शर्मनाक घटना को जन्म दिया, लेकिन गुटबाजी में लिप्त प्राय: सभी नेता इस मामले में एक हो गये हैं। उनके मुंह से या तो नाम निकल नहीं रहा या वे खामोश आगे के एपीसोड़ का इंतजार कर रहे हैं। इस पूरे कांड में लिप्त आरोपियों ने जो खुलासा किया उसमें छोटे शिकारी ही प्रकाश में आये हैं। असल जो हैं वह या तो इस पूरे कांड की निंदा करने में लगे हैं या जांच की मांग करते हुए भीड़ में शामिल हो गये तथा तमाशे को और रोचक बनाने में लगे हैं। रायपुर में कांग्रेस का पुराना इतिहास देखा जाये तो यहां बहुत से कांड कांग्रेस भवन या बाहर हुए हैं। जो कांग्रेस के असली चेहरे को उजागर करती रही है। बिल्

बाबाजी योग कीजिये..क्यों

रायपुर दिनांक 22 अक्टूबर 2010 बाबाजी योग कीजिये..क्यों बर के छत्ते पर हाथ डाल अपनी छबि खराब कर रहे हैं? योग गुरू बाबा रामदेव ने सरकार को धमकी दी है कि अगर सरकार देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिये जरूरी कदम उठाने में नाकाम रही, तो उन्हें अपनी राजनीतिक पार्टी बनानी होगी। हमारा तो कहना है कि उन्हें तुरंत अपनी राजनीतिक पार्टी का गठन कर देना चाहिये। चूंकि न सरकार पर उनकी धमकी का कोई असर होने वाला और न ही देश से भ्रष्टाचार का अंत होगा। बल्कि बाबा रामदेव भ्रष्टाचार के समर्थन में कोई पार्टी बना लें तो वे शीघ्र सत्ता में आकर प्रधानमंत्री तक की कुर्सी पर बैठ सकते हैं। बाबा रामदेव की भावना का तहे दिल से स्वागत करते हुए उन्हें यह सलाह देना चाहते हैं कि वे देश से और कुछ गंदगी को निकालने के लिये राजनीतिक पार्टी बना सकते हैं। लेकिन भ्रष्टाचार...इसके खिलाफ पार्टी बनाने की कैसे सोच रहे हैं। बाबा रामदेवजी आपको कौन समर्थन देगा? देश का तंत्र जिस तरह से भ्रष्ट हो गया है, उसके आगे आप तो क्या भगवान भी जमीन पर उतर आये, तो उन्हें भी लोग रिश्वत देकर यह कहते हुए ऊपर वापस भेज देंगे कि- अभी तो मौका

बस कुछ भी हो आव देखा न ताव कह दिया यह शत्रु की करामात!

रायपुर गुरुवार। दिनांक 21 अक्टूबर 2010 बस कुछ भी हो आव देखा न ताव कह दिया यह शत्रु की करामात! कोई घटना हुई नहीं कि उसपर स्टेटमेंट जारी करने में लोग देरी नहीं करते। चाहे वह सही हो या नहीं अथवा उसकी हकीकत सामने आई हो या नहीं बस निशाना सीधे अपने विरोधी पर होता है। मंगलवार को कांग्रेस भवन में कांगे्स संगठन प्रभारी और केन्द्रीय मंत्री वी नारायण सामी पर कालिख फेंकने की घटना ने दिल्ली को भी हिला दिया। मामला कांग्रेस संगठन के एक वरिष्ठ नेता व केन्द्रीय मंत्री का होने के कारण इसकी महत्ता और भी बढ़ गई। कांग्रेस के प्राय: सभी नेताओं ने संतुलित होकर बयान जारी किया। घटना की निंदा की गई तथा दोषियों को कड़ी सजा की मांग की गई, मगर कांग्रेस के ही एक वरिष्ठ पदाधिकारी व सासंद का जो बयान आया, उसने यह बता दिया कि राजनीति को किस किस तरह से रंगने का प्रयास किया जाता है। उक्त सासंद ने इस पूरे कांड के लिये भाजपा को जिम्मेदार ठहरा दिया। यहां तक कह दिया कि इससे भाजपा की पोल खुल गई। लगे हाथ सरकार पर आरोप भी लगा दिया कि उसने नारायण सामी की सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं किया। अखबारों में छपी तस्वीरे साफ गवाह है कि पु

गुटों के जाल में नेताओं के मुंह पर कालिख का खेल!

रायपुर बुधवार। दिनांक 20 अक्टूबर 2010 गुटों के जाल में नेताओं के मुंह पर कालिख का खेल! जब- जब कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर आती है, कांग्रेस में ऐसी घटनाएं होती हैं जो मंगलवार को कांग्रेस भवन में हुई। कुछ लड़कों ने प्रदेश कांग्रेस संगठन प्रभारी और केन्द्रीय मंत्री वी नारायण सामी के चेहरे पर कालिख पोत दी। जबकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिये नियुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्रीमती विप्लव ठाकुर को भी नहीं बख्शा गया। कांग्रेस का फलेश बैक करेें तो पूर्व के वर्षो में जब अर्जुन सिंह प्रदेश कांग्रेस के नेता के रूप में रायपुर पहुंचे। तो उनके साथ जयस्तंभ चौक में गिरनार रेस्टोरेंट के सामने कुछ कांग्रेसियों ने झूमा झटकी- धक्का मुक्की की। ये कांग्रेसी उस समय के एक बड़े नेता के समर्थक थे। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद जैसे ही लोगों को पता चला कि अजीत जोगी को मुख्यमंत्री बनाना लगभग तय कर लिया गया है। तो विद्याचरण शुक्ल के फार्म हाउस में तत्कालीन मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के साथ जो कुछ हुआ, उसे बहुत से लोग जानते हैं। दिग्विजय सिंह यहां से जानबचाकर भागे थे। राज्य बनने के बाद विद्याचरण

उम्र कैदी का मार्मिक पत्र..

रायपुर दिनांक १८ अक्टूबर २०१० उम्र कैदी का मार्मिक पत्र..क्या कभी हमारी व्यवस्था की आंख खुलेगी? अभी कुछ ही दिन पहले मुझे एक पत्र मिला, यह यूं ही टेबिल पर पड़ा था। कल फुर्सत के क्षणों में जब मंैने इसे खोलकर देखा तो यह जेल में बंद एक उम्र कैदी का था जिसने चुनाव आयोग द्वारा राजनीतिक दलों की उस बैठक पर मेरे आलेख पर उसने अपनी टिप्पणी दी थी। आलेख में मंैने लिखा था कि- वे ही लोग अब राजनीति में बढते अपराधीकरण पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं, जिन्होंने किसी समय इसे बढ़ावा दिया। उमर कैद की सजा भुगत रहे कैदी ने पत्र में जेलों में बंद ऐसे कैदियों का जिक्र किया है, जो अपने को निर्दोष साबित नहीं कर सके और झूठे साक्ष्यों के आधार पर सजा भुगत रहे हैं। 'वो कहते हैं न- गेंहू के साथ घुन भी पिस जाता है।Ó ऐसा ही हमारे देश मेें हो रहा है, जहां की जेलों में ऐसे कई निर्दोष व्यक्ति सड़ रहे हैं जिन्होंने कभी कोई अपराध किया ही नहीं, किंतु किसी के बिछाये हुए जाल का शिकार हो गये। ऐसे लोग या तो किसी राजनेता, पहुंच अथवा प्रभावशाली व्यक्तियों की टेढ़ी दृष्टि के शिकार बन गये। ऐसे लोगों के लिये अदालतों में साक्ष्य पेश कर

कही फूल, कहीं कांटे!

रायपुर मंगलवार। दिनांक 19 अक्टूबर 2010 कही फूल, कहीं कांटे! यह कैसा अडियल रवैया है निगम का? जयस्तंभ चौक में आरएसएस के पथ संचलन पर किसी समय फूलों की वर्षा करने वाली रायपुर की महापौर को यह अचानक क्या हो गया कि उन्होंने विजयादशमी पर आरएसएस को सप्रे शाला प्रांगण में शस्त्र पूजन करने पर कठोर कार्रवाई करने का ऐलान कर दिया? हालांकि बाद में यह मामला सलटा लिया गया और पूजा वहीं हुई जहां यह वर्षो से होती आ रही है। महापौर ने अपने इस विरोध की वजह बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का हवाला दिया जिसमेेंं स्कूल प्रांगण में कोई भी बाहरी कार्यक्रम आयोजित करने पर रोक लगी हुई है। अगर ऐसा है तो संघ के इस आयोजन से पहले इसी मैदान में जन्माष्टमी का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था उसपर रोक क्यों नहीं लगाई गई? महापौर ने कुछ ही दिन पहले आरएसएस के पथ संचलन के दौरान फूल बरसाकर सभी कांग्रेसियों को चकित कर दिया था। अब अचानक आये नये बदलाव ने फिर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। कांग्रेस की टिकिट पर महापौर बनीं किरणमयी नायक का रवैया शुरू से ही टकराहट का रहा है। वे यह जानती हंंै कि भाजपा सरकार से तालमेल बनाये बगैर शहर का विकास सं

अब खुलेगी चमक की पोल!

रायुपर दिनांक 16 अक्टूबर 2010 अब तक चुप रहे,विदेशी चले गये अब खुलेगी चमक की पोल! यह पहला अवसर है जब भारतीय खिलाडिय़ों ने एक साथ सौ पदक प्राप्त कर देश का गौरव बढ़ाया। सभी को इस बात का आश्चर्य है कि एशियाड, ओलंपिक जैसी विश्वस्तरीय प्रतियोगिताओं में एक-एक पदक के लिये जी जान एक कर देने के बाद भी एक भी पदक प्राप्त नहीं करने वाले भारतीय खिलाडिय़ों ने अपनी भूमि पर एक साथ सौ से ज्यादा पदक कैसे बटोर लिये? खिलाडिय़ों को भारी संख्या में मिले सोने के मेडल की चमक ने विश्व की आंखों को भी चकाचौंध कर दिया। चर्चा में तो बात यहां तक है कि राष्टमंडल खेलों की तैयारियों के दौरान जो छीछालेदर आयोजन समिति की हुई उसके चलते पूरे खेल का फिक्ंिसग कर लिया गया। फिक्सिंग की बात तो राष्टमंडल खेल के दिल्ली में आयोजित करने के मामले में भी हुई। जब भारतीय ससंद में यह आरोप लगाया कि नई दिल्ली में राष्टमंडल खेल आयोजित करने के लिये कुछ देशों को रिश्वत दी गई। चर्चाएं अफवाह अपनी जगह है किंतु जो हमने अपनी आंखों से देखा। उसमें हम यही कह सकते हैं कि भारत में राष्टमंडल खेलों का शानदार आगाज हुआ और जानदार अंत भी। हां यह दूसरी बात है कि

बर्बर कृत्य के लिये फांसी,

रायपुर दिनांक 11 अक्टूबर 2010 बर्बर कृत्य के लिये फांसी, नाबालिगो से बहशीपन पर भी हो मौत की सजा! >>बहुओं को जलाया जाना बर्बर और जंगली जानवरों जैसा कृत्य हैं। जब तक इस तरह के अपराध को अंजाम देेेने वालों को फांसी के फंदे पर नहीं लटकाया जायेगा। तब तक लोग महसूस नहीं करेंगे कि बहुओं को जलाया जाना अपराध है। <<सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काटजू और न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर की खण्डपीठ ने पंजाब के फिरोजपुर की निचली अदालत द्वारा बहू की हत्या मामले में दोषी ठहराये गये एक फैसले में यह टिप्पणी की। अदालत ने याचिका खारिज करते हुए उक्त व्यक्ति के आजन्म कारावास सजा बरकरार रखी है। न्यायमूर्ति काटजू ने यहां तक कहा कि हमारे बहुत से न्यायधीश अंहिसांवादी हैं लेकिन मैं ऐसा नहीं हूं। मिलापकुमार ने अपनी पत्नी राजबाला को इसलिये जलाकर मार डाला था। चूंकि उसने उसके साथ खेत पर काम करने से मना कर दिया। देश में ऐसी सैकड़ों घटनाओं के परिपे्रक्ष्य में सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले ने देशभर के न्यायालयों में पड़े इस ढंग के अनेक मामलों में पीडि़त पक्ष को न्याय की आस दिलाई है। इसके साथ ही हम यह

नक्सली अब अपनी आइडेंटिटी प्रदर्शन के साथ शहरों की ओर!

रायपुर रविवार दिनांक 10 अक्टूबर 2010 नक्सली अब अपनी आइडेंटिटी प्रदर्शन के साथ शहरों की ओर! अबूझमाड़ के जंगलों से निकलकर नक्सलियों ने शहरी क्षेत्र की ओर मार्च कर दिया है। शहरी क्षेत्र में नक्सलियों की बेखौफ मौजूदगी और ग्राीमणों के साथ मेलजोल,बातचीत और उनके बीच बैठकर खाना खाने से यह बात स्पष्ट हो गई है, कि नक्सलियों का पुलिस की गोली से खौफ खत्म हो गया है और वे किसी भी मुकाबले के लिये तैयार हैँ। आपको याद होगा जब नक्सल विरोधी अभियान के लिये राज्य सरकार ने पंजाब के पूर्व डायरेक्टर जनरल जी एस गिल की नियुक्ति की थी। तब नक्सलियों ने बस्तर क्षेत्र को धमाकों से उनके स्वागत में गुंजा दिया था अर्थात नक्सली एक तरह से पुलिस के नई नियुक्ति की खिल्ली उड़ा रहे थे। गिल के चार्ज लेने के बाद प्रदेश में नक्सलियों का अभियान तेज हो गया और एक के बाद एक चुनौतीपूर्ण घटनाएं हुई। गिल ने बाद में इस अभियान से अपने आपको अलग कर राज्य सरकार पर इस अभियान में सहयोग नहीं करने का आरोप लगाते हुए छत्तीसगढ़ से विदा हो गये। यह भी महत्वपूर्ण है कि जब भी राज्य या केन्द्र में कोई पुलिस अधिकारी या नेता नक्सलियों से जोरदार तरीके

जोगी के आंकड़ों का खेल,क्या संभव है भाजपा में बगावत!

रायपुर दिनांक 9 अक्टूबर 2010 जोगी के आंकड़ों का खेल, क्या संभव है भाजपा में बगावत! अजीत जोगी का नया पैतरा भाजपा सरकार को कितना हिलायेगा यह तो हम नहीं कह सकते लेकिन 12 भाजपा विधायकों की उनसे मुलाकात की बात ने सियासी हलकों को चर्चित जरूर कर दिया है, कि वे इस दावे के साथ सरकार को परेशान करने की स्थिति में आ गये हैं! अभी कुछ ही दिन पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने विधायकों व पार्टी कार्यकताओं को एक सूत्र में बंधे रहने का डोस दिया था। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद जोगी की बस्तर यात्रा के बाद बने नये समीकरण(?) और उसके बाद के बयान का विश£ेषण किया जाये। तो जोगी से बस्तर में कुछ असंतुष्ट विधायकों की मुलाकात जरूर हुई होगी और यहां उन्होंने जोगी को राज्य सरकार के कार्यो की शिकायत भी जरूर की होगी तथा उनको साथ देने का वायदा भी किया होगा। लेकिन यह संख्या कितनी रही होगी? इसका आंकलन तत्काल नहीं किया जा सकता। जोगी को सरकार पलटाने की महारथ हासिल है,यह किसी से छिपा नहीं है। इसलिये शायद सत्ता पक्ष भी उनकी बातों को यूं ही आई गई नहीं होने देगा। जोगी जब पहली बार सत्ता में आये तो उन्होनें ब

खिलाडिय़ों का खून और पसीना!

रायपुर दिनांक 8 अक्टूबर स्वर्ण के एक एक हिस्से पर लगा हैं खिलाडिय़ों का खून और पसीना! जिस स्वर्ण पदक को जीतकर आज सारा देश गौरवान्वित महसूस कर रहा है। उसे जीतने के लिये हमारे खिलाडिय़ों को कितने पापड़ बेलने पड़े हैं। यह जब उनकी जुबानी बाहर आती है तो हमारी व्यवस्था पर गुस्सा आता है कि वह देश में खिलाडिय़ों को तैयार करने के नाम पर उनकी पूरी उपेक्षा ही कर रही है। जो कुछ गौरव हासिल किया जा रहा है, उसे खिलाडी अपनी स्वयं की प्रतिभा,मेहनत और खून- पसीना एक कर से अर्जित कर रहे हैं। राष्ट्रमंडल खेलों की भारोत्तोलन प्रतियोगिता में देश के लिए पहला स्वर्ण पदक जीतने वाली रेणुबाला चानू को बुधवार रात पदक जीतने के बाद वापस खेलगांव जाने के लिए करीब पांच घंटे आटोरिक्शा का इंतजार करना पड़ा। वह अपने परिवार के साथ थीं। यह तो गनीमत थी कि उसे आटो मिल गया। वरन् देश का यह गौरव कहां भटकती रहती इसका अंदाज व्यवस्था करने वाले भी नहीं लगा पाते। अब अपनी खाल बचाने के लिये आयोजन समिति कह रही है कि रेणु ने स्वयं ही आटोरिक्शा से खेलगांव जाने का निर्णय लिया था। गोल्ड मेडल जीतने के बाद रेणु के साथ जहां यह व्यवहार था तो दूसरी ओ

कपडे में मुंह छिपाकर घूमने वाले कौन? पुलिस क्यों हैं खामोश...!

रायपुर दिनांक 6 अक्टूबर 2010 कपडे में मुंह छिपाकर घूमने वाले कौन? पुलिस क्यों हैं खामोश...! छत्तीसगढ़ में रायगढ़ नगर के आईसीसीआई बैंक में चार युवक चेहरा ढक कर पहुंचे, कई लोगों की उपस्थिति में उन्होनें पेटी में करीब पौन करोड़ रूपये भरे और रफूचक्कर हो गये। निशानी के बतौर वे बैंक के स्पाई कमरें में अपना चेहरा ढका हुआ छोड़ गये- पुलिस इसी छबि को लेकर इन्हें पकडऩे के लिये माथा पच्ची कर रही है। गमछा मुंह में बांधे तेज गति से बाइक चलाने वाले युवको की गतिविधियां पूरे छत्तीसगढ़ में आम आदमी के लिये तो सरदर्द है साथ ही पुलिस के लिये भी सरदर्द बने हुए हैं। यद्यपि पुलिस की सक्रियता ऐसे लोगों को पकडऩे के लिये उसी समय होती है जब कहीं वारदात होती है वरना इनसे कोई पूछताछ नहीं होती। पिछले दस पन्द्रह सालों में नये बेरोजगार युवाओ की एक बड़ी फ ौज तेयार हो गई हैं जिसमें चेहरा ढक कर घूमने की आदत सी हो गई है। गर्मी में अगर कोई धूप से बचने के लिये चेहरे को गमछे से लपेट ले तो हम कह सकते हैं कि यह गर्मी से बचाव का एक उपाय है किंतु सदैव गमछे से चेहरे को लपेटकर घूमने वाले आखिर हैं कोन?और इनके चेहरे से नकाब हटाने

पहुंच,प्रभाव के आगे फिरबौना हुआ देश का तराजू!

रायपुर,7 सितंबर 2010 पहुंच,प्रभाव के आगे फिर बौना हुआ देश का तराजू! हमारी न्याय व्यवस्था को विश्व ने सराहा है, चाहे वह अयोध्या में राम मंदिर- बाबरी मस्जिद विवाद का फैसला हो या फिर मुम्बई में आंतकी हमलों में जीवित बचे एक मात्र आंतकी अब्दुल अजमल कसाब के मामले में हाईकोर्ट का फैसला हो। किंतु पिछले कुछ समय से जो फैसले आ रहे हैं। वह अपराधियों के लिये तो राहत देने वाला है, मगर समाज में इसका गलत संदेश जा रहा है। न्याय व्यवस्था पर पिछले कुछ समय से लगातार उंगली उठ रही है जिसमें न्यायाधीशों के भ्रष्टाचार से भी संबन्धित है। कई लोगों के खिलाफ कार्रवाई भी हुई है। भोपाल गैस ट्रेजडी पर दिये गये फैसले ने पहली बार सबको चौकाया और उसकी जगह-जगह थू -थू हुई। क्योंकि जिस मामले में आरोपियों को मृत्युदंड दिया जाना चाहिये था। उन्हें मामूली जुर्माने और कम सजा में ही निपटा दिया गया। ऐसे लगा कि न्याय को खरीद लिया गया। इस मामले में हजारों लोगों की जान चली गई थी तथा इसमें हत्या का मुकदमा दायर करना था। उसकी जगह कम धाराएं लगाकर मामला कोर्ट में पेश किया गया और आरोपी एक तरह से छूट गये। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली

चुभने लगा अपराधी करण!

रायपुर दिनांक 5 अक्टूबर 20010 चुभने लगा अपराधी करण! चुनाव आयोग द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में राजनीतिक दलों ने राजनीति में अपराधी करण पर अंकुश लगाने की मांग की हैं। इस मांग पर विस्मय इस बात को लेकर है कि जिन पार्टियों ने पहले राजनीति का अपराधी करण को बढावा दिया वे ही अब इसपर अंकुश लगाने की मांग कर रहे हैं। विभिन्न दलों ने चुनाव आयोग के समक्ष राजनीति में अपराधी करण और चुनावों में धन के बढ़ते प्रभाव पर चिंता व्यक्त की। एक समय था जब राजनीतिक दलों ने अपने दरवाज़े खुले दिल से अपराधियों व धन कुबेरों के लिये खोल दिया। फिलहाल राजनीति के धार्मिकीकरण पर किसी ने कोई चिंता व्यक्त नहीं की लेकिन यह भी भविष्य में एक समस्या बन जा ये तो आश्चर्य नहीं करना चाहिये। पूर्व के वर्षो का इतिहास रहा है कि राजनीतिक दलों ने ही राजनीति में अपराधी प्रवृत्ति के लोगों को प्रश्रय दिया और धन कुबेरों को शामिल कर धन का खेल खेला लेकिन अब यही उनपर उलटा वार करने लगे। पिछले दो तीन दशक में राजनीति का जितना अपराधी करण हुआ तथा धनकुबेरों का वर्चस्व बना वह इससे पहले कभी नहीं हुआ। प्र्राय: सभी राजनीतिक दलों ने निर्वाचन आयोग से

चुभने लगा अपराधीकरण!

रायपुर दिनांक 5 अक्टूबर 20010 चुभने लगा अपराधी करण! चुनाव आयोग द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में राजनीतिक दलों ने राजनीति में अपराधी करण पर अंकुश लगाने की मांग की हैं। इस मांग पर विस्मय इस बात को लेकर है कि जिन पार्टियों ने पहले राजनीति का अपराधी करण को बढावा दिया वे ही अब इसपर अंकुश लगाने की मांग कर रहे हैं। विभिन्न दलों ने चुनाव आयोग के समक्ष राजनीति में अपराधी करण और चुनावों में धन के बढ़ते प्रभाव पर चिंता व्यक्त की। एक समय था जब राजनीतिक दलों ने अपने दरवाज़े खुले दिल से अपराधियों व धन कुबेरों के लिये खोल दिया। फिलहाल राजनीति के धार्मिकीकरण पर किसी ने कोई चिंता व्यक्त नहीं की लेकिन यह भी भविष्य में एक समस्या बन जा ये तो आश्चर्य नहीं करना चाहिये। पूर्व के वर्षो का इतिहास रहा है कि राजनीतिक दलों ने ही राजनीति में अपराधी प्रवृत्ति के लोगों को प्रश्रय दिया और धन कुबेरों को शामिल कर धन का खेल खेला लेकिन अब यही उनपर उलटा वार करने लगे। पिछले दो तीन दशक में राजनीति का जितना अपराधी करण हुआ तथा धनकुबेरों का वर्चस्व बना वह इससे पहले कभी नहीं हुआ। प्र्राय: सभी राजनीतिक दलों ने निर्वाचन आयोग से

खंडपीठ देरी के लिये कौन जिम्मेदार?

रायपुर दिनांक 4 अक्टूबर हाईकोर्ट की खंडपीठ रायपुर में स्थापित करने मे देरी के लिये कौन जिम्मेदार? वीरप्पा मो इली की पिछली रायपुर यात्रा में एक महत्वपूर्ण रहस्योद्धाटन हुआ कि राजधानी रायपुर में बिलासपुर उच्च न्यायालय की खंडपीठ स्थापना के लिये राज्य शासन की तरफ से कोई प्रस्ताव भेजा ही नहीं गया। केन्द्रीय विधि मंत्री मो इली से जब रायपुर के लोगों ने अनुरोध किया कि बिलासपुर उच्च न्यायालय की खंडपीठ रायपुर में स्थापित की जा ये तो उनका जवाब सुनकर सब चौक गये कि राज्य शासन प्रस्ताव प्रेषित करें तो वे उस संबंध में विचार करेंगे। इस बयान से यह रहस्योद्धाटन हुआ कि रायपुर में उच्च न्यायालय की खण्डपीठ स्थापना के संबंध में राज्य की अब तक की सरकारें ला परवाह रही। राज्य स्थापना को एक दशक बीतने को है लेकिन राज्य सरकार ने रायपुर में खंडपीठ के लिये कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया जबकि अपनी सुविधाओं का विस्तार करने के लिये नई राजधानी और नये भवन सब आधुनिक ढंग से तैयार किये गये। आम आदमी के हित को मद्दे नजर रखते हुए अगर रायपुर मे खंडपीठ का प्रस्ताव भेज दिया जाता तो शायद अब तक यहां खंडपीठ की स्थापना हो जाती। राज्य

ऊची दुकान फीके पकवान!

रायपुर दिनांक 4 अक्टूबर 2010 ऊँची दुकान फीके पक वान! कभी बच्चो को परोसे जाने वाला मध्यान्ह भोजन तो कभी होटल, रेस्टोरेंट से खरीदी गई खाने की सामग्री तो कभी किसी समारोह में वितरित होने वाले भोजन के जहरीले होने और उसको खाने से लोगों के बीमार पडऩे की बात आम हो गई हैं। अभी बीते सप्ताह शनिवार को नई राजधानी में सड़क निर्माण कंपनी के मेस का खाना खाकर कई मजदूर बीमार हो गये। कइयों की हालत गंभीर थी। मेस को हैदराबाद की बीएससीपीएल इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी चला रही थी। सबसे पहला सवाल यह उठता है कि जब कोई कंपनी या समारोह में इतने व्यक्तियों का खाना एक साथ पकता है उसे लोगों में बांटने के पहले जांच क्यों नहीं होती? खाना बनाने से पहले यह क्यों नहीं देखा जाता कि जहां खाना बनाया जा रहा है वहां का वातावरण पूर्ण साफ सुथरा है या नहीं। स्कूलों में बच्चों को वितरित होने वाले मध्यान्ह भोजन में भी कुछ इसी तरह का होता आ रहा है। बच्चो को जो खाना बनाने के लिये कच्चा माल पहुँचता है उसका उपयोग करने से पहले उसकी सही जांच पड़ताल नहीं होती फलत: उसमें कीड़े मकोड़े व अन्य जीव जन्तु भी मिल जाते हैं। अक्सर समारोह व शादी

भाजपा को भटगांव जीतना था कांग्रेस अब तो सबक सीखों!

रायपुर, 4 अक्टूबर 2010 भाजपा को भटगांव जीतना था कांग्रेस अब तो सबक सीखों! राज आस्था और सहानुभूति के तराजू पर तुली भटगांव की जनता ने अंतत: सहानुभूति लहर में बहना ही बेहतर समझा। भाजपा की प्रत्याशी रजनी त्रिपाठी कांग्रेस के यूएस सिंह देव को करीब पैंतीस हजार मतों से पराजित कर विजयी हुईं। भाजपा की यहां से जीत के कई कारण हैं। पहली बात तो रजनी त्रिपाठी को यहां के पूर्व लोकप्रिय विधायक और उनके पति की सामयिक मृत्यु से पूर्ण सहानुभूति मिली। जबकि भटगाव की जनता इतनी समझदार हो गई कि उसने ऐसे समय में भाजपा का साथ देना ही बेहतर समझा जब प्रदेश में वह सत्तारुढ़ पार्टी की भूमिका अदा कर रही है। आम वोटरों में अब इतनी समझ तो आ ही गई है कि कब किन परिस्थितियों में किसका साथ दिया जायें। भटगांव ने अच्छी तरह से समझ- बूझकर व नाप- तौलकर ही राज परिवार पर आस्था प्रकट करने की जगह भाजपा को जिता ने का निर्णय लिया। भाजपा भले ही यह समझे कि उसके विकास कार्यो या अन्य के कारण उसकी जीत हुई है, तो उसमें उतना ज्यादा दम नहीं लगता। चूंकि सत्तारुढ़ पार्टी की यहां जीत होनी ही थी। उसकी पूरी सेना ने यहां डेरा डाला और अपने प्रत्याशी

जो जीता वही सिकदंर!

रायपुर दिनांक 2 अक्टूबर जो जीता वही सिकंदर! चार पुलिस कर्मियों को नक्सलियों ने कम से कम बारह दिन तक अपने कब्ज़े में रखने के बाद रिहा तो कर दिया किंतु इस रिहाई ने कई प्रश्न खड़े कर दिये। झारखंड व छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की कार्रवाई लगभग एक जैसी थी। वहां अपहरण कर बंधक बना ये गये एक पुलिस कर्मी को नक्सलियों ने सरकार द्वारा मांग पूरी नहीं करने के कारण मार दिया तथा बाकी को छोड़ दिया। जबकि छत्तीसगढ़ में बंधक बना ये गये सभी चारों बंधकों को रिहा कर दिया। बंधक बनाये गये जवानों में अपने घर लौटने पर जहां खुशी थी वहीं नक्सलियों का खौंफ भी था। नक्सलियों के चंगुल से मुक्त होने के बाद पुलिस कर्मियों ने नक्सलियों द्वारा किसी प्रकार के दुर्व्यवहार की शिकायत नहीं की। जबकि उनकी इन बातों से ख़ौफ़ झलकता है कि वे परिवार के दबाव में आकर अब नौकरी छोड़ भी सकते हैं। शायद यह नक्सलियों की रणनीति का एक हिस्सा है, जो सरकार को डराने के लिये किया जा रहा है कि- आपकी पुलिस हमारे सामने नतमस्तक है। पुलिस कर्मियों की रिहाई परिवारजनों व गांव के लोगों की सहानुभूति अर्जित करने का एक प्रयास हो सकता है। नक्सली सरकार के ग्रीन ह

एशिया की धरती पर कामनवेल्थ गैम्स

रायपुर दिनांक 3 अक्टूबी 2010 एशिया की धरती पर कामनवेल्थ गैम्स, भारत की आर्थिक ताकत मजबूत हुई! रविवार से कामनवेल्थ गैम्स शुरू हो रहे हैं। यह आयोजन दिल्ली में हो या कनाडा के हेमिल्टन में, इस मुकाबले में दिल्ली की विजय हुई थी ऐसा लगता है कि दिल्ली में कामनवेल्थ गैम्स खूब विवादों में रहने के बावजूद भाग्यशाली रहा कि उसका आयोजन समय पर हो रहा है। कामनवेल्थ तैयारियों के दौरान आयोजकों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे तो हाल ही करोड़ों रूपये में बना फुट ब्रिज भी टूट कर गिर गया, जिसे सेना की मदद से बनाना पड़ा। खेलगांव में सफाई व्यवस्था और अन्य अनेक मुद्दे सदैव चर्चा के विषय रहे। आतंक के साये में आयोजित होने वाले इस खेल पर पहले प्रश्न चिन्ह जामा मस्जिद के पास आतंकवादियों द्वारा अंधाधुन्ध फ़ायरिंग से लगा। तभी अयोध्या पर फैसले से तो विश्व यही समझ बैठा कि शायद अब कामनवेल्थ गैम्स टल जायेगा। अयोध्या फैसले पर सारा देश शांत रहा तो एक और खबर कामनवेल्थ गैम्स से आई कि चीफ मेडिकल आफीसर बीमार पड़ गये हैं। चीफ मेडिकल ऑफिसर को टाइफाइड हो गया है। दूसरे मेडिकल आफिसर को लगाकर यह मसला हल कर लिया गया। टाइफाइड खाने- प