ठगी आनलाइन


अदृश्य लूट मेहनत कशों की जेब पर!


ऑनलाइन शॉपिंग में 40% छूट का झांसा देकर बैंक मैनेजर से पौने दो लाख की ठगीइस खबर को पडने के बाद ऐसे कई लोगों के सीने में दर्द उठा होगा जो इस तरह की घटनाओं का शिकार हुए. मेहनत की कमाई को इस तरह से लूटने वालों का क्‍या किया जाये ? विश्‍व की प्राय: सभी सरकारों के पास इस मामले में कानून है जो इस तरह की घटनाओं के पकड में आने के बाद ऐसे अपराधियो का अच्‍छा खासा इलाज करते हैं: आनलाइन शापिगं के बाद से कई प्रकार के छल कपट से पैसा हजम करने का एक प्रचलन चल पडा है जो इस समय अपने पूरे सबाब पर है. मेरे एक मित्र ने वर्षो पूर्व एक वेबसाइट में खूबसूरत चश्‍मे का विज्ञापन देखकर उसे खरीदने के लिये आनलाइन पैसा जमा किया, उसे न चश्‍मा मिला और न दोबारा कहीं वह वेबसाइट दिखाई दिया उस एक विज्ञापन से फ्राड कंपनी को मेरे मित्र जैसे कितने लोगो से फायदा हुआ होगाइसकी कल्‍पना की जा सकती है: एक अन्‍य मामला भी कुछ इसी तरह का है: कथित रूप से मोबाइल के पार्ट बेचने वाली कंपनी का एक वेबसाइट है मैक्‍सबी इसने एक एप भी बनाया है यहां बडे तरीके से काम होता है: ग्राहक को बडे प्‍यार से झासे में फंसाया जाता है: एक ग्राहक ने 389 रूपये मूल्‍य के एक पार्ट का आर्डर दिया, पैसा उसके एकाउंट से काट लिया जाता है दूसरी बार मेल पर संदेश आता है आपने जिस वस्‍तु का आर्डर किया है वह हमारे पास नहीं है हम उसे केंसल कर रहे है आपका पैसा हमारे वालेट में जमा है आप उसे हमारे ऐप में जाकर निकाल सकते है या उसको आप अपने एकाउंट में ट्रांसफर कर सकते हैं: उसके लिये तीन तरीके भी बताये गये है जिन तरीकों को बताया गया है उस तरीके से न कोई उपभोक्‍ता वालेट से पैसे निकाल सकता है और न ही कोई कम्‍पयूटर एक्‍सपर्ट !

 याने वह पैसा उस वालेट से सिर्फ कंपनी ही निकाल सकती है: दिलचस्‍प बात यह है कि अगर उसकी जगह दूसरा कोई सामान खरीदने को कहा जाता है तो उस सामान के लिये भी पैसा जमा वालेट के पैसे के साथ जोडकर जमा करा लिया जाता है अर्थात 389 के साथ साठ रूपये और::: फि‍र एक बार खबर आती है कि आपका आर्डर केसिंल. वालेट में उपभोक्‍ता का 449 रूपये जमा. यह पैसा जमा ही रहता है याने ऐसे कंपनी वाले बिना कोई माल की पूर्ती किये लोगो का पैसा लूटते हैं: छत्‍तीसगढ के रायपुर में ऑनलाइन शॉपिंग साइट में खरीदारी करने पर 40 प्रतिशत छूट का झांसा देकर एक बैंक मैनेजर से 1.66 लाख की ऑनलाइन ठगी कर ली गई. ठग ने लुभावने ऑफर बताएफिर खरीदी के पहले ही एडवांस में पैसा जमा करा लिया, उसके बाद खाते से पैसा निकाल लिया गया। मैनेजर के अलावा उनकी पत्नी के खाते से भी पैसा निकाला गया है। श्यामनगर रायपुर के रहने वाले शकील अहमद एक बैंक में मैनेजर हैं :उनके पास तारीख को ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी से कॉल आया, उन्हें झांसा दिया गया कि त्योहार में कंपनी इलेक्ट्रानिक सामान की खरीदी पर 40 प्रतिशत की छूट दे रही है दस हजार की खरीदी करने पर हजार की छूट मिलेगी, मैनेजर ठग के झांसे में आ गए: उन्हें एडवांस में पैसा जमा करने को कहा गया.दोनों ऑनलाइन हजार और 11 हजार रुपए जमा कर दिए. उन्हें जब ठगी की आशंका हुई तब उन्होंने इंटरनेट पर कंपनी का कस्टमर केयर नंबर ढूंढा और उसमें कॉल किया. मैनेजर ने अपनी शिकायत दर्ज कराई: ठग ने कहा कि उनका पूरा पैसा उनके खाते में वापस कर दिया जाएगा: उनसे खाता नंबर लिया गया उसके बाद करीब बार में खाते से पौने दो लाख रुपए निकाल लिए गए. मैनेजर के मोबाइल पर ट्रांजेक्शन का मैसेज आया तो दोबारा ठगी होने का पता चला। जिस गति से तकनीक ने उन्नति की हैउसी गति से मनुष्य की इंटरनेट पर निर्भरता भी बढ़ी है. एक ही जगह पर बैठकरइंटरनेट के जरिये मनुष्य की पहुँचविश्व के हर कोने तक आसान हुई है.आज के समय में हर वो चीज़ जिसके विषय में इंसान सोच सकता हैउस तक उसकी पहुँच इंटरनेट के माध्यम से हो सकती हैजैसे कि सोशल नेटवर्किंगऑनलाइन शॉपिंगडेटा स्टोर करनागेमिंगऑनलाइन स्टडीऑनलाइन जॉब इत्यादि.आज के समय में इंटरनेट का उपयोग लगभग हर क्षेत्र में किया जाता है. इसके साथ ही साइबर अपराधों की अवधारणा भी विकसित हुई है:साइबर अपराध विभिन्न रूपों में किए जाते हैं: कुछ साल पहलेइंटरनेट के माध्यम से होने वाले अपराधों के बारे में जागरूकता का अभाव था. साइबर अपराधों के मामलों में भारत भी उन देशों से पीछे नहीं है
 अदृश्य लूट मेहनत कशों की जेब पर!
जहां साइबर अपराधों की घटनाओं की दर भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. साइबर अपराध के मामलों में एक साइबर क्रिमिनलकिसी उपकरण का उपयोगउपयोगकर्ता की व्यक्तिगत जानकारीगोपनीय व्यावसायिक जानकारीसरकारी जानकारी या किसी डिवाइस को अक्षम करने के लिए कर सकता है. साइबर अपराधजिसे 'इलेक्ट्रॉनिक अपराधके रूप में भी जाना जाता हैएक ऐसा अपराध है जिसमें किसी भी अपराध को करने के लिएकंप्यूटरनेटवर्क डिवाइस या नेटवर्क का उपयोगएक वस्तु या उपकरण के रूप में किया जाता है. जहाँ इनके (कंप्यूटरनेटवर्क डिवाइस या नेटवर्क) जरिये ऐसे अपराधों को अंजाम दिया जाता है वहीँ इन्हें लक्ष्य बनाते हुए इनके विरुद्ध अपराध भी किया जाता है। सॉफ्टवेयर चोरी भी साइबर अपराध का ही एक रूप हैजिसमें यह जरूरी नहीं है कि साइबर अपराधीऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से ही अपराध करें. भारत में सूचना प्रौद्योगिकी कानून (आईटी कानून) 2000, आईटी (संशोधन) अधिनियम 2008 द्वारा संशोधित साइबर कानून के रूप में जाना जाता है। इस कानून में "अपराध" के रूप में एक अलग अध्याय मौजूद है. हालांकि इसमें कई कमियां भी हैं और यह साइबर युद्ध की निगरानी के लिए एक बहुत प्रभावी कानून नहीं है
 अदृश्य लूट मेहनत कशों की जेब पर!
गौरतलब है कि जब सरकार के खिलाफ एक साइबर अपराध किया जाता हैतो इसे उस राष्ट्र की संप्रभुता पर हमला और युद्ध की कार्रवाई माना जाता है. ये अपराधी आमतौर पर आतंकवादी या अन्य देशों की दुश्मन सरकारें होती हैं. अधिकांश इंटरनेट उपयोगकर्ता इस तथ्य पर ध्यान नहीं देते हैं कि उनकी जानकारी को हैक किया जा सकता है और ऐसे लोग शायद ही कभी अपने पासवर्ड को बदलते/दस्तावेज की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं वे सतर्क होकर इन्टरनेट का उपयोग करने के विषय में जागरूकता नहीं रखते हैं और अपनी जानकारी पर साइबर हमले को लेकर सचेत नहीं रहते हैं और इसी के चलते तमाम लोगअनजाने में साइबर अपराध की चपेट में आ जाते हैं:कोविड 19 महामारी के इस दौर में साइबर अपराध में तेजी से बढ़ोतरी हुई है:साइबर अपराधी अस्पतालों और स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर हमला कर जरूरी जानकारी चुरा रहे हैं और कोविड-19 के खिलाफ उनके काम में बाधा पैदा कर रहे हैं.इस साल की पहली तिमाही में साइबर अपराध के मामलों में तेज उछाल आया है और साइबर अपराधियों द्वारा फर्जी ईमेल भेजकर निजी जानकारी चुराने या फिशिंग में 350 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. कई मामलों में साइबर अपराधी अस्पतालोंस्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को निशाना बनाकर उनके कोविड-19 के खिलाफ काम में बाधा पैदा कर रहे हैं.


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