गरीब और असहाय लोगो की डोर किसके हाथ में?


 गरीब और असहाय लोगो की डोर किसके हाथ में?

यूपी के हाथरस रेप कांड ने पिछले दो चार दिनो में देश के आम लोगो को अपने बोर में सोचने व समझने का मौका दिया कि वे‍ किस तरह कतिपय लोगों की कठपुती बने समाज में जी रहे हैं: यह भी लगभग साफ हो गया कि उनके ऊपर किन लोगों की मर्जी चलती है: मीडिया को भी यह समझने का मौका मिला कि उनकी डगर भी उतनी आसान नहीं है जितनी वे समझते हैं: ऐसा शायद पहली बार हुआ जब किसी संगीन मामले में एक पीडित परिवार को कई दिनो तक किसी से मिलने नहीं दिया गया: जनता सरकार बनाती है और उसको चलाने का काम आम तौर पर अगर कोई करता है तो वह है नौकरशाह इनका दबदबा न को हां और झूठ को सच में बदलने की ताकत रखता है: यह सरकार को चलाने वालों को गुमराह करने से भी नहीं चूकते:उत्‍तर प्रदेश में एक दलित युवती रेपिस्‍टों का शिकार हो गई उसकी मौत के बाद उसे नियमविरूद्व और धार्मिक रीति रिवाजो के विपरीत जाकर आधी रात के दौरान आनन फानन में जला दिया गया: परिवार के किसी सदस्‍य को पास तक फटकने नहीं दिया गया: सारा मामला चोर उलटा कोतवाल को डाटे की तरह व्‍यवस्‍था ने इस पूरे कांड को इतने बडे कांड में बदल दिया कि कोई समझ ही नहीं पा रहा है कि आखिर ऐसा क्‍या हो गया कि पीडिता के पोस्‍ट मार्टम के बाद तत्‍काल उसे अग्नि देने का काम स्‍वयं प्रशासन ने उठाया और परिवार को पीडिता का चेहरा तक नहीं देखने दिया गया: हाथरस के अधिकारी किसके इशारे पर इतना बीडा उठा रहे थे यह भी अपने आप में पूरे मामले में छिपे तथ्‍यो को छिपाये जाने का संकेत देता है: मीडिया और विपक्ष के नेताओं को मिलने न देना इस बात का संकेत देता है कि किसी के इशारे पर किसी को बचाने के लिये यह सब किया जा रहा था: असल में उत्तर प्रदेश के हाथरस में युवती के साथ गैंगरेप और हत्या मामले में पुलिस की कार्यशैली पर खूब सवाल उठ रहे हैं शनिवार को दो दिन बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी व प्रियंका गांधी व मीडिया को पीड़िता के गांव में जाने तथा परिवार से मिलने  की अनुमति मिली:इस दौरान पीड़िता के परिवार ने पुलिस और प्रशासन के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली :उन्होंने बताया कि बीते दो दिनों से उन्हें उनके घर से बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा था: प्रशासनिक अधिकारी उनके घर पर आते थे और उनका फोन चेक करते थे: पीड़िता के भाई ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम जानना चाहते हैं कि उस दिन किसकी बॉडी जलाई गई थी और अगर वह हमारी बहन का शव था तो उन्होंने उसे इस तरीके से क्यों जलायाहम लोगों ने उसे (पीड़िता को) आखिरी बार देखने की प्रशासन से मांग की थी: पीड़िता के भाई ने पुलिस के रवैये के बारे में जो कुछ भी बताया उससे कई सारे सवाल खड़े होते हैं पीड़िता के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की मांग की तो पुलिस ने कहा कि तुम्हें इंग्लिश नहीं आती इसलिए तुम नहीं समझ पाओगे: नौकरशाहो की आम जनता के प्रति किस तरह की सोच है यह इस सवाल जवाब से ही पता चल जाता है: पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि एसआईटी जांच के दौरान भी टीम पीड़िता के घर पर नहीं आई और उसके परिजन से भी कोई पूछताछ नहीं की गई फिर यह कहकर गुमराह क्‍यों किया गया कि एसआईेटी जांच चल रही है इसलिये आप लोग परिवार से नहीं मिल सकते: परिवार ने शिकायत की कि बीते दो दिनों से उन्हें उनके घर से बाहर जाने की अनुमति नहीं थी: इतना ही नहींउनके घर पर लगातार पुलिस वालों की उपस्थिति रहती थी: पीड़िता के भाई के अनुसार हमने पुलिस वालों से आग्रह किया कि वे हमें अकेला छोड़ दें: वे लोग हर समय घर पर ही रहते थे। हम अभी भी डरे हुए हैं: पुलिस का व्‍यवहार अपराधियों के साथ जो होना चाहिये था वह इस परिवार के साथ हुआ :प्रशासनिक अधिकारी उनके घर पर आते थे और सबके फोन मांगते थे: बीते दो दिनों में परिवार का बाहरी दुनिया से यह पहला कनेक्शन था उन्हें फोन पर भी किसी से बात करने की इजाजत नहीं दी गई थी: शनिवार को परिवार ने अंतिम संस्कार स्थल से पीड़िता की अस्थियां जुटाईं:हाथरस कांड को लेकर सियासत उफान पर है वहीं इसी बीच उत्तर प्रदेश के डीजीपी और अपर मुख्य सचिव शनिवार हाथरस पहुंचे यूपी सरकार के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी कह गये कि सरकरा द्वारा गठित की गई एसआईटी की पहली रिपोर्ट सरकार को कल प्राप्त हुईजिसके बाद ही सीएम योगी द्वारा तत्कालीन एसपी और सीओ समेत पांच पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गई है:दाह संस्कार की बात पर अविनाश अवस्थी बचते हुए नजर आए: इस पूरे मामले में जो कुछ भी हुआ यह तो साबित हो गया कि गरीब और असहाय लोगो को अपने अधिकार के लिये संघर्ष करना और न्‍याय प्राप्‍त करना कितना कठिन है:

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