स्कूलों में बच्चो को शैक्षणिक ज्ञान के अलावा कराटे,मार्शल आर्ट जैसी तकनीक भी सिखाई जाये
अगर हममेें हिम्मत है तो किसी भी कठिन स्थिति का सामना कर सकते हैं और यदि कुछ दाव पेच सीखा है तो यह ताकत हमारी रक्षा के लिये काफी हो जाती है. अब ब्राजील की उस साधारण सी दिखने वाली महिला को ही बात को ले - लुटेरे ने उसका आंकलन सही किया होता तो वह उससे जूझते ही नहीं. मोबाइल लूटने के चक्कर में लुटेरा ऐसा फंसा कि उसे उसके नाना, नानी, पापा मम्मी से लेकर भगवान तक सब याद आ गये. लड़की ने ऐसा दाव मारा कि लुटेरा ट्राइगं चोक फंदे में फंस गया.असल में यह लड़की मार्शल आर्ट में ब्लू बेल्ट है और उसने इस लुटेरे को अपने शिकंजे में कसने के लिये उसी विदा का प्रयोग किया. करीब बीस मिनिट तक उसे उसी दाव में कसे रखा जब तक कि पुलिस नहीं पहुंच गई. इस वाक्ये का उल्लेख हम यहां इसलिये कर रहे हैं चूकि इस ढंग की घटनाएं भारत में आम है यहां लुटेरे सड़कों पर महिलाओं को छेडऩे, लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ते. अगर देश की शिक्षा में रोज कम से कम एक पीरियेड ऐसी विदाओं जिसमें मार्शल आर्ट,कराते आदि सिखाने के लिये तय किया जाये तो देश की आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा अपनी सुरक्षा स्वंय करने के काबिल हो जायेगा. वैसे भी हर व्यक्ति को इतना तो काबिल होना ही चाहिये कि वह किसी भी आपात स्थिति का मुकबाला स्वंय कर सके.हम यह सुझाव देकर अपने देश के युवक-युवतियों को कमजोर नहीं बता रहे, यहां भी ऐसे कई उदाहरण है जिसमें युवक युवतियों ने कई ऐसे साहसपूर्ण कारनामे किये हैं जिसके चलते अपना व अपने परिवार का बचाव किया है लेकिन यह कुछ लोगो तक सीमित है इसका फैलाव हर स्तर पर होना चाहिये जिसके चलते किसी भी आक्रमण का त्वरित निपटारा युवक युवतियां कर कर सके. यह अलग बात है कि कोई एकदम असहाय हो जाये तथा कुछ कर ही नहीं पाये जैसा दिल्ली में राष्टपति का पुरस्कार प्राप्त करने समता एक्सप्रेस से रवाना हुई सेन्ट्रल स्क्ूल की प्राचार्या के साथ हुआ जिन्हे ट्रेन में कुछ नशीला पदार्थ देकर बेहोश कर लूट लिया गया. चोर लुटेरे किसी को नहीं छोड़ते वो भगवान के मंदिर में भी घुस जाते हैं और लोगों के घरों में भी यहां तक कि सजा देने वाले जज को भी नहीं छोड़ते.एक मामला अहमदाबाद के मेट्रोपोलिटिन जज का है जिनके पास से मोबाइल चोर उड़ा ले गये. हम देश में अनुशासन के नाम पर एनसीसी स्काउट जैसी शिक्षा को अपने जीवन में शामिल कर चुके हैं लेकिन अपनी आत्मरक्षा के लिये जो भी बच्चों में बांट रहे हैं वह हर दृष्टि से कम है इसपर सरकारों को संज्ञान लेना चाहिये. प्राय: सभी शालाओं में एनसीसी के साथ साथ योग,कराटे, मार्शल आर्र्ट जैसी कलाओं को भी बच्चों के शिक्षा में शामिल करना चाहिये ताकि मानसिक शिक्षा के साथ बच्चों को शारीरिक तकनीक की शिक्षा भी मिल सकें.
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें