दूरंतों का फायदा रायपुर को क्यों नहीं?सामने दिख रही फिर भी कई प्राथमिकताएं नजर अंदाज !




एक अच्छी खबर यह है कि दूरंतों ट्रेन बिलासपुर से सवारी भरना शुरू करेगी लेकिन बुरी खबर यह कि इसका स्टापेज रायपुर सहित छत्तीसगढ़ के किसी दूसरे शहर में नहीं होगा. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर होने के बावजूद जब भी कोई बड़ी सुविधा देेने की बात आती है तो इस बड़े शहर की उपेक्षा ही होती है. रायपुर में इंटरनेशनल हवाई अड्डा है यहां बंगलादेश का भटका हवाई जहाज सही सलामत उतरकर यह बता चुका है कि यहां कोई भी विमान उतर सकता है या उड़ान भर सकता है. देश के बड़े बड़े शहरों की राजधानियों से जोडऩे वाले विमान यहां से उड़ान भर रहे हैं तथा भविष्य में यहां से और ज्यादा यात्री विमानों व मालवाहक विमानों के उड़ान भरने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता जबकि टे्रेन सेवा के मामले में शुरू से रायपुर उपेक्षित रहा है.बाहर से आकर देश की राजधानियों को जोडऩे वाली कई ट्रेने रूकती व गुजरती जरूर हैं किन्तु बाहर से आकर रायपुर रुककर या यहां से रवाना होने वाली कोई ट्रेन नहीं चलती.कोई दुर्ग से जाती है तो कोई रायगढ़, कोरबा या बिलासपुर से शुरू होकर या खत्म होकर फिर अपने गंतव्यों की ओर रवाना होती है.अब यह मामला ट्रेन का हो या प्लेन का अथवा सड़क का सरकार और उसके योजनाकार किसी भी जनहितकारी योजना को बनाने में प्राथमिकताओं की तिलांजंली देकर आगे बढ़ते हैं इससे लोगों की मुसीबतें और बढ़ जाती है उदाहरण के लिये राजधानी के कुछ हिस्सों की सड़कों का ही मामला लें जहां सड़कों का तुरन्त विस्तार जरूरी है ताकि ट्रेफिक की समस्या का हल तत्काल हो सके .तेलघानी नाका स्टेशन रोड फाफाडीह की सड़के इतनी चौड़ी हो चुकी है
कि वे ट्रेफिक के बोझ को झेल सके उसका विस्तार आगे भी किया जा सकता है लेकिन योजनाकार इसके तत्काल और विस्तार की योजना बना रहे हंै जबकि जीई रोड जहां शहर के चारों तरफ से ट्रेफिक का दबाव है उसपर उसका कोई ध्यान नहीं है शाम के वक्त तात्यापारा से शारदा चौक तक निकलने में आम आदमी की बात छोडिय़े मंत्री-संत्री नौकरशाह सभी को तकलीफ होती है जनता की तकलीफों पर जिद या पैसा हावी है। योजनाकारों को राजनांदगांव से सीख लेना चाहिये जहां जीई रोड को शहर से मुक्त कर अलग फलाई ओवर निकालकर सारी ट्रेफिक समस्या ही दूर कर दी. जनता को चाहिये सुगम ट्रेफिक उसके लिये चाहे सरकार फलाई ओवर बनाये या सड़के चौड़ी करें इसके लिये उसे जो करना है वह प्राथमिकता से करें यह रवैया होना चाहिये. मुआवजे, कचहरी से ज्यादा अच्छा समझौते का रास्ता अख्तियार करें. फलाई ओवर के लिये चंद बड़ी बिल्डिंगे आड़े आ रही है तो उनकी ऊंचाई कम भी तो की जा सकती है. सरकार के योजनाकारों को सारी विकास योजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर तय करना चाहिये.कुछ योजनाएं या तो रूकी पड़ी है या फिर बनने के बाद भी फीता कटवाने के चक्कर में रूकी पड़ी है।

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