यह चिंतनीय है कि कुछ घटनाएं सामाजिक मान्यताओं को तोड़ रही!
सामाजिक जीवन में कुछ घटनाएं ऐसी होती है जो हमें गंभीर रूप से न केवल प्रभावित करती हैं बल्कि सोचने के लिये भी मजबूर कर देती है कि क्या वास्तव में ऐसा भी होता है? अगर कोई पुरूष शराब पीकर हंगामा करे तो हमें उतना आश्चर्यजनक नहीं लगता जितना अगर कोई महिला शराब पीने के बाद हंगामा करे गालियां बके लेकिन कुछ अर्से से ऐसा ही हो रहा है और इधर छत्तीसगढ़ के साथ उदित उस झारखंड की तरफ जरा गौर कीजिये वहां तो लोग अति करने लगे हैं जहां अपनी बेवकूफी का डंका बजा रहे हैं तो वहीं ऐसा कृत्य भी कर रहे हैं जो मानवता को झकजोर कर रख रही है. कानून को अपने हाथ में लेकर उन्होनें एक बाइक सवार को पीट-पीटकर न केवल उसका कचूमर निकाल दिया बल्कि गुस्से की हद पार कर उसकी आंख भी निकाल ली यह वह राज्य हैं जहां के एक मंत्री व प्राचार्य नेे जीते जी दो बड़े नेताओं को जहां श्रद्वाजंलि अर्पित की बल्कि स्कूल की छुट्टी भी करा दी. बहरहाल कुछ ताजा जीवंत घटनाएं भी हैं जो समाज का वास्तविक आइना दिखाता है- उस घटना का यहां हम जिक्र कर रहे हैं जो उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में घटित हुई. एक तेरह साल की मासूम के साथ एक पैसे वाले के नाबालिग बेटे ने रेप कर उसे मां बना दिया और वह आज उसके बच्चे को पेट में लेकर किसी अस्पताल में जीवन और मौत से संघर्ष कर रही है. कुछ घटनाएं ऐसी भी घटित होती है जो अपराधी को सबक सिखाती है लेकिन हमें यह भी बता जाती है कि हमें भी इतना क्रूर नहीं होना चाहिये था. जैसे झारखंड में हुआ जहां गांववालों ने दो लुटेरों को पीट-पीट कर मार डाला तथा उनकी आंखें निकाल ली. दोनों पर आरोप था कि वे बाइक लूटने आए थे. इस दौरान उन्होंने गोली भी चलाई, गोली एक क्रेन ऑपरेटर को
लगी, जिसकी अस्पताल में मौत हो गई यह घटना रविवार शाम राजधानी रांची से सटे हटिया के एक गांव में हुई. बहरहाल चोर लुटेरों,बदमाशों के साथ आम लोगों का गुस्सा आम है किन्तु जब लड़कियां शराब पीकर हंगामा करें तो इसका क्या किया जाय. देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई मेें जहां यह आम होता जा रहा है जहां अक्सर शराब के नशे में कभी सड़क पर हंगामा करती है तो कभी पुलिस स्टेशन में. पहले एक अभिनेत्री ने हंगामा किया तो सोमवार को एक अन्य महिला को पुलिस रात तीन बजे सड़क से उठाकर थाने लाई जहां भी उसने न केवल हंगामा किया बल्कि बोतल खोलकर सबके सामने शराब पी. सामाजिक मान्यताएं,परंपराएं सब एक के बाद एक खत्म होती जा रही है जो चिंताजनक है.
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