प्रदेश की आम जनता सुरक्षित नहीं, सुरक्षित है तो सिर्फ प्रदेश के मंत्री!
रायपुर दिनांक 21 दिसंबर 2010
प्रदेश की आम जनता सुरक्षित नहीं,
सुरक्षित है तो सिर्फ प्रदेश के मंत्री!
और अब बारी आई एक बुद्विजीवी की! प्रदेश में किस तेजी से कानून और व्यवस्था का भट्ठा बैठा है, इसका उदाहरण है बिलासपुर के युवा पत्रकार सुशील पाठक की हत्या। अपहरण, चेन स्नेचिगं, बलात्कार, चोरी डकैती, हत्या जैसी वारदातों से लबालब छत्तीसगढ में आम आदमी का जीवन कितना सुरक्षित है? यह अब बताने की जरूरत नहीं। सरगुजा में एक के बाद दो बच्चों की हत्या जहां रोंगटे खड़े कर देने वाली थी। वहीं बिलासपुर में युवा पत्रकार की गोली मारकर हत्या ने यह बता दिया है कि प्रदेश में जहां बच्चे, महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, वहीं कलमकार की जिंदगी भी अब अपराधियों के रहमोकरम पर है। राजधानी रायपुर और न्यायधानी बिलासपुर छत्तीसगढ़ के दो बड़े शहर हैं। इन दो बड़े नगरों में राज्य बनने के बाद से जिस तेजी से अपराध बढ़ा है, उसकी देन हम किसे माने? केन्द्रीय गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने जब दिल्ली में बढ़ते अपराधों के बारे में यह टिप्पणी की कि- वहां बाहरी लोगों के कारण अपराध बढ़ रहा है, तो लोग उनपर पिल पड़े। यहां तक कि उन्हें अपने शब्द वापस लेने पड़े। छत्तीसगढ़ में बढ़ते अपराधों के परिप्रेक्ष्य में भी क्या चिदम्बरम का बयान लागू नहीं होता? सरगुजा में स्कूली बालक ऋतेश का अपहरण कर उसकी हत्या में बाहरी लोगों का हाथ साफ है। राज्य में अब तक जितनी बैंक डकैतियां हुई हैं, उसमें भी पुलिस की शंका बाहरी गिरोह की ही बताई जाती रही है। कुछ जो संदेही पकड़े गये हैं, वे भी बाहरी हैं। रायपुर के टाटीबंद में महिलाओं के गले से चेन स्नेचिंग का जो आरोपी पकड़ा गया वह भी महाराष्ट्र से है। इस आरोपी ने कई कांड किये हैं। एक कांड संभवत: रंजीता सलूजा के गले से चेन खींचने के पहले उसने सर्वोदय कालोनी हीरापुर में राह चलती एक महिला के गले से चेन खींचने का प्रयास किया, किंतु वह मकसद में कामयाब नहीं हो सका। इस आरोपी के जिस एक साथी की तलाश है, वह भी मध्यप्रदेश का है। वारदातों की एक लम्बी फेहरिस्त है। ऐसा लगता है कि अपराधियों के आगे पुलिस की संपूर्ण व्यवस्था फेल हो चुकी है। अभी कुछ ही दिन पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह मीडिया और राजनीतिक मोर्चे की किरकिरी से तंग आकर अचानक पुलिस मुख्यालय पहुंचे थे तथा वहां उन्होंने डेढ़ घंटे तक पुलिस को खरी- खोटी सुनाई थी। इसके बाद एक दिन खूब पुलिसियां सक्रियता दिखी। फिर वही ढाक के तीन पात। दूसरी ओर प्रदेश के गृह मंत्री अपनी पुलिस के मामले में एक तरह से असहाय हैं। विधान सभा में भी उन्होंने बयान दे डाला है कि- हमारे थानेदार रिश्वतखोर हैं। हाल की बड़ी घटनाओं पर एक नजर डालें तो बैंक डकैती, हत्या, टीनएज के बच्चे या बच्चियों का अपहरण है। अनेक मामलों में बच्चों को तब अगवा कर लिया गया, जब वे स्कूल से लौट रहे थे। न्यायधानी बिलासपुर में हुई ताजी घटना ने संपूर्ण व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है। आज की स्थिति में न कोई व्यक्तिगत रूप से सुरक्षित है, और न ही उनकी संपत्ति सुरक्षित है। विशेषकर महिलाएं और बच्चे- अगर कोई प्रदेश में सुरक्षित है तो प्रदेश के नेता और मंत्री जिनके आगे पीछे सदैव पुलिस लगी रहती है।
े.
प्रदेश की आम जनता सुरक्षित नहीं,
सुरक्षित है तो सिर्फ प्रदेश के मंत्री!
और अब बारी आई एक बुद्विजीवी की! प्रदेश में किस तेजी से कानून और व्यवस्था का भट्ठा बैठा है, इसका उदाहरण है बिलासपुर के युवा पत्रकार सुशील पाठक की हत्या। अपहरण, चेन स्नेचिगं, बलात्कार, चोरी डकैती, हत्या जैसी वारदातों से लबालब छत्तीसगढ में आम आदमी का जीवन कितना सुरक्षित है? यह अब बताने की जरूरत नहीं। सरगुजा में एक के बाद दो बच्चों की हत्या जहां रोंगटे खड़े कर देने वाली थी। वहीं बिलासपुर में युवा पत्रकार की गोली मारकर हत्या ने यह बता दिया है कि प्रदेश में जहां बच्चे, महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, वहीं कलमकार की जिंदगी भी अब अपराधियों के रहमोकरम पर है। राजधानी रायपुर और न्यायधानी बिलासपुर छत्तीसगढ़ के दो बड़े शहर हैं। इन दो बड़े नगरों में राज्य बनने के बाद से जिस तेजी से अपराध बढ़ा है, उसकी देन हम किसे माने? केन्द्रीय गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने जब दिल्ली में बढ़ते अपराधों के बारे में यह टिप्पणी की कि- वहां बाहरी लोगों के कारण अपराध बढ़ रहा है, तो लोग उनपर पिल पड़े। यहां तक कि उन्हें अपने शब्द वापस लेने पड़े। छत्तीसगढ़ में बढ़ते अपराधों के परिप्रेक्ष्य में भी क्या चिदम्बरम का बयान लागू नहीं होता? सरगुजा में स्कूली बालक ऋतेश का अपहरण कर उसकी हत्या में बाहरी लोगों का हाथ साफ है। राज्य में अब तक जितनी बैंक डकैतियां हुई हैं, उसमें भी पुलिस की शंका बाहरी गिरोह की ही बताई जाती रही है। कुछ जो संदेही पकड़े गये हैं, वे भी बाहरी हैं। रायपुर के टाटीबंद में महिलाओं के गले से चेन स्नेचिंग का जो आरोपी पकड़ा गया वह भी महाराष्ट्र से है। इस आरोपी ने कई कांड किये हैं। एक कांड संभवत: रंजीता सलूजा के गले से चेन खींचने के पहले उसने सर्वोदय कालोनी हीरापुर में राह चलती एक महिला के गले से चेन खींचने का प्रयास किया, किंतु वह मकसद में कामयाब नहीं हो सका। इस आरोपी के जिस एक साथी की तलाश है, वह भी मध्यप्रदेश का है। वारदातों की एक लम्बी फेहरिस्त है। ऐसा लगता है कि अपराधियों के आगे पुलिस की संपूर्ण व्यवस्था फेल हो चुकी है। अभी कुछ ही दिन पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह मीडिया और राजनीतिक मोर्चे की किरकिरी से तंग आकर अचानक पुलिस मुख्यालय पहुंचे थे तथा वहां उन्होंने डेढ़ घंटे तक पुलिस को खरी- खोटी सुनाई थी। इसके बाद एक दिन खूब पुलिसियां सक्रियता दिखी। फिर वही ढाक के तीन पात। दूसरी ओर प्रदेश के गृह मंत्री अपनी पुलिस के मामले में एक तरह से असहाय हैं। विधान सभा में भी उन्होंने बयान दे डाला है कि- हमारे थानेदार रिश्वतखोर हैं। हाल की बड़ी घटनाओं पर एक नजर डालें तो बैंक डकैती, हत्या, टीनएज के बच्चे या बच्चियों का अपहरण है। अनेक मामलों में बच्चों को तब अगवा कर लिया गया, जब वे स्कूल से लौट रहे थे। न्यायधानी बिलासपुर में हुई ताजी घटना ने संपूर्ण व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है। आज की स्थिति में न कोई व्यक्तिगत रूप से सुरक्षित है, और न ही उनकी संपत्ति सुरक्षित है। विशेषकर महिलाएं और बच्चे- अगर कोई प्रदेश में सुरक्षित है तो प्रदेश के नेता और मंत्री जिनके आगे पीछे सदैव पुलिस लगी रहती है।
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