क्यों देते हैं दिग्गी विवादास्पद बयान? दो साल क्यों चुप रहे?
रायपुर दिनांक 13 दिसंबर 2010
क्यों देते हैं दिग्गी विवादास्पद
बयान? दो साल क्यों चुप रहे?
यह हमारे पूर्व मुख्यमंत्री को क्या हो गया ? दिग्विजय सिंह आजकल कांग्रेस के महासचिव हैं- उन्होंने बयान दिया है कि मुम्बई 26-11 हमले में शहीद एटीएस चीफ की मौत के पीछे हिन्दू संगठनवादियों का हाथ है। दो साल तक इस घटना पर लगातार चुप्पी साधे रहने के बाद अचानक रहस्योद्घाटन कर चर्चा में आने वाले र्दििग्वजय सिंह के मुंह खोलते ही भाजपा नेता राजनाथ सिंह भड़क गये। उन्होंने भी यही सवाल किया कि दिग्विजय सिंह दो साल तक चुप क्यों थे और अचानक उन्हें यह बयान देने की क्या जरूरत पड़ी? राजनाथ सिंह से पूर्ण सहमत होते हुए हम यह कहना चाहते हैं कि दिग्विजय सिंह के कथन की सच्चाई जानने के लिये उनकी और एटीएस चीफ के बीच यदि कोई बातचीत हुई है, तो उसे सार्वजनिक करना चाहिये। ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाये। अगर करकरे ने उनसे ऐसी कोई आशंका जाहिर की तो एक बार नहीं कई बार टेलीफोन पर बातचीत हुई होगी। सवाल यहां यह भी उठता है कि एटीएस चीफ को अगर हिन्दू संगठनवादियों से खतरा था। तो यह बात उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को बताने की जगह दिग्विजय सिंह को क्यों बताई? यह बात एटीएस चीफ ने मुख्यमंत्री को भी जरूर बताई होगी । फिर मुख्यमंत्री ने अब तक ऐसा कोई खुलासा क्यों नहीं किया? और यह खुलासा दिग्विजय सिंह की तरफ से ही इतने दिनों बाद क्यों हुआ? दिग्विजय सिंह दूसरे दिन यह कहते हुए मुकर भी गये कि उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि करकरे की हत्या में हिन्दू संगठनवादियों का हाथ है- मैने यह कहा था कि हिन्दू संगठन करकरे को परेशान कर रहे थे। यह बात उसी समय बता दी जाती, तो मुम्बई पर हमले की जांच करने वालों को इससे काफी मदद मिलती। कांग्रेस स्वयं यह महसूस करती है कि उसके महासचिव का यह बयान बेतुका है। शायद उसने इसीलिये इस बयान से पल्ला झाड़ा और इसे उनका व्यक्तिगत बयान करार दिया। दिग्विजय सिंह इससे पूर्व भी अपने विवादास्पद बयानों के कारण चर्चा मेंं आ चुके हैं। इस ताजा बयान ने उन्हें कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। चूंकि स्वयं एटीएस चीफ करकरे की पत्नी कविता करकरे ने इस मामले में सज्ञान लेते हुए उनके बयान को कोरी बकवास करार दिया है तथा कहा है कि उनके पति की हत्या हिन्दू संगठनवादियों ने नहीं बल्कि आंतकवादियों ने की है। राजनीति के एक मंजे खिलाड़ी के रूप में जाने जाने वाले कांग्रेस के इस यौद्वा का यह बयान आम लोगों के नजीरिये से देखें तो यह पूर्णत: कपोल कल्पित औैर ऐसे समय पर दिया गया बयान लगता है जब संसद में भ्रष्टाचार को लेकर युद्व छिड़ा हुआ है। क्या दिग्विजय सिंह ने यह बयान स्पेक्ट्रम मुदृदे पर से देश का ध्यान हटाने के लिये दिया? कुछ भी कहें उनके इस बयान ने और राजनीतिक पार्टियों को भले ही जगाया न हो किंतु भाजपा को जरूर अपने विरूद्व बोलने का एक मौका दिया है। राजनीतिक हल्कों में चर्चा यह भी है कि दिग्विजय सिंह से यह बयान जानबूझकर दिलवाया गया। अगर इम मामले में थोड़ी भी सच्चाई होती तो दिग्विजय सिंह जैसेे राजनीतिज्ञ को इतने दिनों तक चुप रहने का कोई औचित्य नहीं था।
क्यों देते हैं दिग्गी विवादास्पद
बयान? दो साल क्यों चुप रहे?
यह हमारे पूर्व मुख्यमंत्री को क्या हो गया ? दिग्विजय सिंह आजकल कांग्रेस के महासचिव हैं- उन्होंने बयान दिया है कि मुम्बई 26-11 हमले में शहीद एटीएस चीफ की मौत के पीछे हिन्दू संगठनवादियों का हाथ है। दो साल तक इस घटना पर लगातार चुप्पी साधे रहने के बाद अचानक रहस्योद्घाटन कर चर्चा में आने वाले र्दििग्वजय सिंह के मुंह खोलते ही भाजपा नेता राजनाथ सिंह भड़क गये। उन्होंने भी यही सवाल किया कि दिग्विजय सिंह दो साल तक चुप क्यों थे और अचानक उन्हें यह बयान देने की क्या जरूरत पड़ी? राजनाथ सिंह से पूर्ण सहमत होते हुए हम यह कहना चाहते हैं कि दिग्विजय सिंह के कथन की सच्चाई जानने के लिये उनकी और एटीएस चीफ के बीच यदि कोई बातचीत हुई है, तो उसे सार्वजनिक करना चाहिये। ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाये। अगर करकरे ने उनसे ऐसी कोई आशंका जाहिर की तो एक बार नहीं कई बार टेलीफोन पर बातचीत हुई होगी। सवाल यहां यह भी उठता है कि एटीएस चीफ को अगर हिन्दू संगठनवादियों से खतरा था। तो यह बात उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को बताने की जगह दिग्विजय सिंह को क्यों बताई? यह बात एटीएस चीफ ने मुख्यमंत्री को भी जरूर बताई होगी । फिर मुख्यमंत्री ने अब तक ऐसा कोई खुलासा क्यों नहीं किया? और यह खुलासा दिग्विजय सिंह की तरफ से ही इतने दिनों बाद क्यों हुआ? दिग्विजय सिंह दूसरे दिन यह कहते हुए मुकर भी गये कि उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि करकरे की हत्या में हिन्दू संगठनवादियों का हाथ है- मैने यह कहा था कि हिन्दू संगठन करकरे को परेशान कर रहे थे। यह बात उसी समय बता दी जाती, तो मुम्बई पर हमले की जांच करने वालों को इससे काफी मदद मिलती। कांग्रेस स्वयं यह महसूस करती है कि उसके महासचिव का यह बयान बेतुका है। शायद उसने इसीलिये इस बयान से पल्ला झाड़ा और इसे उनका व्यक्तिगत बयान करार दिया। दिग्विजय सिंह इससे पूर्व भी अपने विवादास्पद बयानों के कारण चर्चा मेंं आ चुके हैं। इस ताजा बयान ने उन्हें कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। चूंकि स्वयं एटीएस चीफ करकरे की पत्नी कविता करकरे ने इस मामले में सज्ञान लेते हुए उनके बयान को कोरी बकवास करार दिया है तथा कहा है कि उनके पति की हत्या हिन्दू संगठनवादियों ने नहीं बल्कि आंतकवादियों ने की है। राजनीति के एक मंजे खिलाड़ी के रूप में जाने जाने वाले कांग्रेस के इस यौद्वा का यह बयान आम लोगों के नजीरिये से देखें तो यह पूर्णत: कपोल कल्पित औैर ऐसे समय पर दिया गया बयान लगता है जब संसद में भ्रष्टाचार को लेकर युद्व छिड़ा हुआ है। क्या दिग्विजय सिंह ने यह बयान स्पेक्ट्रम मुदृदे पर से देश का ध्यान हटाने के लिये दिया? कुछ भी कहें उनके इस बयान ने और राजनीतिक पार्टियों को भले ही जगाया न हो किंतु भाजपा को जरूर अपने विरूद्व बोलने का एक मौका दिया है। राजनीतिक हल्कों में चर्चा यह भी है कि दिग्विजय सिंह से यह बयान जानबूझकर दिलवाया गया। अगर इम मामले में थोड़ी भी सच्चाई होती तो दिग्विजय सिंह जैसेे राजनीतिज्ञ को इतने दिनों तक चुप रहने का कोई औचित्य नहीं था।
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